सरकारी वकीलों का अपराधिक इतिहास जानेगी यूपी सरकार, जानिए क्या है नया आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी वकीलों के अपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी मंगाई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ खंडपीठ में कार्यरत वकीलों से यह जानकारी मांगी गई है। सरकारी वकीलों की ओर से इस संबंध में जानकारी मुहैया कराई जानी शुरू कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश में सरकारी वकीलों का आपराधिक इतिहास जाना जाएगा। सरकार इलाहाबाद हाई कोर्ट और लखनऊ खंडपीठ दोनों जगहों पर कार्यरत सरकारी वकीलों का अपराधिक इतिहास जानने के लिए सक्रिय हो गई है। राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में 25 मई 2022 को शासनादेश जारी किया गया है। इस शासनादेश में कहा गया है कि सरकारी वकीलों से उनके खिलाफ कोर्ट में चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी शासन को उपलब्ध कराई जाए।
इस शासनादेश के अनुपालन में इलाहाबाद हाई कोर्ट के सभी सरकारी वकीलों को 2 दिन के भीतर अपने आपराधिक इतिहास का विवरण लिस्टिंग इंचार्ज को उपलब्ध कराने को कहा गया। शासनादेश के निर्देशानुसार सैकड़ों सरकारी अधिवक्ताओं ने अपने अपराधिक इतिहास को लेकर अपनी अंडरटेकिंग (घोषणा) उपलब्ध करवा दी है। अब कितने अधिवक्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है यह पता नहीं चल पाया है। लेकिन, सरकारी अधिवक्ताओं ने अपने आपराधिक इतिहास होने अथवा न होने का विवरण लिस्टिंग इंचार्ज को प्रस्तुत कर दिया है।
शासन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि अगर किसी भी राज्य विधि अधिकारी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला किसी भी फौजदारी न्यायालय में लंबित है तो उसका विवरण सहित सूचना एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध करवा दें। यह शासनादेश महाधिवक्ता कार्यालय से सभी सरकारी अधिवक्ताओं को भेज दिया गया है। इसी क्रम में बड़ी संख्या में सरकारी अधिवक्ताओं ने आपराधिक इतिहास से संबंधित प्रारूप पत्र पर अपना विवरण उपलब्ध कराया है