बाराबंकी: घर की दहलीज लांघ बन गईं सबकी ‘दीदी’, सूरतगंज ब्लाक में 13 हजार से ज्यादा महिलाएं स्वावलंंबी
बाराबंकी में में सर्वाधिक सूरतगंज ब्लाक की 1233 स्वयं सहायता समूह की 13 हजार 183 महिलाएं अब पूरी तरहा से स्वावलंबी बन चुकी हैं। सूरतगंज में वर्ष 2014-15 से महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया था।
घरों में काम करने वाली महिलाओं ने जब दहलीज लांघी तो वह सबकी ‘दीदी’ बन गईं। अब वह आर्थिक प्रगति एवं गरीबी उन्मूलन की यात्रा में पुरुषों से अधिक सफल हैं। जिले में सर्वाधिक सूरतगंज ब्लाक की 1233 स्वयं सहायता समूह की 13 हजार 183 महिलाएं अब स्वावलंबी बन चुकी हैं। यह स्वयं का रोजगार शुरू कर और महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध करा रही हैं।
रोजगार से जुड़ी यह दीदियां
विद्युत सखी: सूरतगंज में विद्युत सखी हैं। इसमें कार्यरत 14 महिलाएं गांव के घर-घर पहुंचकर बिल जमा कर रही हैं।
कोटे की दुकान : दो ऐसे स्वयं सहायता समूह हैं, जो स्वयं के गांव में राशन की दुकान संचालित कर रही हैं।
महिला मेट : 221 दीदियों को मनरेगा के तहत महिला मेट बनाया गया है। यह गांव के विकास में मजदूरों के संग काम कर रही हैं।
बैंक साखी : यहां की आठ दीदियां विभिन्न बैंकों में बैंक साखी के रूप में कार्यरत हैं, जो खाताधारकों का लेनदेन करवाने में सहयोग करती हैं।
कृषि एवं पशु सखीः 50 महिलाएं कृषि एवं पशु साखी के रूप में कार्य कर रही हैं। जो कृषि, पशु पालन का कार्य करने वाली दीदियों को नए तौर तरीकों की जानकारी देती हैं। सभी सखियों को मानदेय भी दिया जाता है।
केयर टेकरः 103 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय में इतनी ही महिलाएं देखरेख का कार्य कर रही हैं।
यह भी काम कर रही दीदियां
ब्लाक मिशन प्रबंधक मोनू श्रीवास्तव ने बताया कि सूरतगंज की 10 महिलाएं वित्तीय साक्षरता के कार्य जैसे बीमा व बचत का लाभ दिलाने में सहयोग देती हैं। 90 दीदियां स्वास्थ्य सखी के रूप में कार्य करती हैं। 350 महिलाएं विभिन्न जिले में जाकर समूह संग ग्राम संगठन का कार्य करती हैं। चार महिलाएं इंटरनल रिसोर्स पर्सन (आइपीआरपी) का कार्य करती हैं।
दो हजार महिलाएं जैविक खेती व पशु पालन का कार्य कर रही हैं। 350 महिलाएं मुर्गी पालन का कार्य कर रही हैं। दो समूह की महिलाएं प्रेरणा कैंटीन का संचालन कर रही हैं। दस महिलाएं आनलाइन बिक्री के लिए चयनित की गई हैं, जो समूह में तैयार उत्पाद को बेचने का कार्य कर रही हैं। जैसे राखी, जैविक खाद, मोमबत्ती, कैंडल दीये आदि।
सूरतगंज में वर्ष 2014-15 से महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया। शुरुआत में कुछ महिलाएं ही उससे जुड़ीं, लेकिन धीरे-धीरे दीदियों का स्वयं सहायता समूह के प्रति लगाव बढ़ता गया। -बीके मोहन, डिप्टी कमिश्नर, राष्ट्रीय आजीविका मिशन।