Mathura: श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जमीन से ईदगाह हटाने की मांग पर मथुरा कोर्ट में सुनवाई आज, आ सकता है निर्णय
मथुरा की कोर्ट में गुरुवार को श्रीकृष्ण विराजमान के केस में महत्वपूर्ण फैसला लिया जाएगा। रिविजन के तौर पर करीब डेढ़ साल तक हुई सुनवाई के बाद जिला जज की कोर्ट में इस वाद के स्वीकार करने और न करने पर फैसला होगा।
मथुरा की कोर्ट में गुरुवार को श्रीकृष्ण विराजमान के केस में महत्वपूर्ण फैसला लिया जाएगा। रिविजन के तौर पर करीब डेढ़ साल तक हुई सुनवाई के बाद जिला जज की कोर्ट में इस वाद के स्वीकार करने और न करने पर फैसला होगा। जिला जज की कोर्ट में होने वाले इस फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
वादी पक्ष के अधिवक्ता गोपाल खंडेलवाल ने बताया कि सिविल कोर्ट ने पहले सिंतबर 2020 में ये कहकर केस खारिज कर दिया था कि ये राइट टू इश्यू नहीं है। यानि की इस मामले में किसी को वाद डालने का अधिकार नहीं है। इसी को लेकर वादी पक्ष की तरफ से रंजना अग्निहोत्री ने 6 लोगों के साथ मिलकर जिला जज की कोर्ट में रिवीजन किया था। लगातार कई सुनवाई के बाद आज जिला अदालत दोपहर बाद इस निर्णय लेगी। उम्मीद है निर्णय उनके पक्ष में होगा और जिला अदालत जो भी निर्णय लेगी वह हमें मान्य होगी।
13.37 एकड़ भूमि में 2.37 एकड़ मुक्त कराने की मांग
एडवोकेट रंजना सहित 6 लोगों की तरफ से दाखिल वाद में मांग की गई है कि श्रीकृष्ण विराजमान की 13.37 एकड़ जमीन है। 13.37 एकड़ भूमि में से करीब 11 एकड़ पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर बना है। जबकि 2.37 एकड़ जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद है। 2.37 एकड़ जमीन को मुक्त कराकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान में शामिल किया जाए। इसके अलावा 1968 में हुए समझौते को भी रद्द करने की मांग की गई है। वादी पक्ष का कहना है कि इस मामले में संस्थान को समझौता करने का अधिकार ही नहीं है, जबकि जमीन ठाकुर विराजमान केशव कटरा मंदिर के नाम से है।
भगवान श्रीकृष्ण की सखी के तौर पर दाखिल किया था केस
एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री ने भगवान श्रीकृष्ण की सखी के तौर पर एक केस सितंबर, 2020 में सिविल कोर्ट में दाखिल किया था। इस केस को सिविल कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद अक्टूबर में यह केस रिविजन के लिए जिला जज की कोर्ट में दाखिल किया गया। इस पर करीब डेढ़ साल से सुनवाई चल रही है।
6 लोगों ने दाखिल किया है केस
एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री, हरि शंकर जैन, विष्णु जैन सहित 6 लोगों की तरफ से दाखिल वाद में 4 विपक्षी बनाए गए। इनमें सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान शामिल हैं। कोर्ट ने रिविजन की सुनवाई के दौरान चारों विपक्षी का पक्ष भी सुना।
1968 में ट्रस्ट और मुस्लिम पक्ष में हुआ था समझौता
साल 1967 में जुगल किशोर बिड़ला की मृत्यु हो गई। इसके बाद 1968 में ट्रस्ट ने मुस्लिम पक्ष से एक समझौता कर लिया। इसके तहत शाही ईदगाह मस्जिद का पूरा मैनेजमेंट मुस्लिमों को सौंप दिया। रंजना अग्निहोत्री, विष्णु शंकर जैन आदि की ओर से जो याचिका दाखिल की गई है, उसमें इस समझौते को ही अवैध करार दिया गया है। दलील दी गई है कि ट्रस्ट को अधिकार ही नहीं था कि वह समझौता करे।
डेढ़ साल तक चली रिविजन पर बहस
रामलला विराजमान की तर्ज पर श्रीकृष्ण विराजमान की अंतरंग सखी के रूप में रंजना अग्निहोत्री ने वाद दाखिल किया। इस वाद पर रिवीजन के तौर पर अक्टूबर 2020 से 5 मई 2022 तक अलग-अलग तारीखों पर बहस हुई। 5 मई को बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने इसे स्वीकार करने या न करने को लेकर 19 मई की तारीख दी थी।
विवादित जगह की खुदाई कराने की मांग
याचिका में कहा गया है कि कोर्ट की निगरानी में जन्मभूमि परिसर की खुदाई कराई जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि खुदाई की एक जांच रिपोर्ट पेश की जाए। इतना ही नहीं, यह भी दावा किया गया है कि जिस जगह पर मस्जिद बनाई गई थी, उसी जगह पर कारागार मौजूद है, जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस बारे में कई लोगों ने कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं।