मोदी सरकार ने यूपी की रोक दी मनरेगा की 3000 करोड़ की रकम, प्रधानों की बढ़ी मुश्किलें, जानिए क्यों?
पूरे उत्तर प्रदेश की स्थिति देखी जाए तो बकाए का आंकड़ा करीब 3,000 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच रहा है। यह रकम केंद्र सरकार को देनी है, लेकिन पिछले साल सितंबर से किस्त जारी नहीं हुई है। बकाया ज्यादा होने की वजह से कई जगह ठेकेदारों ने पक्का काम करवाना बंद कर दिया है।
केस-1
बहराइच के फखरपुर ब्लॉक की रौंदोपुर ग्राम पंचायत के प्रधान मनीष शर्मा इन दिनों खासे परेशान हैं। जगह-जगह उनसे तगादा हो रहा है। यह तगादा है, मनरेगा से हुए पक्के काम के मटीरियल के बकाए का। बताते हैं कि पिछले सितंबर से मनरेगा का पैसा रुका हुआ है। करीब 11-12 लाख रुपये मटीरियल के बकाया हैं।
केस-2
सुलतानपुर के कूड़ेभार ब्लॉक की जफरापुर ग्राम पंचायत के प्रधान दिलीप वर्मा बताते हैं कि उनके यहां भी मनरेगा के काम के करीब ढाई लाख रुपये बकाया हैं। इसमें मटीरियल, मिस्त्री और कुछ मनरेगा मजदूरों की मजदूरी की रकम शामिल है। ठेकेदार बकाया मांगते हैं।
यह हाल कमोबेश प्रदेश की हर ग्राम पंचायत का है। मनरेगा से होने वाले पक्के कार्यों के लिए प्रधानों ने आसपास के दुकानदारों और भट्ठा संचालकों से मटीरियल उठवा लिया। ठेकेदारों ने जल्द भुगतान की आस और ग्राम प्रधान की क्रेडेबिलिटी पर सामान दे दिया। काम भी हो गया, लेकिन अब उधारी नहीं चुकता हो पा रही है। स्थिति यह हो गई है कि प्रधान जिधर से निकलते हैं, उधार देने वाले तगादा करने लगते हैं।
बहराइच के चित्तौड़ा ब्लॉक की शहनवाजपुर ग्राम पंचायत की प्रधान पूर्णमासी देवी बताती हैं कि उनके यहां मटीरियल के 8-9 लाख रुपये बकाया हैं। जहां से मटीरियल आया, वे लोग अक्सर तगादा करने आ जाते हैं। अब हम कहां से भुगतान करवाएं? सूत्र बताते हैं कि अकेले बहराइच जिले में 149 करोड़ रुपये मटीरियल के बकाया हैं। सुलतानपुर के कुड़वार ब्लॉक में मिठनेपुर के प्रधान राममूर्ति दुबे बताते हैं कि ईंट-भट्ठे वाले तगादा करते हैं। वे कहते हैं कि हम आपको ही जानते हैं। हमारा पैसा दिलवाओ क्योंकि बहुत समय हो गया है। करीब सवा दो लाख रुपये का भुगतान करना है। वहीं, पूरे प्रदेश की स्थिति देखी जाए तो बकाए का आंकड़ा करीब 3,000 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच रहा है। यह रकम केंद्र सरकार को देनी है, लेकिन पिछले साल सितंबर से किस्त जारी नहीं हुई है। बकाया ज्यादा होने की वजह से कई जगह ठेकेदारों ने पक्का काम करवाना बंद कर दिया है।
"केंद्र से रकम आनी है। करीब 3,000 करोड़ रुपये का भुगतान होना है। हर सप्ताह इस संबंध में बातचीत हो रही है। रकम आते ही भुगतान किया जाएगा।" - मनोज कुमार सिंह, एपीसी व अपर मुख्य सचिव (ग्राम्य विकास)
सदन में उठा था मुद्दा
हाल ही में समाप्त हुए विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान विधान परिषद में कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि मटीरियल की रकम का भुगतान न होने से ग्राम प्रधानों से तगादा हो रहा है और वे परेशान हैं कि क्या जवाब दें।