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पहले बुंदेलखंड और अब पूर्वांचल एक्‍सप्रेसवे धंसा, योगी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट में लापरवाही के लिए कौन जिम्‍मेदार

यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ के दो महत्‍वाकांक्षी एक्‍सप्रेसवे साल भर पूरा होने से पहले ही दरकने लगे। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्‍या जल्‍दबाजी इन्‍हें ले डूबी या भ्रष्‍टाचार की दीमक ने इन्‍हें चाट लिया।

पहले बुंदेलखंड और अब पूर्वांचल एक्‍सप्रेसवे धंसा, योगी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट में लापरवाही के लिए कौन जिम्‍मेदार

जुलाई 2022 में जब पीएम नरेंद्र मोदी बुंदेलखंड एक्‍सप्रेसवे का उद्घाटन करने वाले थे तो यूपी को एक्‍सप्रेसवे स्‍टेट के रूप में देखा जा रहा था। यूपी की वाहवाही ऐसे राज्‍य के तौर पर हो रही थी जहां विकास की रफ्तार को और तेज करने के लिए 13 एक्‍सप्रेसवे होंगे। पीएम मोदी ने 16 जुलाई को इसका उद्घाटन किया और महज पांच दिन बाद ही बुंदेलखंड एक्‍सप्रेसवे के बारिश के पानी में कट जाने की खबरें आने लगीं। आनन-फानन में उसकी मरम्‍मत हुई, बुंदेलखंड एक्‍सप्रेसवे की क्‍वॉलिटी पर तमाम सवाल भी उठे पर ज्‍यादा देर टिक न सके। अब तीन महीने बाद सीएम योगी आदित्‍यनाथ का एक और ड्रीम प्रोजेक्‍ट और 11 महीने पहले बना पूर्वांचल एक्‍सप्रेसवे भी बारिश के पानी का सामना न कर सका। सुलतानपुर में 6 अक्‍टूबर की रात एक्‍सप्रसेवे पर 15 फीट का गड्ढा हो गया। इसमें एक कार गिर गई। इस एक्सप्रेस वे का शुभारंभ 16 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।

लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब पूर्वांचल एक्‍सप्रेसवे को नुकसान पहुंचा है। इस एक्सप्रेस वे पर सड़क बैठने का ये पहला मामला नहीं है। मई 2021 में निर्माण के दौरान भी तीन दिनों तक हुई बरसात में कुवांसी-हलियापुर के बीच एक्सप्रेस वे के अंडर पास की बीम दरकी थी। अंडरपास की रेलिंग व फुटपाथ की मिट्टी बह गई थी। सड़क में दरार आ गई थी। उस समय भी इसकी गुणवत्‍ता पर सवाल उठे थे। ये भी सवाल उठे थे कि इसे रिकॉर्ड समय में बनाने के दबाव के चलते तो मानकों से समझौता नहीं किया जा रहा।

उठ रहे हैं सवाल
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट्स में ऐसी लापरवाहियों के लिए कौन जिम्‍मेदार है। कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल इसके निर्माण में भ्रष्‍टाचार का आरोप लगा रहे हैं। वहीं इसके लिए रिकॉर्ड समय में तैयार करने का दबाव भी जिम्‍मेदार बताया जा रहा है। यह एक्सप्रेसवे रिकॉर्ड समय महज 40 महीने में बनकर तैयार हुआ था।

बुंदेलखंड एक्‍सप्रेसवे भी ऐसे ही धंसा था
कमोबेश यही स्थिति बुंदेलखंड एक्‍सप्रेसवे की रही। यह 14800 करोड़ की 296 किमी बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बनने के एक सप्‍ताह के भीतर ही जालौन के पास धंस गया। रातों रात इसकी भी जेसीबी से मरम्‍मत हुई। यह भी रिकार्ड 28 महीने में तैयार किया या था। इसे 36 महीने में तैयार करने का लक्ष्य था। जब इसकी गुणवत्‍ता पर सपा अध्‍यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सवाल उठाए तो यूपी के औद्योगिक मंत्री नंद गोपाल नंदी ने उलटे उन्‍हें ही नसीहत दी कि एक्‍सप्रेसवे टूटा नहीं था स्ट्रेट एज एवं प्रोफाइलोमीटर से सतह असमानता की जांच हुई और जहां कहीं भी असमानता है, उसको दूर करने के लिए दोबारा सरफेस लेयर का कार्य किया जा रहा है। अब पूर्वांचल एक्‍सप्रेसव के मामले में वह क्‍या कहेंगे यह देखना दिलचस्‍प होगा।


