सौरभ तिवारी की यह कैसी रणनीति? झारखंड ने बड़ा रिकॉर्ड बनाकर भी धोनी की 'कटवा दी नाक'
सौरभ तिवारी की कप्तानी वाली झारखंड टीम ने पहली पारी में 500 से अधिक रनों की बढ़त लेने के बावजूद नगालैंड को बैटिंग नहीं कराई। यही नहीं, उसने दूसरी पारी को भी आखिरी दिन तक जारी रखा और बिना जरूरत 1008 रनों की लीड ली। इस मैच में उसने रिकॉर्ड तो बनाया, लेकिन एमएस धोनी की घरेलू टीम को मजाक का पात्र भी बना दिया।
टेस्ट इतिहास की सबसे बड़ी पारी खेलने का रिकॉर्ड वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा (Brian Lara 400 Not Out) के नाम है। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अप्रैल, 2004 (ENG vs WI) में 778 मिनट तक क्रीज पर रहते हुए 582 गेंदों का सामना किया और नाबाद 400 रन का रिकॉर्ड स्कोर बनाया। इसमें 43 चौके और 4 छक्के शामिल थे। जब भी सबसे बड़ी पारी की बात आती है तो ब्रायन लारा का नाम जरूर लिया जाता है, लेकिन साथ ही ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting) के उस बयान भी चर्चा होती है, जिसमें उन्होंने लारा को 'स्वार्थी' करार दिया था।
उन्होंने कहा था कि लारा चाहते तो इस मैच का रिजल्ट निकल सकता था, लेकिन वह तो सिर्फ रिकॉर्ड बनाना चाहते थे और इंग्लैंड को नीचा दिखाना (इंग्लिश टीम पर दबाव बनाना चाहते थे) चाहते थे। उनके पास मैच जीतने का प्लान नहीं था। यह मैच ड्रॉ रहा था, जबकि वेस्टइंडीज दौरे पर गई इंग्लिश टीम ने सीरीज एकतरफा 3-0 से अपने नाम किया था। खैर, लारा उस समय वेस्टइंडीज टीम के कप्तान थे और पारी घोषित करने का निर्णय लेने उनके हाथ में था। कुछ ऐसा ही झारखंड और नगालैंड के बीच रणजी ट्रॉफी के एक मैच में देखने को मिला।
महान कप्तानों और रणनीतिकारों में शामिल महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की होम टीम झारखंड ने नगालैंड (Jharkhand vs Nagaland) के खिलाफ पहली पारी में 880 रन बनाए थे, जबकि नगालैंड की टीम 289 रनों पर सिमट गई थी। झारखंड को पहली पारी में 591 रन की विशाल बढ़त मिली और इसी बढ़त के आधार पर उसे क्वॉर्टर फाइनल में जगह मिली। जब नगालैंड की पारी 289 रनों पर सिमटी और 591 रनों से पिछड़ गई थी तो झारखंड के पास नगालैंड को ऑल आउट करके पारी के आधार पर जीत का मौका था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
सौरभ तिवारी की कप्तानी वाली इस टीम ने फॉलोऑन नहीं खिलाने का फैसला किया और खुद बैटिंग की। यही नहीं, वह अंतिम समय तक बैटिंग करती रही और उसकी कुल बढ़त 1008 रन हो गई, जो रिकॉर्ड है। लेकिन झारखंड के इस फैसले ने उसे हंसी का पात्र भी बना दिया। सोचने वाली बात यह भी है कि जीत की चाहत रखने वाली आखिर कौन-सी टीम ऐसा करेगी?
महेंद्र सिंह धोनी होते तो क्या ऐसा करते?
झारखंड टीम को लोग महेंद्र सिंह धोनी की टीम के नाम से भी जानते हैं। वह लंबे समय तक इस टीम का हिस्सा रहे हैं और अक्सर खिलाड़ियों से मिलते भी रहते हैं। जहां एक ओर उन्हें उन कप्तानों में गिना जाता है, जो मैदान पर सिर्फ जीत के इरादे से ही उतरते हैं तो दूसरी ओर उन्हीं की घरेलू टीम झारखंड ने इस तरह की बचकानी हरकत की है। सौरभ तिवारी अगर चाहते तो आखिरी दिन वह पारी का ऐलान कर सकते थे। दूसरी पारी में चौथे दिन का खेल खत्म होने तक दो विकेट पर 132 रन बनाए थे। उसके पास 700 से अधिक रनों की बढ़त थी, जो शायद ही कोई टीम आखिरी दिन बना पाए।
सोशल मीडिया पर बन रहा मजाक
इस मैच को लेकर सोशल मीडिया पर भी खूब प्रतिक्रिया देखने को मिली। एक यूजर ने स्कोरकार्ड का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा- नगालैंड पर झारखंड की 1008 रनों की लीड...। यह सबसे अजीब मैच रहा। दूसरी ओर एक अन्य यूजर ने लिखा- झारखंड बनाम नगालैंड... क्या कोई इस मैच को समझाएगा मुझे। एक यूजर ने तो इसे शोषण करार दिया। उसने लिखा- नियमों में लूपहोल्स की वजह से शोषण (नगालैंड को) का सामना करना पड़ा।