हार्दिक पंड्या में दिखती है धोनी की झलक, बैटिंग में वही समझदारी, गेंदबाजी में माही से सीखा नियंत्रण
2018 की उस सितंबर की दोपहर को हार्दिक पंड्या दर्द से छटपटा रहे थे। आनन-फानन में मैदान पर स्ट्रेचर मंगाया गया। पंड्या उस पर लेटकर मैदान से बाहर गए थे।
वो भी एक दौर था। यह भी एक दौर है। चार साल पहले यही मैदान था। यही पाकिस्तानी टीम थी और तो और टूर्नामेंट भी यही था। तब हार्दिक पंड्या अपनी पीठ चोटिल कर बैठे थे। लंबे वक्त तक टीम से बाहर रहे। करियर खत्म माना जा रहा था। मगर इस खिलाड़ी ने हार नहीं मानी। वक्त का पहिया एक बार फिर घूमा। हार्दिक वाया आईपीएल टीम इंडिया में वापसी करते हैं। और उसी पीठ के दमपर पाकिस्तानियों को नाक चने चबवा देते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप के पहले मैच में हार्दिक पंड्या ने 4 ओवर में 25 रन देकर 3 विकेट निकाले। दिलचस्प है कि पाकिस्तान को ये झटके शॉर्ट बॉल में दिए। रिजवान को अपनी उसी पीठ की ताकत से पवेलियन भेजा, जो कुछ वक्त पहले तक सवालों के घेर में थी। दरअसल, पाकिस्तानी विकेटकीपर रिजवान स्क्वेयर के सामने रन नहीं बना पा रहे थे। इसे बखूबी समझते हुए हार्दिक ने उन्हें एक बॉडी लाइन बॉल फेंकी। अंदर की ओर आती गेंद पर रिजवान फंस गए क्योंकि उन्हें कतई अंदाजा नहीं था कि नया हार्दिक इतनी तेज स्पीड निकालता है। लेट कट मारने के चक्कर में ऑफ स्टंप के बाहर की शॉर्ट गेंद को थर्डमैन पर खेला और आसान कैच आउट हुए।
"हार्ड लेंथ मेरी स्ट्रेंथ है, लेकिन मैं उसे बहुत ही दिमाग से इस्तेमाल करता हूं। बैटिंग में मैं हमेशा शांत और स्पष्ट रहने की कोशिश करता हूं। मैं बल्लेबाजी करते वक्त ज्यादा नहीं सोचता। क्लीयर रहने की कोशिश करता हूं। मुझे पता होता है कि बॉलिंग के टाइम गेंदबाज ही अधिक दबाव में होता है। जाहिर है, यह सिर्फ सात रन था, अगर 15 रन की भी जरूरत होती तो मैं बना लेता।" -हार्दिक पंड्या, प्लेयर ऑफ द मैच
हार्दिक नहीं हार्दिक 2.0 कहिए
यह वापसी हार्दिक पंड्या के लिए इतनी आसान नहीं थी, उन्हें दोहरी लड़ाई लड़नी थी। एक तरह पीठ की चोट थी तो दूसरी ओर चुभते सवाल थे। क्या हार्दिक कभी फुल टिल्ट गेंदबाजी कर पाएंगे? अगर ऐसा नहीं कर सकते तो क्या वह सिर्फ बतौर बल्लेबाज टीम में अपनी जगह बना सकते हैं? क्या यह टीम बैलेंस के हिसाल से सही होगा? इस साल फरवरी की शुरुआत तक तो उनकी चोट एक मिस्ट्री बनी हुई थी। खासतौर पर बॉलिंग। जाहिर है, उन्होंने इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बात नहीं की थी। नई आईपीएल प्रैंचाइजी गुजरात टाइटंस ने जब उन्हें कप्तान बनाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया तब भी उन्होंने अपनी बॉलिंग पर कोई जवाब नहीं दिया था। पिछले साल टी-20 विश्व कप के बाद से हार्दिक स्पेशलिस्ट बल्लेबाज के रूप में खेलने लगे थे। यही वो वक्त था, जहां उन्होंने खुद पर काम करना शुरू कर दिया था। सिर्फ सोते और ट्रेनिंग करते। खुद के लिए रोबोट जैसा शेड्यूल तैयार कर लिया था।
"जब से हार्दिक ने वापसी की है, तब से वे अपनी शानदार फॉर्म में हैं। जब वह टीम का हिस्सा नहीं थे, तो उन्होंने अपने शरीर और अपने फिटनेस पर ध्यान दिया। उनकी बल्लेबाजी की गुणवत्ता हम सभी जानते हैं और उन्होंने वापसी के बाद अपने आप को डायनामाइट में बदला है।" -रोहित शर्मा, भारतीय कप्तान
मेंटॉर धोनी की झलक क्यों दिखती है?
एमएस धोनी हमेशा एक प्लानिंग से खेलते थे। वह गेम को गहराई में ले जाना पसंद करते थे। माही जानते थे कि गेम जितना डीप जाएगा गेंदबाज उतने ही दबाव में आएगा। फिर सिर्फ एक गलती ही पलटवार करने के लिए काफी होती है। हार्दिक पंड्या ने भी तो वही किया। जब तीन गेंद में 6 रन चाहिए थे तो लॉन्ग-ऑन पर एक फ्लैट छक्का मारकर जीत दिला दी। फिर न कोई गुस्सा, न आक्रोश और न कोई उत्साह भरा जश्न। बस चारों ओर शांति और चेहरे पर एक मुस्कुराहट भरा आत्मविश्वास, जो ये बता रहा था कि इस जीत के प्रति पंड्या कितने आश्वसत थे। टी-20 में छक्के से जीत दिलाने के मामले में हार्दिक पंड्ये ने अपने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बराबरी भी कर डाली।