पूर्वांचल एक्‍सप्रेसवे पर हरक्‍यूलिस से उतरे थे पीएम मोदी
पूर्वांचल एक्‍सप्रेसवे की यह हालत और हास्‍यास्‍पद इसलिए है क्‍योंकि इसका उद्घाटन बडे़ प्रचार और चमक-दमक के साथ किया गया था। । प्रधानमंत्री मोदी 341 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने के लिए C-130जे सुपर हरक्यूलिस से सुल्तानपुर जिले के करवल खीरी में उतरे थे। बाद में इस एक्सप्रेस वे पर भारतीय वायु सेना के कई लड़ाकू विमानों ने लैंड किया। एक्सप्रेस वे पर सुखोई 30MKI, मिराज 2000, जगुआर ने टचडाउन किया। हरक्यूलिस विमान से पैराकमांडो उतरे। 5 लड़ाकू विमानों ने फ्लाईपास्ट किया। इस दौरान पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस एयरशो को देखते रहे।

आखिर क्‍यों धंस रहे सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट
अब सवाल उठता है कि 22 हजार करोड़ रुपये से बने पूर्वांचल एक्‍सप्रेसवे और 14800 करोड़ की लागत से बने बुंदेलखंड एक्‍सप्रेसवे की इतनी जल्‍दी यह दुर्गत क्‍यों हो गई। इसके जवाब में मुख्‍य रूप से दो बातें कही जा सकती हैं: इनके निर्माण में बडे़ पैमाने पर भ्रष्‍टाचार जिसके चलते खराब क्वालिटी की निर्माण सामग्री का इस्‍तेमाल हुआ। साथ ही अधिक लाभ कमाने के लिए कार्यदायी संस्‍था ने तय मानकों का पालन नहीं किया।

यह भी उल्‍लेखनीय है कि पिछले साल जब पूर्वांचल एक्‍सप्रेसवे में गड़बड़ी नजर आई थी तो यहां काम कराने वाल संस्‍था गायत्री फर्म पर सवाल उठे थे। अब फिर से गायत्री फर्म कटघरे में है। इसी तरह बुंदेलखंड में जहां सड़क धंसी थी वहां राजस्‍थान की गावर कंपनी ने निर्माण किया था।

समय से पहले उद्घाटन का दबाव
दूसरा कारण हो सकता है इन दोनों एक्‍सप्रेसवे को तय समय से पहले बनाने का दबाव। 296 किमी लंबा बुंदेलखंड एक्‍सप्रेसवे 36 की जगह 28 महीने में तैयार हुआ। इसी तरह 340.824 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्‍सप्रेसव वे रिकॉर्ड 40 महीने के भीतर तैयार हुआ। दावा किया गया कि समय से पहले बनने की वजह से बुंदेलखंड एक्‍सप्रेसवे की लागत में 1132 करोड़ रुपये की कमी आई। लेकिन यह भी संभव है कि विपक्ष के सामने तय समय से पहले किफायती एक्‍सप्रेसवे बनाने के दबाव में बहुत से मानकों की अनदेखी हुई हो।

यूपीडा के जिम्‍मेदार देंगे जवाब?
लेकिन इन दोनों ही आरोपों में सचाई कितनी है यह तो जांच का विषय है। इस जांच के घेरे में उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) और उसके आला अफसर भी आएंगे। मौजूदा समय में सीएम योगी के सलाहकार अवनीश अवस्‍थी प्रमुख सचिव गृह के साथ यूपीडा के सीईओ भी थे। इसके अलावा अरविंद कुमार भी जिम्मेदार अफसर हैं, वह उस समय अपर मुख्य सचिव अव्यस्थापना, औद्योगिक विकास थे। फिलहाल, वह यूपीडा के सीईओ हैं।

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