गाजियाबाद: महिला ने 10 करोड़ की कोठी किया गिफ्ट , बोलीं- मकान हड़पना चाहते हैं रिश्तेदार
यूपी के पूर्व DGP देवेंद्र सिंह चौहान की बेटी को गिफ्ट में 10 करोड़ की कोठी मिलने का मामला तूल पकड़ने लगा है। गिफ्ट देने वाली अरुणा मोहन और लेने वाली अम्शुला चौहान के बीच कोई रिश्ता नहीं है। ऐसे में इस गिफ्ट पर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बीच, सीनियर सिटीजन अरुणा मोहन का एक एफिडेविट सामने आया है। जिसमें उन्होंने कोठी गिफ्ट करने की वजह बताई।
दिवंगत IPS ऑफिसर की पत्नी ने कहा- मेरे और अम्शुला के बीच गहरा भावनात्मक रिश्ता है। मैं उसे अपनी पोती की तरह मानती हूं। यह लोगों को समझना चाहिए कि खून के रिश्ते से ज्यादा मजबूत दिल के रिश्ते होते हैं। गिफ्ट देने की दूसरी वजह मेरे ससुराल वाले हैं। पति के निधन के बाद उन्होंने इस घर को हड़पने की कोशिश की।
350 स्क्वायर मीटर में है कोठी
महिला (81) का नाम अरुणा मोहन है। अरुणा के पति स्वर्गीय राजेंद्र मोहन सीमा सुरक्षा बल (SSB) के महानिदेशक रहे थे। 26 नवंबर 2021 को अरुणा मोहन ने नोएडा के सेक्टर-15ए स्थित मकान नंबर-109 की गिफ्ट डीड अम्शुला चौहान के नाम नोएडा अथॉरिटी में कराई थी। अम्शुला गाजियाबाद में इंदिरापुरम स्थित नीति खंड-2 में रहती हैं। अम्शुला के पिता DS चौहान कुछ दिन पहले ही यूपी पुलिस के DGP पद से रिटायर हुए हैं। 350 स्कवायर मीटर में बनी इस कोठी की कीमत 10 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई गई है। क्योंकि ये नोएडा का सबसे महंगा रेजिडेंशियल एरिया है। जो फिल्म सिटी से एकदम सटा हुआ है।
पूर्व IPS ने CM को लिखा था लेटर
करीब 3 दिन पहले लखनऊ में एक अखबार में पूर्व DGP की बेटी को गिफ्ट में कोठी मिलने की खबर पब्लिश की। इसके बाद से इस अखबार की कटिंग सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी। ये मामला तूल पकड़ने लगा। पूर्व IPS ऑफिसर अमिताभ ठाकुर ने लेटर लिखकर सीएम योगी से जांच की मांग की। मामला बढ़ने के बाद अरुणा मोहन ने 24 जून को शपथ पत्र जारी करके अपनी सफाई पेश की है।
अरुणा मोहन ने कहा...
'मैंने मकान नंबर-109 सेक्टर-15ए नोएडा अम्शुला चौहान पुत्री डीएस चौहान को उपहार में दिया है। मेरे दिवंगत पति राजेंद्र मोहन (IPS 1963 बैच) का करियर बहुत सफल और सराहनीय था। यह तथ्य अपने आप में ये दिखाने के लिए पर्याप्त है कि मुझ पर कोई दबाव या जबरदस्ती नहीं की जा सकती। पति के रिटायर होने के बाद हम निसंतान दंपति के रूप में नोएडा में बस गए। इस दौरान अम्शुला चौहान से गहरा लगाव हो गया। क्योंकि उस समय वह सिर्फ 3 साल की थी। जब उनके पिता डीएस चौहान साल-1998 में नोएडा SSP के रूप में तैनात थे। तब से हमने उसे बड़ा होते देखा है। वो और उसका परिवार तब से नोएडा में हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग रहे हैं और इस तरह वो मेरे परिवार का हिस्सा बन गई। अम्शुला हमेशा मेरी देखभाल करती है। हाल में वो कोविड के दौरान कुछ समय तक मेरे साथ रही। मेरी देखभाल की, जैसे मेरी पोती हो। किसी को भी मेरे रिश्ते पर बोलने का अधिकार नहीं है। आज मेरी उम्र 81 साल है। मेरा विश्वास है कि जब भी जरूरत होगी तो अम्शुला मेरी देखभाल के लिए मौजूद रहेंगी। मेरे जीवन काल में ये उपहार देने का एक और कारण है। मेरे दिवंगत पति के निधन के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने लगातर इस घर को हड़पने की कोशिश की।
केवल इसी कारण मुझे परेशान किया गया कि मैं एक निसंतान वृद्ध विधवा हूं। मुझे इस बात की चिंता है कि जीवन की इस उम्र में मेरे लिए कोई विवाद खड़ा न हो। मुझे अपने दिवंगत पति की पेंशन के रूप में पर्याप्त वित्तीय सहायता मिलती है। मैं उसी घर में रहती हूं, जो अम्शुला को उपहार में दिया गया है। किसी को भी उन सच्चे और प्यार भरे रिश्तों में अनावश्यक रूप से नहीं बोलना चाहिए।