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Monday, September 30, 2024
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बरेली: अरेस्‍ट करने पहुंचा कोतवाल तो दीवार कूद सरपट भागे IG, यूपी पुलिस का मजेदार किस्‍सा न सुना होगा

उत्‍तर प्रदेश के रिटायर्ड डीएसपी केके गौतम की ईमानदारी के किस्‍से मशहूर हैं। बरेली में शहर कोतवाल रहते हुए उन्‍होंने तत्‍कालीन आईजी रेंज के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था। उनके इस फैसले से पूरे महकमे में हड़कंप मच गया था। बात इतनी ज्‍यादा बढ़ गई थी कि उस समय के मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव को बरेली आना पड़ गया था।

बरेली: अरेस्‍ट करने पहुंचा कोतवाल तो दीवार कूद सरपट भागे IG, यूपी पुलिस का मजेदार किस्‍सा न सुना होगा

उत्‍तर प्रदेश में सरकार चाहे जिसकी रही हो, रिश्‍वतखोर पुलिसवाले हर शासनकाल में मौजूद रहे हैं। 24 घंटे जनता की सेवा में जुटी रहने वाली पुलिस कुछ भ्रष्‍टाचारियों की वजह से बदनाम होती रही है। भ्रष्‍टाचार का घुन ऊपर से लेकर नीचे तक के अफसरों में लग चुका है। काजल की इस कोठरी में कई ऐसे पुलिसवाले भी हैं जिनके दामन पर एक दाग तक नहीं लगा है। ऐसे ही पुलिस अफसरों में रिटायर्ड डीएसपी केके गौतम का नाम बड़े फक्र के साथ लिया जाता है। पुलिस महकमे में केके गौतम की ईमानदारी के कई किस्‍से हैं। उन्‍हीं में एक किस्‍सा आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं।

गाजियाबाद के दादरी में रहने वाले केके गौतम बरेली से जुड़ा एक रोचक वाकया सुनाया। वह बताते हैं -'1994 में मैं शहर कोतवाल था। बरेली रेंज के तत्‍कालीन आईजी (पुलिस महानिरीक्षक) से मेरा 36 का आंकड़ा था। आईजी साहब बिना रिश्‍वत लिए नौकरी नहीं करते थे। कोई थाना ऐसा नहीं था जहां से वह रिश्‍वत नहीं मांगते थे पर मुझे यह बात पसंद नहीं थी। मैंने उनसे बोल दिया कि रिश्‍वत नहीं दूंगा। जो करना है कर लीजिए। मेरी पोस्टिंग होने के 15 दिन बाद मुझे आईजी दफ्तर में तलब किया जाता है। जैसे ही मैं वहां पहुंचा उन्‍हें सैल्‍यूट किया। वे मुझ पर बरस पड़े। बोले- तुम्‍हें जरा भी अकल नहीं शहर कोतवाल होकर। मेरे घर में सब्‍जी और राशन कहां से आएगा। ड्राई फ्रूट्स कहां से आएंगे। इस पर मैंने कहा कि ये सब तो बाजार से आएंगे। आप अपने नौकरों से मंगा लेते। ये बातें सुनकर आईजी साहब का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा। बोले- तुम पागल हो क्‍या। तुम्‍हारा दिमाग ठीक कर दूंगा।'

आईजी ने कहा- हर महीने 1 लाख रुपये देने पड़ेंगे
मैंने पूछा- 'आपके नाराजगी की वजह क्‍या है यह तो बताइए। इस पर आईजी ने कहा कि तुम बरेली शहर के कोतवाल हो। यह सबसे बड़ा थाना है। तुम्‍हें हर महीने एक लाख रुपये देने होंगे। जब मैंने असमर्थता व्‍यक्‍त की तो उन्‍होंने कहा कि मैंने तुम्‍हारे बारे में सब पता लगा लिया है। तुम ईमानदार टाइप के हो। इसलिए 50 हजार रुपये महीना दे दो। मैंने कहा कि इतना पैसा भी आपको हर महीने नहीं दे सकता। आईजी साहब अब आपे से बाहर हो गए। बोले तुम्‍हें बर्बाद करके रख दूंगा। वे काफी देर तक बड़बड़ाते रहे और मैं उन्‍हें सलाम करके कमरे से बाहर निकल गया। उस दिन मुझे आईजी के व्‍यवहार से बहुत तकलीफ हुई।'

