आगरा...चामुंडा मंदिर विवाद: हिंदूवादियों ने दी चेतावनी- मंदिर तोड़ा तो सामूहिक रूप से ट्रेन के नीचे आकर देंगे जान
ताजमहल पर जगदगुरु परमहंसाचार्य को ताजमहल में एंट्री न देने का विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ है कि आगरा में राजा मंडी स्टेशन पर बने चामुंडा देवी मंदिर को हटाने का विवाद गर्माने लगा है।
आगरा का एक रेलवे स्टेशन है ‘राजा की मंडी’. आगरा कैंट के बाद शहर का दूसरा सबसे बड़ा स्टेशन. लेकिन, अब रेलवे इस स्टेशन को जल्द बंद करने पर विचार करने वाला है. यह बात सुनते ही दिमाग में आएगा कि शायद इस स्टेशन से रेलवे को ज्यादा कमाई नहीं हो रही होगी, इसलिए ऐसा फैसला लिया जा रहा होगा. तो ये राय बनाने से पहले थोड़ा रुकिए क्योंकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है. इस स्टेशन से रोजाना करीब 3 लाख रुपए के टिकट बिकते हैं. यानी साल भर में रेलवे को इस स्टेशन से 11 करोड़ रुपए की कमाई होती है. सवाल कि फिर क्यों इस स्टेशन को बंद किया जाएगा?
दरअसल, इसकी वजह रेलवे स्टेशन के बाहर बना चामुंडा देवी का मंदिर है, जिसके पीछे वाले हिस्से ने स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-1 का कुछ एरिया घेर रखा है. रेलवे ने इसे हटाने के लिए जब मंदिर के गेट पर नोटिस लगाया तो रेलवे और मंदिर के महंत के बीच तनातनी हो गई.
‘मंदिर अवैध रूप से बना है हटाना तो पड़ेगा’
रेलवे ने नोटिस पर लिखा कि मंदिर का हिस्सा प्लेटफाॅर्म से हटाने के लिए 10 दिन का समय दिया जाता है. लेकिन, 22 अप्रैल को 10 दिन पूरे होने के बाद भी मंदिर का हिस्सा हटाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके बाद आगरा रेलवे के डीआरएम आनंद स्वरूप ने मंदिर के हिस्से को अवैध निर्माण बताते हुए एक पत्र जारी किया. इसमें लिखा है, ‘राजा की मंडी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर बना मंदिर अवैध रूप से रेलवे की सीमा में निर्मित है. मंदिर का क्षेत्रफल 1716 वर्ग मीटर है. इसमें 600 वर्ग मीटर में मंदिर का भवन है. इसमें 72 मीटर का क्षेत्र सीधे प्लेटफॉर्म नंबर एक पर है. यह रेलवे के शेड्यूल ऑफ डायमेंशन का उल्लंघन है. 72 वर्ग मीटर के इस अवैध निर्माण को प्राथमिकता से हटाया जाना है क्योंकि यह सुरक्षा की दृष्टि से खतरा है.’
मंदिर से रेलवे को अब क्यों दिक्कत आई?
एक सवाल यह भी है कि आखिर रेलवे को मंदिर के हिस्से से परेशानी क्या है? इस का भी जवाब आगरा रेलवे के डीआरएम आनंद स्वरूप ने दिया है. उन्होंने लिखा, ‘भारत सरकार की मंशा है कि ट्रेनों की स्पीड 150 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार तक बढ़ाई जाए, लेकिन राजा की मंडी स्टेशन पर अवैध निर्माण के चलते पटरी काफी वक्राकार है, जिस वजह से ट्रेन की अधिकतम स्पीड 30 किमी प्रतिघंटा ही रहती है. आगरा-दिल्ली मार्ग पर ट्रेनों की गति में सुधार के लिए छह करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. अगर अवैध निर्माण हट जाता है तो इस ट्रैक पर ट्रेन 150 किमी प्रतिघंटे की रफ़्तार से दौड़ सकती है. चामुंडा मंदिर के साथ ही अन्य अवैध बने धार्मिक स्थलों जैसे मस्जिद आदि को भी नोटिस जारी किया गया है. यह तकनीक से जुड़ा निर्णय है. यदि इस कार्य में अड़चन आती है तो यात्रियों की सुविधा को देखते हुए रेल प्रशासन द्वारा राजा की मंडी स्टेशन यात्रियों के प्रयोग के लिए बंद करने के लिए विचार करने पर बाध्य होगा.’
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में डीआरएम आनंद स्वरूप ने ये भी कहा कि वे कोई विवाद नहीं चाहते और इस मसले का समाधान सौहार्दपूर्ण तरीके से निकालना चाहते हैं.
‘ये कोई गली मोहल्ले का मंदिर नहीं है’
उधर, चामुंडा मंदिर से जुड़े लोग रेलवे की इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. मंदिर के महंत धीरेन्द्रानन्द ब्रह्मचारी का कहना है कि मंदिर काफी पुराना है और सैंकड़ों लोगों की आस्था इससे जुड़ी है. उन्होंने एएनआई से बातचीत करते हुए कहा, ‘कुछ चीजें होती हैं जिन्हें हटाया नहीं जाता है. ये चामुंडा देवी का मंदिर ऐसा नहीं है जिसे किसी गली या चौराहे पर बना दिया गया हो, ये मंदिर 250 साल पुराना है और इसकी एक अपनी गरिमा है. आपको बता दूं कि यह मंदिर पहले बना उसके बाद प्लेटफाॅर्म बना. पहले ये रेलवे स्टेशन लोहा मंडी के बगल में था. फिर ये यहां आया. पीपल का पेड़ उस समय भी मौजूद था. तब क्यों नहीं हटाया. इसका मतलब है कि यहां माता रानी पहले से विराजमान थीं.’
महंत धीरेन्द्रानन्द ब्रह्मचारी ने ये भी बताया कि इससे पहले भी एक बार रेलवे ने मंदिर हटाने को लेकर नोटिस दिया था. लेकिन, फिर राज्य के अधिकारियों के दखल के बाद उसे वापस ले लिया गया था.
बता दें कि रेलवे द्वारा मंदिर को हटाने का नोटिस देने के बाद से हिंदूवादी संगठन आक्रोशित हैं। गुरुवार को रेलवे स्टेशन पर हिंदूवादियों ने विरोध प्रदर्शन किया। हिंदूवादियों ने मंदिर हटाने पर सामूहिक रूप से ट्रेन के नीचे आकर आत्महत्या करने की बात कही है।