थम नहीं रहे भतीजे धर्मेंद्र यादव के आंसू, बेटे की तरह मानते थे मुलायम, अस्पताल से सैफई तक लगातार रहे साथ
मुलायम के भाई अभयराम यादव के बेटे और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। मेदांता अस्पताल में इलाज से लेकर सैफई में पार्थिव शरीर रखे जाने तक धर्मेंद्र यादव के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनका परिवार गमगीन है। पूरा कुनबा गमगीन है। सैफई गम में डूबा है। समर्थकों और चाहने वालों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। इसी बीच उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव फफक-फफककर रोए जा रहे हैं। मेदांता अस्पताल में इलाज से लेकर सैफई में पार्थिव शरीर रखे जाने तक धर्मेंद्र यादव के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से यादव कुनबा सदमे में है। अखिलेश यादव अपना धीरज बंधाए हुए हैं। लेकिन मुलायम के भाई अभयराम यादव के बेटे और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। धर्मेंद्र मेदांता हॉस्पिटल में भी मुलायम के साथ ही थे। जिस एम्बुलेंस से मुलायम को सैफई लेकर आया गया, उसमें भी आगे धर्मेंद्र ही बैठे हुए थे। सैफई में उतरते ही वह फूट-फूटकर बच्चों की तरह रोने लगे। आज अंतिम संस्कार के दिन भी उनके आंसू नहीं रुक रहे हैं।
मुलायम के छोटे भाई रामगोपाल उन्हें याद करते हुए फफक-फफककर रो पड़े। मीडिया से बात करते हुए रामगोपाल की आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा कि जो लोग कभी लखनऊ और दिल्ली का रास्ता तक नहीं जानते थे, उन्हें मुलायम ने रास्ता दिखाया। इतना कहते हुए रामगोपाल फफक पड़े।
धर्मेंद्र यादव पर 2004 के लोकसभा में पहली बार मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीते। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बदायूं लोकसभा सीट से धर्मेंद्र चुनावी मैदान में उतरे और जीते। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने बदायूं से जीत हासिल की। इस साल आजमगढ़ उपचुनाव में भी उतरे थे लेकिन हार गए।
धर्मेंद्र यादव को समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के लिए संकटमोचक कहा जाता रहा है। परिवार में सदस्यों को एकजुट रखने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। वर्ष 2017 में जब शिवपाल यादव सपा से अलग हो रहे थे, तो परिवार के अधिकांश युवा चेहरे उनके समर्थन में दिखे थे। लेकिन, धर्मेंद्र यादव ने सबको अखिलेश के पाले में बनाए रखा।
मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम यादव के बेटे धर्मेंद्र यादव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र से पीजी और एलएलबी का कोर्स किया है। वे छात्र राजनीति से ही काफी सक्रिय रहे हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी के भीतर उनकी पकड़ काफी मजबूत है।