17वीं शताब्दी में लोगों को ऐसा रखा जाता था याद, 400 साल पुरानी मूर्ति ने खोल दिया सदियों पुराना राज
चेन्नई में 17वीं शताब्दी का एक पुराना हीरो स्टोन मिला है। इस स्टोन में दो मूर्तियां हैं, जिसमें से एक पुरुष की है और एक महिला की। इतिहास के जानकार के अनुसार, ये मूर्ति नायक राजवंश के किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति और उसकी पत्नी की है।
भारत में पुराने जमाने की कई चीजें मिलती रहती हैं। इन चीजों का अध्ययन करके प्राचीन विरासत का अंदाजा लगाया जाता है। हाल ही में चेन्नई से एक बेहद पुराना हीरो स्टोन मिला है। ये स्टोन 17वीं शताब्दी का बताया जा रहा है। स्टोन पर बनी मूर्तियों को देखकर 17वीं शताब्दी की मूर्तिकला के बारे में पता लगता है। इसके साथ ही नायक काल की प्रथाओं का भी पता चलता है। ये मूर्ति चेन्नई के डिंडीगुल जिले में गोपालपट्टी के पास मिली है। ये मूर्ति नायक राजवंश के किसी महत्वपूर्ण सदस्य की याद में बनाया गई होगी।
हीरो स्टोन में पुरुष और महिला की मूर्ति
डिंडीगुल वरलात्रु ऐवुकुझु के कॉर्डिनेटर एनटी विश्वनाथदास और इतिहास के छात्र रथिनामुरलीदार ने बताया कि उन्हें गोपालपट्टी और वी मेट्टुपट्टी के बीच सड़क पर सदियों पुराना हीरो स्टोन मिला। इस स्टोन पर एक पुरुष की उभरी हुई मूर्ति दिखाई दे रही है, जिसने कई तरह के आभूषणों और कपड़े पहने हुए हैं। मूर्ति में दिख रहे पुरुष के काफी बढ़ कान हैं और उन पर छल्ले पहने हुए हैं। इसके साथ ही मूर्ति को दोनों हाथ सीने के पार जुड़े हुए हैं, जैसे वो हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहा है। इसके अलावा मूर्ति में कमर पर एक लंबी तलवार भी है।
पुरुष के हाथ में दिख रही तलवार
पुरुष की मूर्ति बाईं ओर है वहीं दाईं ओर महिला की मूर्ति है। इस मूर्ति के कान की बाली में झुमके दिखाई दे रहे हैं। साथ ही गले में आभूषण भी पहने हुए हैं। मूर्ति में महिला ने कपड़े से शरीर को कवर किया है। महिला की मूर्ति का एक हाथ बगल में और दूसरा नीचे की ओर दिखाई दे रहा है। अगर वेशभूषा की बात करें तो मूर्ति के टखनों तक पहने जाने वाले कपड़े दिखाई दे रहे हैं। अगर मूर्ति की डिजाइन, कपड़ों और अन्य चीजों को ध्यान से देखा जाए तो पता चलता है कि ये मूर्तिकला नायक काल से संबंधित है।
इतिहासकार ने क्या कहा?
पत्थर पर उभरी हुई मूर्ति की पुरुष आकृति बाईं ओर दिखाई देती है और इसमें बन और सजावटी आभूषणों के साथ एक विस्तृत कश विन्यास है। उसके बढ़े हुए कानों पर छल्ले हैं। दोनों हाथ उसकी छाती पर मुड़े हुए पाए जाते हैं, जैसे कि वह प्रार्थना कर रहा हो। उनकी कमर से एक लंबी तलवार लटकती हुई मिली है। पत्थर के दाहिनी ओर महिला आकृति के कान की बाली पर भी झुमके देखे उसके स्तनों को ढकने के लिए एक कपड़ा बंधा हुआ है। एनटी विश्वनाथदास और रथिनामुरलीदार ने बताया कि हो सकता है कि ये मूर्ति राज दरबार के किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की हो, जिसकी मौत के बाद उसकी पत्नी सती हो गई हो। ऐसा हो सकता है कि उस जमाने में ऐसी प्रथा हो कि जो राजपरिवार के किसी खास व्यक्ति की युद्ध में मौत के बाद उसकी मूर्ति बनाई जाती हो। ताकि उसको हमेशा याद रखा जा सके।