बाराबंकी: स्ट्राबेरी की खेती कर रहे किसान सत्येंद्र, एक एकड़ में 7 से 8 लाख रुपए की लागत से कमा रहे दोगुना मुनाफा
एक एकड़ में सात से आठ लाख की लागत लगाकर लगभग दोगुना फायदा देने वाली इस फसल से जिले के किसानों की आर्थित हालत तो सुधरी ही है, साथ ही अब इसका बाजार भी काफी बड़ा हो गया है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में मेंथा और केले की खेती में महारथ हासिल करने के बाद जिले के प्रगतिशील किसान अब स्ट्राबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। एक एकड़ में सात से आठ लाख की लागत लगाकर लगभग दोगुना फायदा देने वाली इस फसल से जिले के किसानों की आर्थित हालत तो सुधरी ही है, साथ ही अब इसका बाजार भी काफी बड़ा हो गया है। जिससे स्ट्रॉबेरी बेचने के लिये कहीं भटकना नहीं पड़ता। इस खेती के गुर सीखकर कई साल पहले बाराबंकी के प्रगतिशील किसान सत्येंद्र वर्मा ने भी स्ट्राबेरी लगानी शुरू की और आज वह इस फसल से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।
दूसरे किसान भी अपना रहे स्ट्राबेरी की खेती
बाराबंकी जिले के जैदपुर रोड स्थित बरौली गांव के रहने वाले किसान सत्येंद्र वर्मा आज स्ट्रॉबेरी की खेती के महारथी बन चुके हैं। उनकी मानें तो सात लाख से आठ लाख के खर्चे में वह एक साल में अलग-अलग वैराइटी की स्ट्राबेरी पैदा करते हैं। जिसके हिसाब से वह लगभग 15 लाख की स्ट्राबेरी पैदा करके उसे बेचते हैं। इस हिसाब से वह सारे खर्च के बाद कम से कम पांच से छह लाख रुपए तक की कमाई कर लेते हैं। इसी का नतीजा है कि जिले में अब दूसरे किसान भी सत्येंद्र वर्मा के खेतों पर आकर इस फसल के तौर तरीके सीख रहे हैं।
15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक होती है रोपाई
स्ट्राबेरी की खेती करने में महारथ हासिल करने वाले किसान सत्येंद्र वर्मा ने बताया कि वह हिमांचल प्रदेश और महाबलेश्वर जैसी जगहों से प्लांट मंगवाते हैं। 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक इसकी रोपाई का समय है, लेकिन अगर 1 अक्टूबर से पहले यह लगा दी जाये तो पैदावार बहुत अच्छी होती है।
उन्होंने बताया कि एक पेड़ में 800 ग्राम से एक किलो तक फल आते हैं। सत्येंद्र के मुताबिक इस फसल में बचत मौसम पर भी डिपेंड करती है, लेकिन किसानों को घाटा नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि पहले हमें स्ट्रॉबेरी की मंडी और बाजार ढूंढना पड़ता था, लेकिन अब व्यापारी हमें खुद ढूंढते हैं। यानी अब मंडी और बाजार की समस्या नहीं रह गई है।