बाराबंकी में शारदीय नवरात्र पर सजा माता का दरबार, जानिये सैलानी माता मंदिर की अद्भुद कहानी
रात के समय सिंह पर सवार होकर आती हैं मां, किसी को रुकने की नहीं है अनुमति।
बाराबंकी में नवरात्रि के नौ दिनों भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से होती है। हिन्दु धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्त्व है। नवरात्रि में जगह-जगह दुर्गा पूजा के पंडाल सजाए जाते हैं। मंदिरों में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
बाराबंकी में भी कई दुर्गा मंदिर हैं। इन मंदिरों की अपनी-अलग कहानी भी है। आज आपको एक ऐसे ही अद्भुत दुर्गा मंदिर की कहानी से रूबरू कराते हैं। जिसे सैलानी माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां माता के दर्शन के लिए हजारों भक्त आते हैं।
अभयारण्य में स्नान करके पूजा-अर्चना करते हैं
इस मंदिर की ऐसी विशेषता है कि यहाँ दर्शन करने आए भक्त अगर यहां स्थित अभयारण्य में स्नान करके पूजा-अर्चना करते हैं। तो उन की सभी मनोकामनाएं माता जरूर पूरी करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां प्रतिदिन रात्रि में माता सिंह की सवारी करके आती हैं। इसलिये मंदिर परिसर या उसके आसपास रात के समय कोई नहीं रुक सकता।
भक्त पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ में पूजा करते हैं
बाराबंकी के सतरिख थाना क्षेत्र में माता सैलानी देवी का मंदिर स्थित है। मान्यता है कि नवरात्र में जो भक्त यहां पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ में पूजा करते हैं और मन्नत मांगते हैं। उनकी सभी मन्नतें पूर्ण होती हैं। माता सैलानी देवी मंदिर परिसर में एक अभयारण्य भी है। मान्यता है कि यहां पर भक्त पहले स्नान करते हैं फिर मंदिर में दर्शन कर पूजा-अर्चना करते हैं।
अभयारण्य की खासियत पानी नीचे नहीं जाता है
इस अभयारण्य की खासियत है कि यहां का पानी कभी नीचे नहीं जाता। पानी लगातार निकलता रहता है। मान्यता के अनुसार जैसे-जैसे भक्तों की संख्या बढ़ती है। वैसे-वैसे इस अभयारण्य का पानी ऊपर आता जाता है। इस अभयारण्य का जल मंदिर के पास से ही गुजरी गोमती नदी में जाकर मिलता है। इस अभयारण्य में रंग बिरंगी मछलियां तैरती हुई नजर आती हैं। मान्यता है कि यहां स्नान करने के बाद माता की पूजा करने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।