बाराबंकी: एक बच्चे के दो दावेदारों को लेकर आया फैसला, DNA रिपोर्ट में जैदपुर के परिवार का निकला बच्चा
डीएनए रिपोर्ट के आधार पर जैदपुर के विक्रम व उसकी पत्नी को बच्चे का माता-पिता बताकर फैसला सुनाया गया। दो महीने बाद नवजात को पाकर माता-पिता के चेहरे खिल उठे।
बाराबंकी के जिला महिला अस्पताल में दो महीने पहले एक साथ जन्मे दो बच्चों में एक की मौत के बाद हंगामा हो गया था। दो परिवार जीवित बच्चे पर अपना-अपना दावा कर रहे थे। मृतक नवजात बच्चे को दोनों परिवार में से कोई लेने को तैयार नहीं था।
हंगामे के बाद तय हुआ था कि डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। जिसके बाद साबित होगा की बच्चा किसका है। दो महीने बाद सीडब्लूसी की चार सदस्यीय मजिस्ट्रेट की पीठ ने डीएनए रिपोर्ट के आधार पर जैदपुर के विक्रम व उसकी पत्नी को बच्चे का माता-पिता बताकर फैसला सुनाया। दो महीने बाद नवजात को पाकर माता-पिता के चेहरे खिल उठे।
अब जानते हैं पूरा मामला
पूरा मामला 2 महीने पहले बाराबंकी जिला महिला अस्पताल का है। यह SNCU में दो नवजात बच्चे एक साथ भर्ती किए गए थे। एक बच्चा फतेहपुर कोतवाली क्षेत्र के बन्नी रोशनपुर के रहने वाले सत्येंद्र वर्मा का था। जबकि दूसरा बच्चा जैदपुर कोतवाली क्षेत्र के जियनपुर के रहने वाले विक्रम का था।
इलाज के समय एक बच्चे की हो गई थी मौत
इलाज के दौरान एक नवजात बच्चे की मौत हो गई थी। नवजात बच्चे की मौत के बाद उसके शव को दोनों परिवार में से कोई पक्ष लेने को नहीं तैयार था। जीवित नवजात पर दोनों पक्ष अपना-अपना दावा कर रहे थे।
लखनऊ में रखा गया था बच्चा
दोनों परिवारों के एक ही बच्चे पर किए जा रहे दावे के बाद अस्पताल में हंगामा हुआ था। मामला संवेदनशील होता देख पुलिस ने डीएनए टेस्ट कराने का फैसला किया था। उसके बाद जीवित नवजात बच्चे को राजकीय बालगृह (शिशु) प्राग नारायन रोड लखनऊ में रखा गया था।
सीडब्लूसी की 4 सदस्यीय मजिस्ट्रेटी पीठ ने दिया फैसला
दो महीने बाद सीडब्लूसी की चार सदस्यीय मजिस्ट्रेट की पीठ ने बाराबंकी के जैदपुर कोतवाली क्षेत्र के जियनपुर के रहने वाले विक्रम व उनके पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाया। दो महीने बाद नवजात बच्चे को पाकर माता-पिता के चेहरे खिल उठे। वहीं फतेहपुर के परिवार का दावा गलत निकला।