बहराइच-बाराबंकी-शामली से पकड़े गए PFI मेंबर्स के घरों से रिपोर्ट, कौम पर जुल्म की दास्तां सुनाकर लोगों को जोड़ते थे करीमुद्दीन और नदीम
इनमें से करीमुद्दीन बढ़ई का काम करता है। नदीम लॉ का स्टूडेंट है। जबकि मौलाना साजिद PFI संगठन से जुड़कर राजनीति करता है। उसकी पत्नी ग्राम प्रधान है।
NIA और यूपी ATS की संयुक्त कार्रवाई में गुरुवार को कई जिलों से PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्यों को हिरासत में लिया है। इनमें बहराइच के जरवल कस्बे से करीमुद्दीन, बाराबंकी के कुर्सी कस्बे से नदीम और शामली से मौलाना साजिद को हिरासत में लिया गया है। इनमें से करीमुद्दीन बढ़ई का काम करता है। नदीम लॉ का स्टूडेंट है। जबकि मौलाना साजिद PFI संगठन से जुड़कर राजनीति करता है। उसकी पत्नी ग्राम प्रधान है।
सबसे पहले चलते हैं बहराइच के जरवल कस्बा, जहां से करीमुद्दीन को उठाया गया
- राजधानी लखनऊ से करीब 80 किमी दूर जरवल कस्बा बहराइच जिले में आता है। यह बाराबंकी जिले का बार्डर है। इसके बाद से ही बाराबंकी जिला शुरू हो जाता है। यहां कटरा दक्षिणी में उस वक्त हलचल मच गई, जब बुधवार की रात को पूरा कस्बा सो रहा था। तब आधी रात को करीमुद्दीन के दरवाजे की कुंडी सुरक्षा एजेंसियां खटखटा रही थीं। जैसे ही दरवाजा खुला, करीमुद्दीन को दबोच लिया गया।
- करीमुद्दीन की पत्नी तब्बसुम बताती हैं कि हम लोग थाने गए तो वहां बताया गया कि उन्हें लखनऊ ले जाया गया है। हालांकि, वह अभी तक नहीं लौटे हैं।
अब बात करीमुद्दीन के PFI से जुड़ने की
जरवल कस्बा में छोटी-सी फर्नीचर की दुकान चलाने वाला बढ़ई करीमुद्दीन लगभग पांच साल पहले PFI से जुड़ा था। बताया जा रहा है कि PFI से जोड़ने के लिए उसे संगठन के चला रहे सामाजिक कार्य और कौम पर होने वाले जुल्म की कहानी बताई गई थी। परिवार के लोग भी इसकी पुष्टि करते हैं कि वह संगठन से गरीबों की मदद के नाम पर जुड़ा था।
पुलिस सूत्रों मुताबिक, करीमुद्दीन शुरू में संगठन के सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगा। इसके बाद उसे कस्बे और जिले के प्रभावशाली और पैसे वालों को संगठन से जोड़ने का टारगेट दिया गया। दरअसल, PFI ऐसे लोगों को जोड़कर बहराइच के साथ साथ यूपी में अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती थी।
20 सितंबर को भी PFI की पॉलिटिकल विंग SDPI की सभा हुई थी। जिसमें बेशुमार भीड़ ने शिरकत की थी। यह सभा इस बात का सबूत है कि बहराइच जिले में PFI संगठन कितना मजबूत है। जिले और कस्बे का वहां लगभग हर बड़ा मुसलमान चेहरा मौजूद था। इसका सूत्रधार भी करीमुद्दीन बताया जा रहा है।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि जब बहराइच का नाम टेरर कनेक्शन में सामने आया है। इससे पहले भी टेरर कनेक्शन में इस जिले का नाम सामने आ चुका है।
1998 में मिला बहराइच का टेरर कनेक्शन
साल 1998 में बहराइच में ही सिमी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष शाहिद बद्र फलाही ने हेट स्पीच दी थी। जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया था। 2001 में 9/11 हमले के बाद भारत में सिमी को प्रतिबंधित कर दिया गया था। माना जा रहा है कि देश भर में प्रतिबंधित सिमी के जो सदस्य पुलिस की राडार पर नहीं आ पाए थे, वे अब PFI से जुड़े हुए हैं।
दरअसल, भारत विरोधी गतिविधियां चलाने वाले संगठनों की पहली पसंद बहराइच इसलिए है, क्योंकि वह बार्डर पर स्थित है। 2019 में बहराइच में CAA विरोधी दंगों में भी PFI का नाम सामने आया था। इसके बाद कुछ साल पहले ही PFI के गुमनाम पोस्टर बहराइच में चिपकाए गए थे।
हाथरस रेप कांड में आया था PFI का नाम
