जेपीएनआईसी मामले में चार अधिकारियों पर होगी कार्रवाई: पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह समेत चार का नाम तय
जेपीएनआईसी मामले में चार अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश जारी हुआ है। डीपीआर से 50 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च कराने वाला आर्किटेक्ट आरकॉम भी दोषी।
सपा मुखिया अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर एक बार फिर चर्चा में आ गया है। इस प्रोजेक्ट में गड़बड़ी करने वाले चार अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश जारी हुआ है। हालांकि, चारों अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। इसमें पूर्व वीसी आईएएस अधिकारी सतेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है। समाजवादी सरकार जाने के बाद पिछले छह साल से जेपीएनआईसी लगातार योगी सरकार के निशाने पर है।
आरोप है कि इसके निर्माण के दौरान बड़े स्तर पर धांधली हुई थी। उसके बाद से ही जांच चल रही है। अब 29 मार्च को शासन ने अपर मुख्य सचिव नियुक्ति और अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग को पत्र लिखा है। इसमें शामिल अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
जेपीएनआईसी का निर्माण 2013 से 2016 के बीच हुआ था। उस दौरान 864 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। बताया जा रहा है कि उस समय ही इसका काम देख रहे अधिकारियों और इंजीनियरों ने स्वीकृत डीपीआर से अतिरिक्त काम करवा दिया था। इसकी वजह से लागत बढ़ गई थी। जांच में इसकी वजह से 50 करोड़ रुपए अतिरिक्त या फालतू खर्च करने की बात सामने आई थी। प्रकरण में जिम्मेदार पाए गए अधिकारियों और इंजीनियरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
आर्किटेक्ट आरकॉम भी दोषी करार
इसके साथ ही डिजाइन तैयार करने वाले आर्किटेक्ट आरकॉम के खिलाफ भी कार्रवाई का निर्देश जारी हुआ है। बताया जाता है कि यह सीएम अखिलेश यादव के करीबी थे, इसकी वजह से कोई विरोध नहीं होता था। इनकी वजह से डीपीआर में बजट से ज्यादा खर्च कर दिया गया। इसकी वजह से परियोजना की लागत बढ़ी। 29 मार्च को एलडीए उपाध्यक्ष को लिखे पत्र में शासन ने कहा है कि कमिश्नर लखनऊ की जांच में आर्किटेक्ट दोषी पाया गया है। लिहाजा, कंसल्टेंट फर्म आरकॉम कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड नोएडा के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए।
पूर्वी वीसी सतेंद्र सिंह यादव दोषी साबित हुए
जिन चार अधिकारियों का नाम लिया गया है, उसमें पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह यादव का नाम सबसे बड़ा है। वह शिवपाल यादव के करीबी रहे हैं। इनको लेकर शिवपाल और अखिलेश पर विवाद हुआ था। एक समय इनको लखनऊ में डीएम भी बना दिया गया था। शासन ने इनके विरुद्ध कार्यवाही के लिए नियुक्ति विभाग को लिखा है। इनके अलावा तत्कालीन मुख्य अभियंता विद्युत यांत्रिक डीपी सिंह, अधिशासी अभियंता विद्युत यांत्रिक पूरन कुमार और तत्कालीन वित्त नियंत्रक हरि कृष्ण यादव पर भी कार्रवाई तय है। इसमें सभी लोग रिटायर हो चुके हैं।