ट्रैफिक से निजात पाने की अब तक की सारी तरकीबें फेल, प्रसाशन आज भी नहीं हटा पाया चिनहट, कामता और मटियारी का जाम
राजधानी लखनऊ के कुछ व्यस्ततम चौराहों पर आज भी ट्रैफिक की समस्या जस की तस। उमस भरी इस गर्मी में घंटों जाम से जूझते हैं लोग। इस समस्या से निजात पाने की प्रसाशन की अब तक की सारी तरकीबें मानो विफल होती नज़र आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रैफिक जाम की स्थिति से लोगों को निजात दिलाने की योजनाओं पर अलग अलग सरकारों द्वारा निरंतर कार्य किये गए, और हालिया समय में भी किये जा रहे हैं, किन्तु जाम से छुटकारा दिलाने की सरकार और यातायात पुलिस की सभी कोशिशें ना काफी साबित हो रही हैं। अगर पूरे शहेर की बात थोड़ी देर के लिए भुला दी जाए और बात सिर्फ फैजाबाद रोड पर पॉलिटेक्निक चौराहे से लेकर BBD विश्विद्यालय तक के बारे में की जाए तो रोजाना इस साढ़े सात किलोमीटर के रास्ते में घंटों लोग जाम से जूझते है।
प्रसाशन द्वारा लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ना ना प्रकार की तरकीबें निकाली गईं और उन्हें तत्काल प्रभाव से लागू भी किया गया मगर परिणामस्वरूप आज भी शहर के कई व्यस्ततम चौराहों पर ट्रैफिक जस का तस दिखाई पड़ता है।
बीते समय की बात करें तो इसी क्रम में 6 Dec 2023 को NBT में छपी खबर के अनुसार हाई कोर्ट के पास कामता चौराहा पर लगने वाले जाम से निजात दिलाने को लेकर और ट्रैफिक व्यवस्था को सुधार के लिए नो एंट्री के नियम लागू किए गए हैं। बड़े कॉमर्शियल वाहनों की नो एंट्री लागू कर दी गई है। इससे ट्रैफिक स्मूद रहने की बात कही जा रही है। भारी वाहन आउटर रिंग रोड से जा सकेंगे। बाराबंकी और कानपुर की तरफ से आने वाले भारी वाहन आउटर रिंग रोड से होकर आएंगे- जाएंगे। उन्हें शहीद पथ पर आने की जरूरत नहीं होगी। ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, आउटर रिंग रोड पर सीतापुर रोड से मोहान रोड को छोड़कर अन्य इलाकों में ट्रैफिक शुरू हो गया है।
1 जनवरी 2024 को दैनिक जागरण में खबर छपती है की राज्य सरकार लखनऊ को उसके आसपास के पांच जिलों से जोड़ने के लिए छह लेन चौड़े और 250 किलोमीटर लंबे विज्ञान पथ का निर्माण करने की तैयारी कर रही है। विज्ञान पथ के जरिए प्रदेश की राजधानी को इसके उत्तर में हरदोई और सीतापुर पूर्व में बाराबंकी दक्षिण में रायबरेली और पश्चिम में उन्नाव जिले से जोड़ते हुए विकास को रफ्तार देने का प्रस्ताव है। विज्ञान पथ की परिकल्पना भी मुख्य रूप से लखनऊ और उसके आसपास के जिलों को जोड़कर राज्य राजधानी परिक्षेत्र (SCR) के तहत विकसित करने के उद्देश्य के साथ ही भारी वाहनों के वजह से शहेर में होने वाले जाम से भी निजात दिलाने की कोशिश की जाएगी।
प्रधानमंत्री और लखनऊ का सांसद रहते हुए मई 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ को फैजाबाद रोड से कानपुर रोड तक 23 किलोमीटर लंबे शहीद पथ का उपहार दिया था जो कि बलिदानी जवानों को समर्पित था।
इसके बाद लखनऊ के चारों ओर अन्नदाताओं को समर्पित 104 किलोमीटर लंबा किसान पथ बना। योगी सरकार अब इसी कड़ी में विज्ञान पथ का निर्माण करना चाहती है। इस परिकल्पना के तहत किसान पथ से लेकर प्रस्तावित विज्ञान पथ के बीच के क्षेत्र को 20 इंटरलॉकिंग रोड का निर्माण कराके 20 हिस्सों में बांटा जाएगा। इन हिस्सों में 20 अलग-अलग नोड विकसित किए जाएंगे।
24 नवंबर 2023 को TOI में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यातायात विभाग के उस प्रस्ताव पर विचार करने का निर्देश दिया, जिसमें कामता क्रॉसिंग से अवध बस स्टैंड को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है, अवध बस स्टैंड के कारण पूरे दिन हाईकोर्ट परिसर के साथ ही कामता, चिनहट, मटियारी तक सैकड़ों वाहन इस भयंकर जाम में फसकर जंग लड़ते नजर आते हैं। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओपी शुक्ला की पीठ ने हाईकोर्ट के पास की सड़कों पर ट्रैफिक जाम के मुद्दे को उजागर करने वाली अन्य समान याचिकाओं के साथ ही कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर दर्ज की गई जनहित याचिका पर यह आदेश पारित करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी परिवहन बस को हाईकोर्ट सर्विस लेन का उपयोग करने की अनुमति न दें।
सुनवाई के दौरान पीठ के संज्ञान में आया कि पुलिस आयुक्त (सीपी) ने 24 जून को ही राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कामता बस स्टैंड के कारण हाईकोर्ट के पास ट्रैफिक की गंभीर स्थिति है और इसलिए इसे शहर के बाहर स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
हालांकि इसके इतर राजधानी लखनऊ के विभिन्न क्षेत्रों में डग्गामार वाहनों का चलना कोई नई बात नहीं है। मगर जब आम आदमी इन्हीं लोगों के सवारी भरने के चक्कर में जाम का शिकार होता है तब क्लियर रोड मैप की तमाम बड़ी-बड़ी बातें मजाक नजर आती हैं।
बात गाजीपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित व्यस्ततम चौराहे पॉलिटेक्निक की हो या फिर चिनहट थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित व्यस्ततम कमता चौराहे की। सैकड़ो की संख्या में डग्गामार वाहन जिनमें, बसें, ट्रैवलर, अर्टिगा, बोलेरो, और भी नाना प्रकार के वाहनों की झड़ी लगी रहती है शहर के व्यस्ततम चौराहों पर।
अब प्रश्न यह होता है कि इनको किन का संरक्षण प्राप्त है स्थानीय पुलिस प्रशासन लगातार कड़ी निगरानी करते नजर आते हैं लेकिन एक भी गाड़ी टस से मस नहीं होती। जबकि रोज ही एक लंबी चौड़ी ट्रैफिक फोर्स कड़ी कार्रवाई के लिए निकलती है।
सवाल कई सारे हैं, उपाय भी कई सारे मगर परिणाम एक भी नहीं। अब ऐसे में जवाबदेही किसकी है और लखनऊ के लोगों को इस समस्या से निजात कब मिल पाएगी इसका जवाब साशन प्रसाशन द्वारा जल्द से जल्द तय किया जाना चहिये।