बाराबंकी में सालों से बंद पड़ी है घंटा घर की घड़ी, जल्द सुनाई देगी उसकी टिक-टिक
बाराबंकी नगर की पहचान ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ी जल्दी शुरू होगी एसडीएम सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि जनसहयोग से घंटाघर के जीर्णोद्धार की पहल प्रशंसनीय है इसमें प्रशासन भी करेगा सहयोग
बाराबंकी नगर की पहचान बने ऐतिहासिक घंटाघर की लंबे समय से बंद पड़ी घड़ी की टिक-टिक एक बार फिर से सुनाई देने की उम्मीद है। ऐसा घंटाघर का पुराना स्वरूप बहाल करने के लिए जनसहयोग से शुरू की गई पहल से संभव हो सकेगा। समाज के सभी वर्गों के सहयोग से न सिर्फ रंग-रोगन होगा बल्कि इसे अतिक्रमण से भी मुक्त कराया जाएगा। इसकी शुरुआत रविवार को संयुक्त मजिस्ट्रेट व उप जिलाधिकारी नवाबगंज सुमित यादव ने नारियल फोड़कर किया।
जानिए एसडीएम ने क्या कहा
एसडीएम सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि जनसहयोग से घंटाघर के जीर्णोद्धार की पहल प्रशंसनीय है। इसमें प्रशासन भी सहयोग करेगा। उन्होंने व्यापारियों से फुटपाथ पर सामान न रखने का आह्वान किया, ताकि आवागमन में कोई परेशानी न हो। पालिकाध्यक्ष शशि श्रीवास्तव के पुत्र अमरजीत श्रीवास्तव ने बताया कि इसमें पूरा सहयोग किया जाएगा। बताया, यहां की घड़ी की मरम्मत के लिए बरेली से कारीगर बुलाया जाता था। कुछ समय पूर्व उनका निधन हो जाने के कारण अब घड़ी नहीं बन पा रही है। इसके लिए अन्य विकल्प पर विचार किया जा रहा है।
घंटा घर को शुरू करने के लिए इन लोगों ने की पहल
सभासद संघ के अध्यक्ष देवेंद्र प्रताप सिंह ज्ञानू, शील प्रकाश शुक्ल बाबुल, प्रद्युम्न यादव, फैसल, संजय रस्तोगी, पुष्कर गुप्ता, संजय निगम, डा. बृजेश सिंह, सुनील त्रिवेदी, कुलदीप रस्तोगी, पंडित पृथ्वी नाथ पुरोहित, चंदन श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।