इसके बाद 5 अक्टूबर, 2020 को जरवल कस्बे के वैराकाजी गांव निवासी मसूद अहमद को दिल्ली से हाथरस जाते समय मथुरा में टोल प्लाजा से मथुरा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मसूद अहमद दिल्ली जामिया यूनिवर्सिटी में LLB की पढ़ाई कर रहा था। वह PFI की स्टूडेंट विंग (CFI)से जुड़ा था।
अब बात करते हैं बाराबंकी के नदीम की
बुधवार की रात 3.30 बजे बाराबंकी के कुर्सी थाने के गांव गौरहार में अचानक से सुरक्षा एजेंसियों की गाड़ियां आकर रुकीं और संकरे खड़ंजे से होते हुए नदीम के घर की कुंडी खटखटाई गई। दरवाजा खुलते ही धड़धड़ाते हुए 20-25 लोग घर में घुस गए। घर में सभी के मोबाइल ले लिए गए और नदीम को अपनी हिरासत में ले लिया गया। इसके अलावा घर की तलाशी भी ली गई। नदीम की मां आबिदा बताती है, "अब तक 10 बार हमारे यहां छापा पड़ चुका है। हर बार पुलिस वाले आते हैं, घर के सामान इधर-उधर करते हैं और चले जाते हैं। इस बार भी नदीम के अलावा उन्हें घर से कुछ नहीं मिला।"
हालांकि, आबिदा यह नहीं बताती है कि नदीम इससे पहले भी CAA विरोधी दंगों में मुख्य आरोपियों में नाम आने के बाद गिरफ्तार हो चुका है। बहरहाल, जब हमने पड़ताल की तो नदीम के बारे में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए।
लॉ का स्टूडेंट है नदीम, बाराबंकी से पढ़ाई कर रहा है
नदीम भी PFI से लगभग पांच साल पहले जुड़ा है। पढ़ाई के दौरान ही उसे संगठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। वह संगठन का राष्ट्रीय स्तर पर कोषाध्यक्ष का काम देखता है।
बताया जा रहा है कि नदीम सरकार विरोधी धरना-प्रदर्शनों में पहले भी शामिल होता रहा है। सुरक्षा एजेंसियों की नजर में वह CAA हिंसा के दौरान ही आ गया था। इसी के बाद से वह लगातार ट्रैक किया जा रहा था। पुलिस सूत्रों की मानें, तो नदीम संगठन को प्रदेश में मजबूत करने के लिए फंडिंग का काम करता है। उसे प्रभावशाली लोगों को संगठन से जोड़ने का निर्देश दिया गया था। जिसे वह पढ़ाई करते-करते बखूबी अंजाम दे रहा था।
भाई करते हैं खेती किसानी
नदीम चार भाई हैं। दो उससे बड़े हैं और एक छोटा भाई है। नदीम का बड़ा भाई सऊदी अरब में काम करता था। कोरोना के वक्त वह वापस घर आ गया था। तब से वह जरी का काम कर रहा है। जबकि उससे छोटा भाई खेती-किसानी करता है। सबसे छोटा भाई भी पढ़ाई कर रहा है। आरोपी नदीम की शादी हो चुकी है। उसका 11 महीने का बच्चा भी है। जब वह गिरफ्तार हुआ, तो उसकी पत्नी घर में ही थी।
कुर्सी कस्बे का है टेरर कनेक्शन
कुछ दिनों पहले भी कुर्सी थाना क्षेत्र के अनवारी गांव से एक मदरसा संचालक के यहां छापेमारी कर ATS ने मोहम्मद आमिर उर्फ हामिद नाम के युवक को गिरफ्तार किया गया था। मोहम्मद आमिर लखीमपुर जिले में मोहम्मदी का रहने वाला था। वह यहां अपनी बहन के घर पर रह रहा था। मोहम्मद आमिर शिक्षण संस्थानों के संचालन के साथ PFI में सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य कर रहा था। मोहम्मद आमिर लखनऊ में एक कोचिंग से भी जुड़ा था।
मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में PFI कर रही विस्तार
PFI से जुड़े पदाधिकारी का टारगेट मुस्लिम बाहुल्य इलाके ही हैं। बाराबंकी के कुर्सी के अलावा तहसील रामनगर में भी काफी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। 2008 में रामनगर के रामपुर कटरा में PFI के पोस्टर हर दरवाजे पर लगाए गए थे। उस समय के तत्कालीन SP नवनीत राणा ने 5 लोगों का अरेस्ट कराया था।
अब बात करते हैं शामली के मौलाना साजिद की, जो PFI के नाम पर करता है राजनीति