एसएसपी ने कंधे पर रखा हाथ तो आंसू छलक आए
उस समय सुभाष गुप्‍ता बरेली के एसएसपी थे। वह फौजी पृष्‍ठभूमि के थे। इसलिए अनुशासित तरीके से काम करना और करवाना जानते थे। मैं सीधा उनके बंगले पर जा धमका। वह इतने संवेदनशील थे कि मेरा चेहरा देखते ही काफी कुछ अंदाजा लगा लिया। मेरी लाल आंखें और तमतमाया चेहरा देख वह कुर्सी से उठ खड़े हुए। मेरे पास आए और कंधे पर हाथ रखकर पूछा कि आखिर क्‍या बात हो गई गौतम। मैं अपमानित किए जाने से आहत था इसलिए एसएसपी साहब का व्‍यवहार देख आंखों में आंसू छलक आए। उन्‍होंने मुझे अपने पास कुर्सी पर बैठाया और बाहर से मंगवाकर एक के बाद एक कई कोल्‍ड ड्रिंक पिलाई। जब मैं थोड़ा नार्मल हुआ तो उन्‍हें आईजी के व्‍यवहार के बारे में बताया। उनसे कहा कि मैं इस आईजी को जरूर सबक सिखाऊंगा। इस पर एसएसपी सुभाष गुप्‍ता ने मुझे काफी समझा-बुझाकर घर भेज दिया।

फॉलोवर से बातचीत कर ली टेप में रिकॉर्ड
आईजी की बातें मेरे दिमाग में घर कर गई थीं। मैंने अपने एक दरोगा को दिल्‍ली भेजकर अच्‍छा वाला टेप रिकॉर्डर मंगवाया। अब मैं पूरी तैयारी के साथ आईजी सीडी केंथ से मिलने पहुंचा। मैंने माइक कॉलर के नीचे छिपा लिया और रिकॉर्डर अपनी कार में लगा दिया। आईजी से कहा कि मैं तो हर महीने आपको 50 हजार रिश्‍वत भी नहीं दे सकता हूं। आप थोड़ा और रियायत करो। इस पर उन्‍होंने कहा कि उनका फॉलोअर पान सिंह आएगा और इस बारे में बात करेगा। मैं वापस अपने कोतवाली चला गया और फॉलोअर का इंतजार करने लगा। शाम पांच बजे पान सिंह आए। पान सिंह ने कहा कि आप हर महीने तीस हजार रुपये दे देना। मैं आईजी साहब को समझा लूंगा। ये सारी बातें टेप में रेकॉर्ड हो गईं। मैंने पान सिंह से पूछा कि तुम हर थाने से कितना पैसा लेते हो। इस पर उसने कहा कि वह दो से पांच हजार रुपये प्रति थाना लेता है। आईजी के अधिकारक्षेत्र में उस समय 220 थाने हुआ करते थे। ऐसे में फॉलोअर कुछ नहीं तो कम से कम 5 लाख रुपये तो कमा ही लेता रहा होगा।

थप्‍पड़ मार फॉलोवर को हवालात में किया बंद
मैंने जेब में साइन करके पैसे रखे थे और उसे निकालकर फॉलोअर को दे दिए। मैंने कहा कि अभी पैसे कुछ कम हैं। आगे और दे दूंगा। इसी बीच, मैंने अपने एक सिपाही को आवाज देकर बुलाया और फॉलोअर की तलाशी लेने को कहा। सिपाही ने तलाशी ली तो जेब से मेरे दस्‍तखत किए हुए पैसे निकले। पूछने पर फॉलोअर ने कहा कि ये पैसा आपने ही तो दिया है। तब मैंने कहा कि तुमने मुझसे रिश्‍वत लिया है। इस बात का अंजाम तुमको और तुम्‍हारे आईजी को भुगतना पड़ेगा। मैंने फॉलोअर की शर्ट उतरवाई और पैसे समेत उसे सील कर दिया। फिर उसे चार थप्‍पड़ मारकर हवालात में बंद कर दिया।

