दिल्ली शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका की खारिज
सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को ‘‘घोटाले’’ में उनकी भूमिका के आरोप में गिरफ्तार किया था। वो तभी से हिरासत में हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाला से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने कहा कि उसने जांच एजेंसियों के बयान को रिकॉर्ड किया है कि इन मामलों में सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी हो जाएगी।
पीठ ने कहा कि अगर सुनवाई की कार्यवाही में देरी होती है तो सिसोदिया तीन महीने में इन मामलों में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
केजरीवाल पर तंज कस्ते हुए बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कहा कि, “ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मनीष सिसौदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया है। आप के सभी बचाव औंधे मुंह गिरे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 338 करोड़ रुपये का मनी ट्रेल स्थापित हो चुका है। आप लगातार कह रही थी कि मनी ट्रेल कहां है? वे इस देश के लोगों से झूठ बोलते रहे। कब तक अरविंद केजरीवाल इन लोगों का बचाव करते रहेंगे?
अरविंद केजरीवाल भी गिरफ्तार होंगे गिरफ्तार
वहीं बीजेपी सांसद मनोज तिवारी का कहना है कि, ‘इस फैसले के बाद यह साबित हो गया है कि मनीष सिसौदिया और आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। अब आप के शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी करीब है। अरविंद केजरीवाल भी गिरफ्तार होंगे।’
शीर्ष अदालत ने अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में दायर सिसोदिया की दो अलग-अलग नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को दोनों याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को ‘‘घोटाले’’ में उनकी भूमिका के आरोप में गिरफ्तार किया था। आम आदमी पार्टी नेता तब से हिरासत में हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद नौ मार्च को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन के मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया। सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
हाई कोर्ट ने 30 मई को सीबीआई के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री रहने के कारण वह एक ‘‘हाई-प्रोफाइल’’ व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
हाई कोर्ट ने तीन जुलाई को दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन के मामले में उन्हें जमानत देने से यह कहकर इनकार कर दिया था कि उनके खिलाफ आरोप ‘‘बहुत गंभीर प्रकृति’’ के हैं।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को यह नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया। जांच एजेंसियों के मुताबिक, नयी नीति के तहत थोक विक्रेताओं का मुनाफा पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया था।
एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि नयी नीति के परिणामस्वरूप गुटबंदी हुई और धन लाभ पाने के लिए शराब लाइसेंस देने में अयोग्य लोगों को लाभ दिया गया। दिल्ली सरकार और सिसोदिया ने किसी भी गलत काम से इनकार किया और नयी नीति से दिल्ली के राजस्व हिस्से में वृद्धि का दावा किया है।