ज्ञानवापी: मंदिर पक्ष का HC में तर्क- साइंटिफिक सर्वे से ही मिलेगा साक्ष्य, मस्जिद पक्ष ने बताया था गलत
ज्ञानवापी परिसर के सांइटिफिक सर्वे मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही बहस के दौरान मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने बुधवार को कहा कि वाराणसी में जिला जज के समक्ष अर्जी में कहा गया है कि गुंबद के नीचे स्ट्रक्चर है। सत्यता पता करने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाए। वहां मंदिर है इसका साक्ष्य साइंटिफिक सर्वे से ही मिलेगा।
ज्ञानवापी परिसर के सांइटिफिक सर्वे मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही बहस के दौरान मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने बुधवार को कहा कि वाराणसी में जिला जज के समक्ष अर्जी में कहा गया है कि गुंबद के नीचे स्ट्रक्चर है। सत्यता पता करने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाए। वहां मंदिर है इसका साक्ष्य साइंटिफिक सर्वे से ही मिलेगा।
भारत सरकार की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को यह आश्वासन दिया गया कि साइंटिफिक सर्वे से वाराणसी स्थित परिसर को कोई क्षति नहीं पहुंचेगी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने जब एएसजीआइ शशि प्रकाश सिंह से यह पूछा कि क्या ड्रिल नहीं करेंगे, क्या करेंगे बताएं। इस पर एएसजीआइ ने कहा जांच कर फोटो लेंगे, संपत्ति को क्षति नहीं होगी। कैसे जांच होगी यह टीम बता सकती है, किंतु बिना क्षति सर्वे पूरा होगा।
दरअसल मस्जिद पक्ष के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा था कि सर्वे के लिए दी अर्जी में तीनों गुंबद के नीचे मंदिर का स्ट्रक्चर है। यदि डैमेज हुआ तो भवन ध्वस्त हो जाएगा। मस्जिद पक्ष के वकील का यह भी कहना था कि आदेश देते हुए जिला जज ने न्यायिक विवेक का प्रयोग नहीं किया। एएसआई के पास मैकेनिज्म नहीं है कि खुदाई से भवन ध्वस्त होने से रोक सके। जैसे ही गहरी खुदाई की गई 1669 के भवन को क्षतिग्रस्त होने से नहीं रोक सकेंगे।
नकवी का कहना था कि हम यह नहीं कह रहे कि कोर्ट आदेश नहीं दे सकती। एएसआई पर भी संदेह नहीं। किंतु खुदाई से भवन को नुकसान होने की आशंका पर विचार नहीं किया। बिना सबूत के वाद दायर कर दिया, कोर्ट पहले दूसरे पक्ष की आपत्ति पर वाद विंदु तय करें आवश्यक होने पर साक्ष्य भी इकट्ठा किया जाना चाहिए। वाद विंदु तय नहीं, सर्वे का आदेश दे दिए गए। अगर वाद मंजूर होता है तो स्ट्रक्चर खुद ही तय हो जाएगा, सर्वे की जरूरत ही नहीं। वाद को साक्ष्य पर तय किया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस ने जब यह कहा कि रडार प्रणाली से भी जांच हो सकती है तो नकवी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में एएस आई की तरफ से कहा है कि एक हफ्ते बाद खुदाई होगी। आशंका है कि भवन ध्वस्त हो सकता है।
मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि वाराणसी में जिला जज के समक्ष अर्जी में कहा गया है कि गुंबद के नीचे स्ट्रक्चर है। सत्यता पता करने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाए। वहां मंदिर हैं इसके साक्ष्य साइंटिफिक सर्वे से ही मिलेंगे। कोर्ट ने पूछा कि एएसआई को पार्टी क्यों नहीं बनाया तो जैन ने कहा कि कोई नियम नहीं है। एएसआई को विशेषज्ञ के तौर पर आदेश दिया गया है।
जैसे किसी राइटिंग एक्सपर्ट को राइटिंग की जांच के लिए आदेशित किया जाता है। ठीक उसी प्रकार एएसआई को सर्वे के लिए आदेशित किया गया है। इसके लिए पार्टी बनाना जरूरी नहीं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या हाई कोर्ट भी एएसआई के तहत आता है, वहां भी सर्वे कर सकते हैं तो एएसजी आई ने कहा हां आता है।
अंजुमन इंतेजामिया ने कहा- आदेश गलत
याची अंजुमन इंतेजामिया वाराणसी के अधिवक्ता ने कहा, कानून कहता है कि साइंटिफिक सर्वे के आदेश के पूर्व कमीशन भेजा जाता । वह मौके पर जाकर यह स्पष्ट कर सकते हैं कि विवादित स्थल पर साइंटिफिक सर्वे आसानी हो सकता है या नहीं और इसमें क्या दिक्कतें आ सकती हैं। सहूलियत के लिए क्या कदम उठाए जा सकते है। एक अर्जी दाखिल होती है और इमिडियेट कोर्ट साइंटिफिक सर्वे का आदेश कर दिया जो गलत है।
सीपीसी कहती है कि सर्वे कमीशन भेजा जा सकता है। सरकार को भी इस संदर्भ में निर्देश दिया जा सकता है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि साक्ष्य के लिए तकनीकी जांच कर साक्ष्य इकट्ठा करने का आदेश कोर्ट नहीं दे सकती।
बुधवार सुबह ठीक 9.30 बजे इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई । यह जारी है । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 26 जुलाई की शाम पांच बजे तक परिसर में साइंटिफिक सर्वे संबंधी वाराणसी जिला जज के 22 जुलाई के आदेश पर रोक लगाते हुए याची को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया था।