आईजी के खिलाफ दर्ज कराई भ्रष्‍टाचार की एफआईआर
फॉलोअर मेरी कोतवाली में आईजी साहब की जिप्‍सी में बैठकर आया था। जब जिप्‍सी में आईजी नहीं बैठे होते हैं तब उसके स्‍टार ढंके होने चाहिए। साथ ही फॉलोअर जिप्‍सी की अगली सीट पर बैठकर आया था जिस पर आईजी को बैठना चाहिए। मैंने तुरंत जिप्‍सी की फोटो निकलवाई। अगर स्‍टार ढंके नहीं हैं तो जिप्‍सी पर आईजी के अलावा कोई बैठ ही नहीं सकता है। ये प्रोटोकॉल है। मैंने आईजी की जिप्‍सी को भी जब्‍त कर लिया। फिर मैंने आईजी के खिलाफ अपने थाने में भ्रष्‍टाचार किए जाने को लेकर एफआईआर दर्ज कराई। इसमें मैंने शुरू से लेकर अंत तक सारी कहानी बताई। अंत में मैंने ये भी लिखा कि मुझे पता है कि सबसे पहले मुझे सस्‍पेंड किया जाएगा। फिर बर्खास्‍त। आईजी के पंजाब के आतंकियों से संबंध हैं इसलिए हो सकता है कि वह मुझे मरवा भी दें।

आईजी को अरेस्‍ट करने पहुंचा तो मच गया हड़कंप
फिर मैंने आईजी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया। मैंने दो गाड़ी भरके फोर्स मंगाई और आईजी को अरेस्‍ट करने से पहले एसएसपी सुभाष गुप्‍ता को फोन कर पूरी बात बताई। एसएसपी साहब ने जैसे ही ये सारी बातें सुनीं, उनके नीचे से जमीन खिसक गई। वे बोले- गौतम मैं तुम्‍हारी कोतवाली में आ रहा हूं। तुम अभी कहीं नहीं जाओगे। पर मैं नहीं माना और फोर्स लेकर निकल गया। अब बात पूरे महकमे में फैल गई और हड़कंप मच गया। एसपी सिटी, एसपी देहात से लेकर तमाम सीओ की गाड़ियां दनदनाती हुई मेरे कोतवाली की तरफ आने लगीं। एसएसपी ने इस बीच आईजी को फोन कर पूरी बात बता दी। यह सुनते ही आईजी भी भौचक्‍का रह गए। वह जब तक अपनी गाड़ी में बैठकर बाहर कहीं जा पाते, मैं उनके दफ्तर धमक पड़ा। मुझे देखते ही आईजी बचने के लिए तीन फिर ऊंची दीवार कूद कर अपने दफ्तर के पीछे बने कमिश्‍नर के बंगले में भाग गए। इस कोशिश में वह जमीन पर गिर भी पड़े।

अखबारों में भेज दी थी एफआईआर की कॉपी
इस दौरान कई थानों के पुलिस अधिकारी वहां पहुंच चुके थे और सबने मिलकर मुझे पकड़ लिया। यहां आने से पहले मैंने एफआईआर की कई फोटो कॉपी करवाकर सभी अखबारों में भिजवा दी थी। मुझे डर था कि ये लोग थाने में दर्ज एफआईआर में आग लगा सकते हैं। जैसे ही ये बात एसएसपी और डीआईजी को पता लगी, सिपाहियों को सभी अखबारों के दफ्तर में दौड़ा दिया। सिपाही अखबारों के दफ्तर पहुंचे पर संपादकों ने एफआईआर वापस करने से मना कर दिया। थकहार सिपाही वापस आ गए। अगले दिन सभी अखबारों में यह खबर छपी तो यूपी के साथ पूरे देश में इसकी चर्चा शुरू हो गई।

