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गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा की कहानीः हेड कॉन्स्टेबल पिता ने वर्दी टांगी और उसी साल बेटा बन गया IPS

गाजियाबाद कमिश्नरेट बनने के बाद यहां पर नए कमिश्नर की तैनाती कर दी गई है। अजय कुमार मिश्रा को गाजियाबाद कमिश्नरेट में पहले कमिश्नर के रूप में तैनात किया गया है। इनकी कहानी आपको प्रेरित करेगी। उन्होंने कमिश्नरेट सिस्टम को लेकर बड़ी बात कही है।

गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा की कहानीः हेड कॉन्स्टेबल पिता ने वर्दी टांगी और उसी साल बेटा बन गया IPS

पिता ने जिस साल वर्दी टांगी, उसी साल अजय कुमार मिश्रा ने वर्दी पहनी थी। साल था 2013। वाराणसी में हेड कॉन्स्टेबल पद पर तैनात कुबेर नाथ मिश्रा रिटायर हो रहे थे। परिवार का सदस्य पुलिस में रहे, हमेशा उन्होंने यही सोचा था। बेटे अजय कुमार मिश्रा ने उनके सपने को पूरा किया। यूपीएससी की परीक्षा पास की। पुलिस सेवा में आए। यूपी पुलिस में अपनी सेवा देनी शुरू की। 2003 बैच के आईपीएस 48 वर्षीय अजय कुमार मिश्रा की प्रतिनियुक्ति वर्ष 2015 में इंटेलिजेंस ब्यूरो में हुई थी। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान उन्होंने दिल्ली और श्रीनगर अपनी सेवाएं दीं। इस साल जनवरी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस अपने कैडर में लौटे। उस समय से वे पुलिस मुख्यालय लखनऊ में वेटिंग फॉर पोस्टिंग थे। अब गाजियाबाद कमिश्नरेट में कमिश्नर के पद पर तैनात किए गए हैं। पिछले दिनों योगी कैबिनेट ने तीन नए कमिश्नरेट को मंजूरी दी थी। इसके बाद वहां पर नए कमिश्नर की तैनाती कर दी गई है।

वाराणसी से रहा है जुड़ाव
अजय कुमार मिश्रा मूल रूप से यूपी के बलिया के रहने वाले हैं। उनके पिता कुबेर नाथ मिश्रा वाराणसी में अधिकांश समय तैनात रहे थे। पुलिस लाइन क्वार्टर में पले और बढ़े। अपनी स्कूली शिक्षा और स्नातक वाराणसी में पूरी की। अजय कुमार मिश्रा का बचपन से ही वर्दी पहनना सपना था। इसके लिए वे आसपास खाकी वर्दी को दिखने को इसका श्रेय देते हैं। अजय कुमार मिश्रा कहते हैं कि बचपन से लेकर बड़े होने तक हमने अपने आसपास खाकी ही देखी। पुलिसिंग को एबिलिटी बायस बताते हुए आईपीएस मिश्रा कहते हैं कि आप जो देखते हैं, सुनते हैं, उस आधार पर आपका दिमाग निर्णय लेने की स्थिति में आता है। पुलिसिंग को हमने बचपन से ही जिया। परिवार के एक सदस्य ने जब वर्दी टांग दी तो दूसरा सदस्य पुलिस में चला गया।

एसपी और एटीएस में रह चुके हैं अजय मिश्रा
2003 बैच के आईपीएस अफसर अजय मिश्रा गाजियाबाद के पहले पुलिस कमिश्नर (सीपी) होंगे। 7 साल इंटेलिजेंस ब्यूरो और कई जिलों की कमान संभालने का अनुभव है। अजय मिश्रा मैनपुरी, सुल्तानपुर, कानपुर और वाराणसी के कप्तान रह चुके हैं। 2015 में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर गए और आईबी में कार्य किया। इसी साल सितंबर में फिर यूपी में वापसी हुई। अजय के पिता भी पुलिस अधिकारी से रिटायर हुए हैं। चर्चा है कि आज अजय मिश्रा गाजियाबाद आ सकते हैं। पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद गाजियाबाद को 9 सर्कल में बांटा गया है। अभी जॉइंट सीपी और डीसीपी रैंक के अधिकारियों की पोस्टिंग होनी है।

गाजियाबाद में बढ़े हैं अपराध
गाजियाबाद में 2021 की तुलना में हत्या और रेप जैसे मामले बढ़े हैं। दूसरी तरफ यहां हर दिन औसतन 6 से 7 वाहन चोरी हो रहे हैं। स्नैचिंग की घटनाएं भी लगभग रोजाना होती हैं। ऐसे में पहले सीपी के सामने इस समस्या को दूर करना बड़ी चुनौती होगी। हालांकि गौतमबुद्धनगर में कमिश्नरेट बनने बाद स्ट्रीट क्राइम में कमी के दावे किए जा रहे हैं। इसका बड़ा कारण फोर्स की संख्या का बढ़ना बताया गया। हालांकि शुरुआत में मौजूदा सिस्टम और संसाधन के साथ ही काम करने की चुनौती होगी। सीपी का ऑफिस कहां होगा, अभी यह साफ नहीं है। विक्रम त्यागी अपहरण कांड समेत कई हाईप्रोफाइल केस अनसुलझे हैं। इन्हें सुलझाना भी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।