शामली में बुधवार की आधी रात को सुरक्षा एजेंसियों के अफसर मामोर गांव पहुंचते हैं। प्रधानपति मौलाना साजिद का घर खुलवाने के बाद उससे कुछ देर तक पूछताछ चलती है और फिर उसे हिरासत में ले लिया जाता है। मुस्लिम बाहुल्य मामोर गांव में मौलाना साजिद एक मंझा हुआ राजनीतिज्ञ माना जाता है। गांव में उसके समर्थकों की अच्छी खासी भीड़ भी है, लेकिन गांव के लोगों को नहीं मालूम था कि वह PFI के लिए फंडिंग के मामले से भी जुड़ा हुआ है। हालांकि, इस संबंध में वह दबी जुबान चर्चा तो कर रहे हैं लेकिन कोई भी बोलने को तैयार नहीं है।
मौलाना साजिद पर फंडिंग और कैंप में ब्रेनवॉश का आरोप
मौलाना साजिद पर आरोप है कि वह संगठन के लिए फंडिंग इकट्ठा करता था। साथ ही ब्रेनवॉश का भी काम करता था। बताया जा रहा है कि मौलाना साजिद PFI से 6 साल से ज्यादा समय से जुड़ा है। बताया जा रहा है कि PFI से जुड़कर उसने पहले अपना राजनीतिक रुतबा बनाया। इसके बाद संगठन ने उसे फंडिंग के काम में लगा दिया। कभी खेती करने वाला मौलाना साजिद अब बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमता है।
इलाके के लोग दबी जुबान में बताते हैं कि साजिद का जैसे जैसे राजनीतिक कद बढ़ना शुरू हुआ, उसकी एक्टिविटी PFI के लिए बढ़ने लगी। उसने इलाके और गांव के कई लोगों को PFI से जोड़ा हुआ है। साथ ही वह लगातार उनके और नए लोगों का ब्रेनवॉश का भी काम कर रहा है। उन्हें कौम के खिलाफ हो रही साजिशों की कहानियां सुनाकर उन्हें बरगलाता था।
2019 में हो चुका है गिरफ्तार
मौलाना साजिद 2019 में भी गिरफ्तार हो चुका है। उसके ऊपर दिसंबर 2019 में CAA विरोधी दंगों में आपत्तिजनक पोस्टर बांटने के आरोप लगे थे। साजिद के साथ कुछ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, उसे बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया था। इसके बाद से ही मौलाना साजिद सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आ गया था।
देश के 20 राज्यों में फैला है PFI
1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1994 में केरल में मुसलमानों ने नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) की स्थापना की। धीरे-धीरे केरल में इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई और इस संगठन की सांप्रदायिक गतिविधियों में संलिप्तता भी सामने आती गई। साल 2003 में कोझिकोड के मराड बीच पर 8 हिंदुओं की हत्या में NDF के कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए। इस घटना के बाद BJP ने NDF के ISI से संबंध होने के आरोप लगाए, जिन्हें साबित नहीं किया जा सका।
केरल के अलावा कर्नाटक में कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी यानी KFD और तमिलनाडु में मनिथा नीति पसाराई (MNP) नाम के संगठन जमीनी स्तर पर मुसलमानों के लिए काम कर रहे थे। इन संगठनों का भी हिंसक गतिविधियों में नाम आता रहा था।
नवंबर 2006 में दिल्ली में एक बैठक हुई। इसके बाद NDF इन संगठनों के साथ मिल गया और PFI का गठन हुआ। तब से यह संगठन काम कर रहा है। अभी ये देश के 20 राज्यों में एक्टिव है।
अभी किन राज्यों में बैन है PFI
PFI के राष्ट्रीय महासचिव अनीस अहमद के मुताबिक, PFI अभी सिर्फ झारखंड में ही बैन है। इसके खिलाफ PFI ने कोर्ट में अपील भी की है। इससे पहले भी हमें बैन किया गया था, लेकिन रांची हाईकोर्ट ने बैन हटा दिया था। ये बैन भी जल्द ही हट जाएगा।
PFI खुद को लेकर दावे करता है
अपनी वेबसाइट (www.popularfrontindia.org) पर PFI दावा करता है कि इस संगठन का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता, साम्प्रदायिक सौहार्द और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है। देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था, धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था और कानून के शासन को बनाए रखना है।