यूपी में बिजली कटौती से मिल सकती है राहत, आज से दो हजार मेगावाट बढ़ेगी उपलब्धता
यूपी में बिजली की मांग 23 हजार मेगावाट जबकि उपलब्धता 19 हजार ही है। बता दें कि कोयले की कमी के चलते 29 अप्रैल तक 30.30 करोड़ यूनिट से ज्यादा बिजली के उत्पादन की हानि हो चुकी है।
पिछले सप्ताहभर से अधाधुंध बिजली कटौती से परेशान प्रदेशवासियों को रविवार से कुछ राहत मिल सकती है। पहली मई से लगभग दो हजार मेगावाट बिजली की उपलब्धता बढ़ने से दावा किया जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों में बिजली आपूर्ति की स्थिति सुधरेगी। कोयला आपूर्ति की स्थिति बेहतर होने और पावर एक्सचेंज से भी बिजली मिलने की उम्मीद से प्रदेशवासियों को फिर तय शेड्यूल से बिजली मिल सकती है।
वैसे तो प्रचंड गर्मी ने अप्रैल में बिजली की मांग का नया रिकार्ड बनाया है। पिछली बार से 20 प्रतिशत अधिक बिजली देने पर भी शहर से लेकर गांव में जबरदस्त बिजली का संकट है। बिजली की मांग जहां 23 हजार मेगावाट पहुंच रहा है वहीं उपलब्धता 19 हजार मेगावाट के आसपास ही है। लगभग तीन हजार मेगावाट कम बिजली होने से गांवों को 18 के बजाय 10 घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है।
बुंदेलखंड, कस्बे, तहसील मुख्यालयों को भी शेड्यूल से सात-आठ घंटे कम ही बिजली मिल रही है। जिला मुख्यालय और महानगरों में भी अघोषित कटौती हो रही है। स्थिति यह है कि पिछले 24 घंटों के दौरान बिजली की मांग 47.99 करोड़ यूनिट थी लेकिन उपलब्धता 45.04 करोड़ यूनिट ही रही। ऐसे में 2.95 करोड़ यूनिट कम बिजली होने से प्रदेशवासियों को बिजली कटौती से जूझना पड़ा।
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज का कहना है कि बिजली की रिकार्ड मांग को पूरा करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। एक मई से दो हजार मेगावाट तक और बिजली का इंतजाम किया गया है। इसमें सिक्किम एवं हिमाचल प्रदेश से 400 मेगावाट जल विद्युत के अलावा बैंकिंग(पूर्व में दी गई बिजली के एवज में बिजली लेने की व्यवस्था) की 325 मेगावाट विद्युत मध्य प्रदेश से और लगभग 283 मेगावाट बिजली राजस्थान से मिलने की उम्मीद है।
इसी तरह बिडिंग के जरिए भी 430 से 950 मेगावाट बिजली की व्यवस्था की जा रही है। ऐसे में सभी को शेड्यूल के मुताबिक न सही लेकिन कहीं ज्यादा बिजली की आपूर्ति संभव होगी। बंद यूनिटों को चालू कराने के साथ ही एक्सचेंज से भी अतिरिक्त बिजली मिलने पर बिजली आपूर्ति की स्थिति में और सुधार होगा। मई में और गर्मी बढ़ने की दशा में बिजली आपूर्ति की स्थिति फिर से लड़खड़ा भी सकती है।
अवकाश में भी काम करने का आह्वान : राज्य में बिजली आपूर्ति की लड़खड़ाती स्थिति को देखते हुए ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विद्युत वितरण एवं ट्रांसमिशन से जुड़े अधिकारियों से छुट्टियों में भी कार्य करने का आह्वान किया है। मंत्री ने कहा है कि खराब ट्रांसफ़ार्मर को जल्द बदलने के लिए जिले के साथ-साथ उप केंद्र स्तर पर भी ट्रांसफार्मर उपलब्ध रहें। उन्होंने अन्य विद्युत उपकरणों के साथ ही अतिरिक्त वाहन रखने के भी निर्देश दिए ताकि पेड़ गिरने, तार लटकने आदि के मामलों में रिपेयरिंग के कार्य को जल्द से जल्द करके बिजली आपूर्ति बनाए रखी जाए।
ट्रक से मंगाया जाएगा 10 लाख टन कोयला : राज्य की तापीय परियोजनाओं के पास कोयले का पर्याप्त भंडार न होने पर पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने अब ट्रक से भी कोयला मंगाने का निर्णय किया है। 2630 मेगावाट की अनपारा तापीय परियोजना के लिए 10 लाख टन कोयला केंद्र सरकार की संस्था नार्दन कोल फील्ड की खदानों से रेलवे रैक के अलावा ट्रक (सड़क मार्ग) से भी मंगाया जाएगा। कारपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने बताया कि परियोजना में कोयले के संकट को देखते हुए बोर्ड से इस संबंध में प्रस्ताव पारित कराया गया है।
इस बीच बिजली संकट के चलते मचे हाहाकार के बाद राज्य की तापीय परियोजनाओं को कोयला मिलने की रफ्तार बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक अनपारा के पास पांच दिन का कोयला है। परियोजना को प्रतिदिन 40 हजार टन के बजाय अभी 30 हजार टन ही कोयला मिल रहा है। हरदुआगंज के पास तीन दिन का ही कोयला बचा है क्योंकि प्रतिदिन 19 हजार के बजाय 7700 टन कोयला ही परियोजना को दिया जा रहा है। चूंकि ओबरा में चार दिन और पारीछा में एक दिन का ही कोयला बचा है इसलिए उन्हें प्रतिदिन की आवश्यकता से अधिक अब कोयले की आपूर्ति की जा रही है।
ओबरा को 12500 के बजाय 15700 और पारीछा को 15500 टन के बजाय 19 हजार टन कोयला मिल रहा है। कोयला आपूर्ति की यही स्थिति बनी रही तो परियोजनाओं की सभी यूनिटों से अधिकतम बिजली का उत्पादन संभव हो सकेगा जिससे बिजली की किल्लत से कुछ हद तक निपटा जा सकेगा। गौर करने की बात है कि कोयले की कमी के चलते 29 अप्रैल तक 30.30 करोड़ यूनिट से ज्यादा बिजली के उत्पादन की हानि हो चुकी है।