22 बॉल में 17 रन, इसी शर्मनाक पारी में छिपी है विराट की महान झलक और भविष्य
विराट कोहली ने आखिरी वनडे में 22 रन की पारी खेली थी और संजय मांजरेकर को लग रहा है कि वही पारी फॉर्म में वापसी कराएगी। क्यों और कैसे, आइए पूरा मामला समझते हैं।
विराट कोहली के टेस्ट करियर के लिए 2018 का इंग्लैंड दौरा टर्निंग पॉइंट रहा था। उन्होंने यहां जो कुछ किया उसे देखकर पूरा क्रिकेट वर्ल्ड दंग था। इंग्लिश कंडीशन और सर्वकालिक महान तेज गेंदबाज या यूं कहें कि तोप गेंदबाज जिमी एंडरसन के खिलाफ उन्होंने न केवल जंग लड़ी, बल्कि जीती भी। 2014 में जब कोहली इंग्लैंड गए थे तो एंडरसन ने उन्हें ऑफ स्टंप्स पर पकड़ा और असर यह हुआ कि भारतीय बल्लेबाज का सीरीज में औसत सिर्फ 13 का रहा। इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। कोहली पूरी तरह बल्ले से चूक गए।
कोहली की खराब फॉर्म का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंग्लैंड में उन्होंने एक टेस्ट, 2 T20I और 2 ODI में बल्लेबाजी करते हुए 6 पारियों में 11, 20, 1, 11, 16 और 17 रन बनाए। यह कहीं से भी उनके कद को परिभाषित नहीं करता है। हालांकि, संजय मांजरेकर को लगता है कि विराट कोहली की आखिरी पारी में ही उनकी महानता और भविष्य की झलक देखने को मिली।
उन्होंने एक आर्टिकल में कहा- इंग्लैंड में शानदार वापसी करते हुए विराट ने 2018 में क्रीज के बाहर खड़े होकर और स्विंग को खत्म करते हुए अपनी ऑफ-स्टंप के बाहर निकलती गेंदों पर आउट होने वाली समस्या को पीछे छोड़ दिया था। यह स्विंग को खेलने की सबसे अच्छी तकनीक है। वह पूरी तरह फ्रंट फुट पर खेल रहे थे और बैकफुट को पूरी तरह छोड़ रखा था, जो गेंद को देर से खेलने का पुराना सिद्धांत। उन्हें इसका फायदा मिला था और 600 से अधिक रन जड़े थे।
"अगर विराट कोहली के बल्ले से रन नहीं बन रहा है तो उन्हें टीम से बाहर करना चाहिए। हम सभी चाहते हैं कि वह फॉर्म में वापसी करें। जरूरत हो तो वह घरेलू क्रिकेट भी इसके लिए खेलें।" -कपिल देव, पूर्व भारतीय कप्तान
उन्होंने आगे कहा- हालांकि, मुझे ऐसा लगता है कि फ्रंट फुट से बहुत फायदा नहीं मिला था, बल्कि उन्होंने एंडरसन को किसी भी हाल में अपने वश में करने के लिए मानसिक दृढ़ता दिखाई थी। मानसिक दृढ़ता का मतलब है कि वह ऑफ स्टंप के बाहर गेंदों को छोड़ रहे थे। आपको याद है या नहीं, लेकिन कोहली ने उस समय ऑफ स्टंप्स वाली ढेरों गेंदों को खेला ही नहीं था। कवर ड्राइव विराट का पहला शॉट है तो आप उनकी मानसिक दृढ़ता की कल्पना कर सकते हैं। यह वाकई उनके लिए मुश्किल रहा होगा। उन्होंने खराब फॉर्म को लेकर कहा कि मेरा मानना है कि इसके पीछे उनका दिमाग नहीं, बल्कि तकनीक है। दक्षिण अफ्रीका में सीरीज की आखिरी पारी में उन्होंने 3 घंटे 13 मिनट में 20.27 के स्ट्राइक रेट से 29 रन बनाए। यह स्पष्ट रूप से एक ऐसे व्यक्ति का सबूत था, जिसका आत्मविश्वास कम हो गया है।
...और इसलिए 22 रन की पारी है खास
भारत के लिए इंटरनेशनल मैच खेल चुके और अपनी बेबाक कमेंट्री के लिए मशहूर संजय मांजरेकर ने ओल्ड ट्रैफर्ड की पारी को लेकर एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मैं रविवार को ओल्ड ट्रैफर्ड में विराट की पारी को देखकर बहुत उत्साहित था। भले ही वह केवल 22 गेंदों तक चली हो, लेकिन इसने मुझे बड़ी आशा दी। विराट ने उस पारी में कम से कम 5/6 गेंदें खेलीं जैसे उन्होंने पिछले काफी समय से नहीं खेली थीं। उन्होंने लेग साइड पर स्क्वेयर के पीछे दो शॉट खेले। ऐसा इसलिए था, क्योंकि वह बहुत छोटी स्ट्राइड ले रहे थे। जब आप देर से खेलते हैं तो आपको गेंद को समझने में मदद मिलती है। कहा ही जाता है कि आप जितना देर से शॉट खेलोगे स्कोर करने और फील्ड को छकाने में उतनी ही मदद मिलेगी।
"विराट कोहली के साथ नेट पर मुझे 20 मिनट चाहिए। मैं ऑफ स्टंप्स से बाहर निकलती गेंदों पर आउट होने की समस्या दूर कर सकता हूं।" -सुनील गावस्कर, पूर्व भारतीय कप्तान
मांजरेकर ने आगे कहा- मेरे लिए ऐसा लग रहा था कि विराट उस समय तक घड़ी को रिवाइंड कर रहे थे, जब वह न केवल एक फ्रंट फुट खिलाड़ी थे। वह आगे बढ़कर शॉट खेलने को लेकर उत्सुक रहते थे, बल्कि बैकफुट का भी खूब इस्तेमाल करते थे। इससे पता चलता है कि यह महान बल्लेबाज अपनी तकनीक पर नजर रखे हुए है और अब रास्ता बनाने में उन्हें अधिक समय नहीं लगने वाला है।