मुझे लगा बंद कमरे में डीजीपी थप्‍पड़ जरूर मारेंगे
इस घटना के तीसरे दिन तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव बरेली आ गए। आईजी से उनके अच्‍छे संबंध थे। मुझे मुख्‍यमंत्री के सामने पेश किया गया। उन्‍होंने कहा कि तुमने पूरे देश में यूपी पुलिस का नाम खराब कर दिया है। उन्‍होंने डीजीपी से कहा कि इनको दूसरे कमरे में ले जाओ और इनका दिमाग ठीक करो। मेरे साथ करीब 10-12 अफसर भी कमरे में गए। डीजीपी ने सबको बाहर भेज दिया और कहा कि मैं इनसे अकेले बात करूंगा। अब मुझे लग रहा था कि ये मुझे एकाध थप्‍पड़ मारेंगे जरूर पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। डीजीपी ने कहा कि मैं पिछले छह महीने से इस आईजी को कह रहा था कि रिश्‍वतखोरी बंद कर दो पर यह मान नहीं रहा था। तुमने जो हिम्‍मत दिखाई है वह काबिले-तारीफ है। मैं तुमको आश्‍वस्‍त करता हूं कि तुम्‍हें किसी मुसीबत में नहीं पड़ने दूंगा। डीजीपी ने कहा कि बाहर मैं तुम्‍हें सीएम के सामने सबको दिखाने के लिए खूब डांट फटकार लगाऊंगा, तुम उसे अन्‍यथा मत लेना। फिर वह मुझे कमरे से बाहर ले आए और मुलायम सिंह यादव के सामने गेट आउट कहकर भगा दिया।

आईजी ने घर की बिजली और फोन कनेक्‍शन कटवाया
इसके बाद मुझे सस्‍पेंड कर दिया गया। मैंने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लगाई। जब मैं इस काम के लिए इलाहाबाद गया हुआ था, इस बीच आईजी ने मेरे घर की बिजली कटवा दी। मई के महीने में पानी और फोन का कनेक्‍शन कटवा दिया। मेरे घरवाले परेशान हो उठे। इस बीच हालचाल के लिए मैंने घर फोन लगाया तो लगे ही ना। फिर घर के पास एक शोरूम के नंबर पर फोन किया। उन्‍होंने बताया कि आपके घर का कनेक्‍शन काट दिया गया है। खैर, बाद में व्‍यापार मंडल के लोगों ने मेरे घर पर पानी समेत सारी व्‍यवस्‍थाएं करा दीं।

लाल कृष्‍ण आडवाणी ने दिल्‍ली बुलाकर लगाया गले
अब मुझे किसी ने सलाह दी कि आप हाई कोर्ट के चक्‍कर में कहां पड़े हैं। आप सुप्रीम कोर्ट में केस डालो। तब मैं दिल्‍ली जाकर बड़े वकील राम जेठमलानी से मिला। इसी बीच, बीजेपी के बड़े नेता लालकृष्‍ण आडवाणी ने भी मुझे मिलने के लिए बुलाया। मैं वहां पहुंचा तो उन्‍होंने कहा कि तुम वही कोतवाल हो न जिसने आईजी की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया था। आडवाणी जी ने खड़े होकर मुझे गले लगाया और कहा कि कोई भी मदद की जरूरत तो मुझे बताना।

राम जेठमलानी और अरुण जेटली ने दिलाई जीत
फिर मैं राम जेठमलानी के पास गया। उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट में मेरी याचिका मंजूर कराई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दिल्‍ली हाई कोर्ट भेज दिया। फिर मैं आडवाणी जी से मिला। उन्‍होंने अरुण जेटली से मेरा केस लड़ने के लिए कहा। करीब एक साल से ज्‍यादा मामला चला। मुझे इस केस में जीत मिली। मुझे बरेली कोतवाल के रूप में फिर से नियुक्ति मिल गई। आईजी के भ्रष्‍टाचार मामले की जांच की जिम्‍मेदारी यूपी सरकार ने एक एडीजी को सौंपी। जांच के बाद सारे आरोप सही पाए गए। आईजी साहब की गिरफ्तारी की नौबत आ गई थी, लेकिन आईपीएस एसोसिएशन के दबाव के चलते ऐसा नहीं हो सका।

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