Rajya Sabha Election: भाजपा संगठन से निकले सभी नाम, धैर्य का भी मिला इनाम...जानिए कैसे बने उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी ने संगठन के लोगों को राज्यसभा का टिकट देकर कार्यकर्ताओं को बड़ा संदेश दे दिया है। पार्टी ने साफ किया है कि जो लोग धैर्य के साथ पार्टी और संगठन के लिए काम कर रहे हैं, वे शीर्ष नेतृत्व की नजर में है।
भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के लिए यूपी से छह नाम घोषित किए हैं। सूची में फिलहाल कोई पैराशूट चेहरा नहीं है। चुने गए सभी चेहरे भाजपा संगठन में अलग-अलग समयों में अहम भूमिकाओं में रहे हैं या सदन में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। नामों के चयन के जरिए पार्टी ने सामाजिक समीकरण तो साधे ही हैं, साथ ही कार्यकर्ताओं का भी 'हौसला' बरकरार रखने की कोशिश की गई है। लंबे समय से नेपथ्य पर रहे चेहरों को टिकट देकर भाजपा ने संदेश दिया है कि 'धैर्य' का इनाम पार्टी देर-सवेर जरूर देगी।
पिछली बार राज्यसभा भेजे गए शिवप्रताप शुक्ला, जफर इस्लाम, संजय सेठ और जयप्रकाश निषाद इस बार सूची में जगह नहीं पा सके। सुरेंद्र नागर को फिर मौका मिला है। छह उम्मीदवारों में तीन पूर्वांचल से हैं, जिसमें दो सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर से ही हैं। एक नाम बुंदेलखंड और दो नाम वेस्ट यूपी से हैं। पार्टी अभी दो नाम और घोषित करेगी। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का नाम अगली सूची में शामिल हो सकता है। जानिए उम्मीदवारों के नाम के तय किए जाने का समीकरण क्या रहा...
लक्ष्मीकांत वाजपेयी : इंतजार का फल!
मेरठ से 4 बार के विधायक लक्ष्मीकांत की संगठनात्मक अगुआई में ही 2014 में लोकसभा में भाजपा ने यूपी में 71 सीटें जीतकर इतिहास रचा था। वेस्ट यूपी के प्रभावी ब्राह्मण चेहरे लक्ष्मीकांत 2017 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद हाशिए पर चले गए थे। 2022 के चुनाव के पहले पार्टी ने जॉइनिंग कमिटी का अध्यक्ष बनाया। वाजपेयी को इंतजार का फल मिला है। पार्टी ने जातीय समीकरण व कोर कार्यकर्ताओं की भावनाओं दोनों को ही साधा है।
राधामोहन दास अग्रवाल : सीट छोड़ने का इनाम
गोरखपुर शहर से 4 बार के विधायक राधामोहन दास अग्रवाल 2017 में प्रदेश सरकार में मंत्री के अहम दावेदारों में थे। इस बार विधानसभा चुनाव में शहर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ उतरे तो राधामोहन को सीट छोड़नी पड़ी थी। उन्हें तभी समायोजन का आश्वासन दिया गया था। राधामोहन की छवि साफ और अंदाज मुखर है। 2002 में जिस शिवप्रताप शुक्ला को हराकर वह विधायक बने थे, राज्यसभा में भी गोरखपुर से वह उनकी ही जगह ले रहे हैं।
बाबूराम निषाद : समीकरण व क्षेत्र दोनों सधेगा
पिछड़ा वर्ग एवं वित्त विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष बाबूराम निषाद बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले से हैं। पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उनको टिकट देकर बुंदेलखंड की भागीदारी के साथ ही अति पिछड़ा वोटरों को साधने पर भी नजर है। पिछली बार निषाद बिरादरी से पूर्वांचल से जयप्रकाश निषाद को भेजा गया था। पूर्व सीएम उमा भारती के करीबी रहे बाबूराम 2007 में उनकी पार्टी से चुनाव भी लड़ चुके हैं। 2 साल पहले बाबूराम का साइकल चलाते हुए टिकटॉक विडियो भी वायरल हुआ था।
सुरेंद्र नागर : फिर बरकरार रही सीट
सुरेंद्र नागर यूपी कोटे से राज्यसभा की घोषित सीटों में फिलहाल इकलौते चेहरे हैं जिनकी सीट बरकरार है। भाजपा उनकी चौथी पार्टी है। राष्ट्रीय लोक दल से एमएलसी बनने के बाद 2009 में वह बसपा से गाजियाबाद से सांसद बने। 2014 उन्हें सपा ने राज्यसभा भेजा। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में आ गए। पार्टी ने उन्हें राज्यसभा तो भेजा ही प्रदेश उपाध्यक्ष भी बना दिया। गुर्जरों में प्रभावी पकड़ रखने वाले सुरेंद्र नागर 2022 चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारकों में भी शुमार थे।
दर्शना सिंह : संगठन से सदन तक
राष्ट्रीय महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष दर्शना सिंह चंदौली की रहने वाली हैं। डेढ़ दशक की राजनीति में उन्होंने संगठन से सदन तक का सफर तय किया है। 2018 में वह यूपी में महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष थीं। भूमिका बदली तो राष्ट्रीय टीम में जगह दे दी गई। दर्शना सिंह को टिकट देकर पार्टी ने महिला नेतृत्व को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। बगल के ही जिले जौनपुर से ही भाजपा की एक और महिला नेत्री सीमा द्विवेदी भी उच्च सदन में हैं।
संगीता यादव : टिकट कटा तो टिकट मिला!
2013 में भाजपा में आई संगीता यादव के पति इनकम टैक्स में जॉइंट कमिश्नर हैं। 2017 में वह गोरखपुर की चौरीचौरा सीट से विधायक बनीं। पिछले साल जून में पार्टी ने उन्हें महिला मोर्चा में राष्ट्रीय मंत्री बनाया था। 2022 के चुनाव में चौरीचौरा निषाद पार्टी के कोटे में चली गई और संगीता का टिकट कट गया। अब पार्टी उन्हें यूपी के निचले सदन से बाहर होने की भरपाई देश के उच्च सदन भेजकर करेगी। सपा के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी भाजपा संगीता के जरिए महिला और पिछड़ा दोनों साधने को देख रही है।