जनप्रतिनिधियों से तालमेल की चुनौती
बीते कुछ समय से जिले की पुलिस और जनप्रतिनिधियों के बीच में टकराव की स्थिति बनी। एसएसपी पवन कुमार की तैनाती के दौरान पुलिस और जनप्रनिधियों के बीच विवाद काफी बढ़ा था। लोनी विधायक, मेयर और राज्यसभा सांसद ने पुलिस की आलोचना की थी। लोनी विधायक ने कई ओपन लेटर एसएसपी और एसपी देहात के लिए लिखे थे। हाल के दिनों में सीओ और थाना प्रभारियों लेकर भी विवाद हुआ। हालांकि एसएसपी मुनिराज कॉर्डिनेशन को ठीक करने में कामयाब रहे।

अभी तक गुंडा एक्ट, जिला बदर, गैंगस्टर एक्ट समेत कई अन्य मामले, जिसमें जिला प्रशासन कार्रवाई करता रहा है, अब पुलिस कमिश्नर की तैनाती के बाद यहां ट्रांसफर कर दिए जाएंगे। इसके लिए प्रशासन ने तैयारी कर ली है। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस कमिश्नर के चार्ज लेने के बाद इन केसों को उनके सुपुर्द कर दिया जाएगा। अब नए केसों पर वहीं से कार्रवाई शुरू होगी।

पिछले साल आईजी में हुए प्रमोट
अजय कुमार मिश्रा को अक्टूबर 2016 में डीआईजी अनाया गया। वर्ष 2021 में उन्हें आईजी के रूप में पदोन्नत किया गया। वर्ष 2013 में अजय मिश्रा का वाराणसी एसपी का कार्यकाल भी विवादों में रहा। अतिरिक्त एसपी (यातायात) गोपेश नाथ खन्ना की ओर से उत्पीड़न के आरोपों के बाद उनके खिलाफ जांच बैठाई गई। अजय मिश्रा ने डीजीपी को पत्र लिखा। इसमें कथित भ्रष्टाचार के मामले में गोपेश नाथ खन्ना के खिलाफ जांच और उनके तबादले की सिफारिश की गई। इसके बाद विवाद गहरा गया। गोपेश नाथ खन्ना ने वाराणसी जोन के महानिरीक्षक को पत्र लिखकर मिश्रा पर उनके सरकारी वाहन, ड्राइवर और गार्ड को अकारण ले जाने का आरोप लगाया था। डीजीपी कार्यालय के स्तर पर जांच शुरू की गई। इसके बाद दोनों अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया।

डिसेंट्रलाइज करेंगे आयुक्त कार्यालय
यूपी सरकार ने पिछले सप्ताह ही घोषणा की थी कि गाजियाबाद को पुलिस कमिश्नरेट में अपग्रेड किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि वह एनसीआर के सबसे अधिक आबादी वाले जिले में पुलिसिंग में क्या बदलाव लाना चाहते हैं? अजय मिश्रा ने कहा कि हम गाजियाबाद आयुक कार्यालय का विकेंद्रीकरण करेंगे। तीन पुलिस जिलों लोनी, हिंडन और सिटी का गठन करेंगे। प्रत्येक जिले का नेतृत्व डीसीपी-रैंक के अधिकारी करेंगे। यातायात और अपराध विभाग भी एक डीसीपी के नेतृत्व में होंगे। प्रस्तावों को डीजीपी द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। नए पुलिस प्रमुख के लिए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की जांच सूची में सबसे ऊपर होगी। उन्होंने कहा कि हम अपराध सिंडिकेट के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करेंगे। वरिष्ठ अधिकारी शिकायतों पर काम करेंगे।

अजय कुमार मिश्रा ने आयुक्त कार्यालय की प्रणाली में पुलिसिंग में बदलाव को लेकर एक उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अगर हम लड़कियों के कॉलेज या स्कूल के आसपास जमने और उत्पीड़न में लिप्त किसी युवक को देखते हैं, तो हमारे पास उसके खिलाफ कार्रवाई तत्काल शुरू की जाएगी। उस पर हर प्रकार की कार्रवाई की जाएगी। बिना कमिश्नरेट वाले सिस्टम में इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति जरूरी हो जाती है। कमिश्नरेट सिस्टम ऑफिसर ओरिएंटेड है और लोगों की जरूरतों पर अधिक संवेदनशील होता है।

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