श्मशान, फिर पार्क, अब बारात घर, 3.5 करोड़ खर्च... लोगों का सवाल- कौन हैं योजना बनाने वाले लोग, कहां से आते हैं?
बस्ती में एक योजना बनी। उस पर 3.5 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। राशि के खर्च किए जाने के बाद भी योजना से क्या बना, इसके बारे में लोग ठोस आइडिया नहीं लगा पा रहे हैं। विकास योजनाओं की राशि की फिजुलखर्ची का यह अलग ही मामला सामने आया है। आपत्ति हर कोई जता रहा है।
योजना श्मशान घाट के निर्माण की बनी। 3.5 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। स्ट्रक्चर बनकर तैयार हो गया। लेकिन, निर्माण होने के बाद इसके उपयोग पर पेंच फंस गया। फिर अधिकारियों ने इस स्थान को पार्क में बदल दिया। पार्क भी प्रयोग में नहीं आया तो एक बार फिर योजना में बदलाव किया गया। अबकी बार इसे बारात घर का नाम दे दिया गया। लेकिन, उपयोग तब भी नहीं हुआ। अंतिम संस्कार से विवाह संस्कार तक के लिए जिस स्थान को अदला-बदला जाता रहा है, उसकी योजना बनाने वाले अधिकारियों के लोगों का भाव यही कहता है- कौन हैं ये, कहां से आते हैं। सरकारी योजना मद की राशि के दुरुपयोग का इससे बड़ा उदाहरण आपको देखने को नहीं मिलेगा। यह मामला बस्ती का है। नगरपालिका के अधकारियों की कार्यप्रणाली इन दिनों सवालों के घेरे में है।
सरकारी योजनाओं को बिना जनता के अनुमोदन के बनाए जाने और इस पर राशि खर्च किए जाने का क्या परिणाम निकलता है, यह बस्ती के कुआनो नदी के अहमह घाट पर बने निर्माण को देखकर समझा जा सकता है। सरकार ने एक योजना पर करीब 3.5 करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन आज तक आम जनता ये नही समझ पाई कि आखिर इतना बजट खर्च कर बनाया क्या गया है? दरअसल, इस योजना के तहत अमहट घाट पर सबसे पहले शमशान घाट बना। फिर जब उसका उपयोग नहीं हुआ तो अधिकारियों ने उसे पार्क में बदल दिया। इसका भी जब कोई प्रयोग नहीं हुआ तो उसे बारात घर में बदल दिया। बारात घर का भी प्रयोग आज तक आम जनता नही कर पाई है। मतलब सरकारी धन का इससे ज्यादा और जीता-जागता दुरुपयोग का उदाहरण कुछ हो ही नहीं सकता है।
नगर पालिका की ओर से कराया गया निर्माण
कुआनो नदी के अमहट घाट पर नगर पालिका की ओर से 3.5 करोड़ रुपये से अंत्येष्टि स्थल का निर्माण कराया गया। वर्ष 2015 में इस निर्माण को पूरा कराया। 7 साल बीत गए, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो सका है। तत्कालीन डीएम आशुतोष निरंजन ने करीब दो साल पहले इस स्थल को बरात घर के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए थे। वित्तीय और तकनीकी कारणों से इसका स्वरूप नहीं बदला जा सका। नतीजतन, इस स्थान पर न तो लोगों का अंतिम संस्कार हो सका और न शहनाई बज सकी। न ही पार्क के रूप में विकसित होने की स्थिति में लोग इस जगह कभी आए।
वर्ष 2012 में बनाई गई थी योजना
बस्ती नगर पालिका की ओर से वर्ष 2012-13 में अमहट घाट पर अंत्येष्टि स्थल के निर्माण की योजना तैयार की थी। इसके लिए 4.65 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा था। इस पर शासन ने अपनी सहमति दे दी। इसके बाद निर्माण शुरू हो गया। वर्ष 2015-16 में निर्माण पूरा हो गया, मगर आयुक्त कार्यालय के पास स्थित अंत्येष्टि स्थल के संचालन की प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। फिर पार्क बनाने का प्रस्ताव आ गया। इसी बीच नगर पालिका का चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई। फिर मामला खिंचता चला गया। चुनाव के बाद नए अध्यक्ष ने शुरू में इस पर ध्यान नहीं दिया। बाद में योजना पर मंथन शुरू हुआ तो तमाम तकनीकी पहलुओं के चलते रस्साकसी होने लगी। शासन ने इसकी जांच भी कराई और मामला सदन तक गूंजा।
योजना के स्वरूप पर सवाल उठे तो तमात जांच और विवाद के बाद तत्कालीन डीएम आशुतोष निरंजन ने अमहट घाट पर अंत्येष्टि स्थल को खारिज करते हुए नगर पालिका को इसका स्वरूप बदलकर बरात घर बनाने के निर्देश दिया। दो वर्ष से वित्तीय व अन्य कारणों से इसका स्वरूप बदला नहीं जा सका है। कुआनो नदी के अमहट घाट पर स्थापित अंत्येष्टि स्थल के स्वरूप को बदलने पर मंथन चल रहा है।
वित्तीय प्रबंधन के बाद सुधरेगी स्थिति
नगर पालिका की ओर से नई योजना को लेकर वित्तीय व्यवस्था की जा रही है। तकनीकी पक्ष को व्यवस्थित कर प्रशासन के निर्देश के अनुसार इसका संचालन बरात घर के रूप में किया जाएगा। वहीं, कांग्रेस, बीजेपी नेताओं के साथ-साथ और स्थानीय नागरिक भी मानते है कि सरकार के धन की बरबादी इससे ज्यादा नहीं हो सकती। एक सोची समझी साजिश के तहत करोड़ों का वारा-न्यारा हो गया, मगर आज तक ये डिसाइड नही हो पाया कि करोड़ो खर्च कर आखिर क्या स्ट्रक्चर बनाया गया है।
नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी दुर्गेश्वर त्रिपाठी ने इस पूरे मामले पर कहा कि अंत्येष्टि स्थल के तकनीकी पक्षों की जांच कर उसे बरात घर के रूप में विकसित करने की योजना को अमली जामा पहनाया जाएगा। चूंकि, यह अंत्येष्टि स्थल नगर पालिका का है। ऐसे में नगर पालिका ही वहां इसका स्वरूप बदल सकती है। सवाल यह उठने लगा है कि यह जानने के बाद भी पहले ऐसे निर्णय कैसे लिए गए?
स्थानीय निवासी सत्यम कहते हैं कि सरकारी राशि के दुरुपयोग का इससे बड़ा मामला आपको देखने को नहीं मिलेगा। सरकार के स्तर पर फैसले लिए जाने के दौरान लोगों की जरूरत के बारे में जानकारी ली जाती तो राशि का खर्च सही योजना में हो जाता। वहीं, कांग्रेस के अंकुर शर्मा और भाजपा के आशीष शुक्ला ने कहा कि सरकारी राशि के दुरुपयोग का इससे बड़ा मामला नहीं दिखता है।