8 बुजुर्गों के जीवन में अंधेरा: डॉक्टर की लापरवाही में चली गईं आंखें, ऑपरेशन से पहले नहीं कराईं जरूरी जांचें
कानपुर में शिविर लगाकर चिह्नित मरीजों का मोतियाबिंद आपरेशन करने के बाद संक्रमण से बुजुर्गों की आंखों की रोशनी चली गई अबतक ऐसे आठ मरीज सामने आए हैं। इसमें चार मरीजों की आंखें गलने की पुष्टि हुई है।
जिले में अंधता निवारण कार्यक्रम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मोतियाबिंद आपरेशन का लक्ष्य पूरा करने के लिए मानक भी ताख पर रख दिए गए हैं। आराध्या हाइ हास्पिटल में आपरेशन के बाद आठ बुजुर्ग ग्रामीणों की आंखों की रोशनी जाने के मामले की जांच शुरू हुई तो एक-एक कर बातें सामने आ रही हैं।
नेत्र रोग विशेषज्ञ की मानें तो डाक्टर अगर ध्यान देते तो बुजुर्गों के आंखों की रोशनी बचाई जा सकती थी। इतना ही नहीं ऑपरेशन से पहले जरूरी जांचें न कराना भी आंखों में सक्रमण फैलने की वजह सामने आई है।
ऑपरेशन से पहले मरीजों की नहीं हुई जरूरी जांचें
पीड़ितों ने बिल्हौर तहसील के शिवराजपुर क्षेत्र स्थित बीरामऊ गांव में दो नवंबर को लगे नेत्र परीक्षण शिविर में पंजीकरण कराया था। यह शिविर स्वास्थ्य विभाग की अनुमति के बिना लगा था। शिविर में पहुंचे लोगों को बताया गया कि यह सरकारी है। यहां मोतियाबिंद के आपरेशन के लिए मरीजों को चिह्नित किया गया, लेकिन उनकी स्क्रीनिंग भी नहीं की गई। सीधे अस्पताल लाकर आपरेशन करा दिया गया।
पीड़ित बुजुर्ग रमा देवी, राजाराम, रमेश व शेरा सिंह ने बताया कि आपरेशन से पहले किसी प्रकार की कोई जांच नहीं कराई गई। जबकि कम से कम ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की जांच तो होनी ही चाहिए थी। परीक्षण कराने वालों से 1500-1500 रुपये भी वसूले गए।
शिविर में आपरेशन के लिए चिह्नित हुए थे 18 मरीज
मोतियाबिंद की जांच के लिए उत्तरीपुरा निवासी दुर्गेश शुक्ला ने दो नवंबर को शिविर लगाया था। ग्रामीणों की आंखों का परीक्षण बर्रा पुलिस चौकी के पीछे स्थित आराध्या आइ हास्पिटल के डा. नीरज कुमार गुप्ता और औरैया निवासी डा. अंशुल पांडेय ने किया था। इस दौरान 18 मरीज आपरेशन के लिए चिन्हित किए गए, जिसमें से सुघरदेवा गांव के 11 ग्रामीण थे।
रोशनी गंवाने वाले राजाराम कुरील, रमेश कश्यम, नन्ही, शेर सिंह, रमा देवी और सुल्ताना का आरोप है कि आपरेशन के लिए दुर्गेश ने 1500-1500 रुपये वसूले भी थे। तीन नवंबर को हास्पिटल ले जाकर आपरेशन किया गया और उसी दिन घर भी पहुंचा दिया था।
संक्रमण ने छीन ली आंखों की रोशनी
बुधवार को रमादेवी जांच कराने नहीं आईं। शेर सिंह और राजाराम की आंखों में रोशनी लौटने की उम्मीद दिखी है। इसी बीच शिवराजपुर क्षेत्र के ही गुडरा गांव की 61 वर्षीय ज्ञानवती और बर्रा निवासी 67 वर्षीय राम आसरे शुक्ला भी अस्पताल पहुंचे। उनकी आंखों में भी संक्रमण मिला, इसकी वजह से उन्हें दिखाई नहीं दे रहा। राम आसरे शुक्ला ने 13 मार्च 2020 को आपरेशन कराया था।
डॉक्टर ध्यान देते तो बच सकती थी आंखें
रोशनी गंवाने वाले बुजुर्गों की आंखों में गंभीर संक्रमण मिला है। इस संक्रमण को एंडआप्थेलमाटिस कहा जाता है, जो मोतियाबिंद आपरेशन के बाद किसी को भी हो सकता है। इसलिए मोतियाबिंद का आपरेशन कराने के बाद 10 दिनों तक एहतियात बरतने की जरूरत है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान ने बताया कि इस मामले में पहले दिन से फालोअप किया जाता तो बुजुर्गों की आंखें बच सकती थीं।
टीम ने अस्पताल में की पड़ताल, कल्चर जांच के लिए भेजा
आराध्या आइ हास्पिटल जांच के लिए सीएमओ की टीम के साथ नेत्र रोग विभाग की प्रोफसर डा. शालिनी मोहन भी गईं थीं। उन्हें वहां आंखों के इलाज व आपरेशन से जुड़ा पूरा सेटअप पाया है। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान ने बताया कि जहां मरीजों की आंख का आपरेशन हुआ है। उसके आपरेशन थियेटर का सैंपल लेकर कल्चर जांच के लिए भेजा है। सभी मरीजों के आंखों के पानी और पस का नमूना लेकर कल्चर जांच के लिए भेजा है। उसके बाद ही पता चलेगा कि संक्रमण कहां से हुआ है।
सीएमओ-एसीएमओ ने कही ये बात
डाक्टर ने सभी का आपरेशन करने की बात स्वीकार की है। उन्होंने शिविर लगाने की बात से इन्कार किया है। आंखों की रोशनी आपरेशन के बाद गई है। इसलिए आपरेशन करने वाले डा. नीरज कुमार गुप्ता और सरकारी कैंप के नाम पर 1500-1500 रुपये वसूलने वाले दुर्गेश शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। -डा. आलोक रंजन, सीएमओ
परीक्षण शिविर लगाने के लिए अनुमति भी नहीं ली गई थी। आपरेशन से पहले किसी प्रकार की कोई जांच भी नहीं कराई गई है। पीड़ितों ने आपरेशन के लिए 1500-1500 रुपये लेने का भी आरोप लगाया है। इन सभी पहलुओं की जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। -डा. एसके सिंह, एसीएमओ व नोडल अफसर, अंधता निवारण कार्यक्रम