नैमिष में सपा के चुनावी संघर्ष का शंखनाद, प्रशिक्षण शिविर से बढ़ा सियासी ‘ताप’
दो दिवसीय शिविर में समाजवादी पार्टी ने प्रशिक्षण से ज्यादा आगे की रणनीति पर ज्यादा मंथन किया। इससे तीर्थ नगरी में राजनीति के पांव पसारने की संभावना जताई जा रही है। रणनीति की कमान स्वयं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ही संभाली।
सत्ता में वापसी के लिए बेचैन समाजवादी पार्टी ने लोक जागरण अभियान के तहत नैमिषारण्य में दो दिवसीय शिविर लगाकर कार्यकर्ताओं संग मंथन किया। यहां बूथ प्रबंधन और संघर्ष का रास्ता चुनने का आह्वान किया गया। साधना की भूमि से संघर्ष ऐलान सपा के लिए कितना फायदेमंद होगा यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन इस शिविर ने तीर्थनगरी के साथ ही देश की राजनीति का सियासी तापमान बढ़ा दिया है। लखनऊ से दिल्ली तक के राजनेताओं का ध्यान तपोभूमि पर टिक गया है। आने वाले दिनों में यह पारा और बढ़ने वाला है। आगामी लोकसभा चुनाव में भी 88 हजार ऋषियों की तपोस्थली चर्चा में बनी रहेगी।
धर्मनगरी में ‘राजनीति’ ने पसारे पांव
दो दिवसीय शिविर में समाजवादी पार्टी ने प्रशिक्षण से ज्यादा आगे की रणनीति पर ज्यादा मंथन किया। इससे तीर्थ नगरी में राजनीति के पांव पसारने की संभावना जताई जा रही है। रणनीति की कमान स्वयं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ही संभाली। इसीलिए वह अपने संबोधन से एक दिन पहले ही नैमिषारण्य पहुंच गए थे।
यहां उन्होंने स्थानीय नेताओं से प्रशिक्षण का फीडबैक लिया और ललिता देवी मंदिर, ललिता आश्रम, चक्रतीर्थ, राधाकृष्ण मंदिर, कालीपीठ में जाकर दर्शन-पूजन किया। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने ‘जो अत्याचार करता है वही असुर’, ‘असुरों को यहां आने की अनुमति नहीं’ आदि से भाजपा पर प्रहार किया।
इसमें उनका लहजा आध्यात्मिक रहा। सपा नेताओं ने भाजपा कार्यकर्ताओं को असुर तक कहा, जिस पर भाजपा ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। सपा प्रमुख ने कई ग्राम प्रधानों ने भी गेस्ट हाउस में मुलाकात की।
संत-महंतों में मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री की गहरी पैठ
नैमिषारण्य की राजनीति में भूमिका और तीर्थ के प्रभाव को लेकर भाजपा-सपा दोनों वाकिफ हैं। यहां के संत-महंतों में मुख्यमंत्री योग आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की गहरी पैठ भी है। सपा ने प्रशिक्षण शिविर भले ही नैमिषारण्य में पहले लगाया हो, लेकिन भाजपा ने निकाय चुनाव से ही इसकी पहल कर दी थी।
मिश्रिख की जनसभा में नैमिषारण्य के विद्या चैतन्य न सिर्फ मंच पर मौजूद रहे बल्कि मुख्यमंत्री ने उनका जिक्र भी किया था। सपा प्रमुख भी नैमिषारण्य से अपना विशेष जुड़ाव होने की बात कई मौकों पर कह चुके हैं।
ऐसे में दोनों ही राजनीतिक दलों में अंदरखाने संत-महंतों को अपने पाले में करने की होड़ चल रही है। जल्द ही राजनीतिक महात्वाकांक्षा रखने वाले संत-महंतों को संगठन में जिम्मेदारी भी मिल सकती है।