Rajya Sabha Election: एक सीट के लिए BJP और SP में 'महाभारत'...क्रॉसवोटिंग, सेंधमारी और राजा भैया का सहारा
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव की जंग तेज हो गई है। 11 सीटों पर प्रदेश में राज्यसभा का चुनाव होना है।
उत्तर प्रदेश में होने जा रहे राज्यसभा चुनाव को लेकर दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियों को लगभग पूरा कर लिया है। समाजवादी पार्टी की ओर से तीन नाम तय कर लिए गए हैं। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने 21 नामों का पैनल तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को भेजा है। इसमें से 8 नामों का चयन कर राज्यसभा चुनाव के लिए जारी किया जा सकता है। यूपी में 11 सीटों पर राज्यसभा चुनाव होने जा रहा है। विधानसभा में संख्याबल के आधार पर समाजवादी पार्टी तीन सीटों पर आसानी से जीत दर्ज करती दिख रही है। वहीं, भाजपा को बिना किसी दिक्कत के 7 सीटों पर जीत मिल जाएगी। एक सीट पर चुनावी मुकाबला हो सकता है। अगर समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार खड़ा किया तो 10 जून को वोटिंग होगी। इसमें रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की भूमिका काफी बड़ी हो जाएगी।
राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासी हलकों में 11 में से 8 सीटों पर भाजपा की जीत मिलना तय माना जा रहा है। वहीं, सपा को 3 सीटों पर जीत मिलना तय है। लेकिन, यह समीकरण उतना भी सरल नहीं है। भाजपा गठबंधन के पास 273 विधायक हैं। वहीं, सपा गठबंधन के पास 125 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 2, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता पार्टी के पास 2 और बसपा के पास 1 विधायक हैं। ऐसे में अगर कोई उम्मीदवार 31 मई तक नामांकन दाखिल करता है और अपने पक्ष में पर्याप्त विधायकों के समर्थन का दावा करता है तो फिर चुनाव होना तय है। हालांकि, सत्ता पक्ष अन्य विधायकों को साधकर चुनाव न होने देने की कोशिश करता दिख सकता है।
एक सीट के लिए 37 विधायक जरूरी
यूपी में विधानसभा की 403 सीटें हैं। 11 सीटों पर राज्यसभा चुनाव हो रहा है। इस लिहाज से एक सीट के लिए 37 विधायकों का समर्थन जरूरी है। 273 सदस्यीय भाजपा गठबंधन के 7 उम्मीदवार 259 विधायकों के सहारे आसानी से जीत दर्ज करने में कामयाब होंगे। इसके बाद भाजपा के पास 14 विधायक बच जाएंगे। वहीं, सपा गठबंधन 111 विधायकों के सहारे 3 सीटों पर आसानी से कब्जा जमा लेगी। उनके पास भी 14 विधायक बचेंगे। इस लिहाज से देखा जाए तो जनसत्ता पार्टी के 2 और बसपा के 1 विधायक अहम हो जाएंगे। राजा भैया का जो रुख रहा है, वे किसी भी स्थिति में सपा के पाले में नहीं जाएंगे। बसपा विधायक के भी सत्ता से नजदीकी संबंध हैं। कांग्रेस अगर सपा की ओर से खड़े होने वाले चौथे उम्मीदवार का समर्थन भी करती है तो भाजपा के आठवें उम्मीदवार को जीत मिल सकती है।
क्रॉस वोटिंग हुई तो अखिलेश की स्थिति होगी कमजोर
समाजवादी पार्टी के लिए इस स्थिति में क्रॉस वोटिंग का भी खतरा बन सकता है। यह सीधे तौर पर अखिलेश यादव के नेतृत्व पर सवाल खड़ा करेगा। आजम खान की नाराजगी सबके सामने आ चुकी है। भले ही कपिल सिब्बल को सपा ने उम्मीदवार बना दिया हो, उनकी नाराजगी खत्म नहीं हुई है। शिवपाल यादव भरे सदन में सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते नजर आए हैं। नाहिद हसन और शहजिल इस्लाम की नाराजगी भी सामने आ चुकी है। ऐसे में अखिलेश यादव क्रॉस वोटिंग से बचने और पार्टी को एकजुट दिखाने की कोशिश में चौथा उम्मीदवार नहीं भी दे सकते हैं। अभी तक पार्टी की ओर से कपिल सिब्बल, जावेद अली खान और जयंत चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया है। चार दिनों का समय बाकी है, ऐसे में राजनीति किस करवट बैठती है, देखना दिलचस्प रहेगा।
31 मई तक होना है नामांकन
राज्यसभा चुनाव के लिए 31 मई तक नामांकन की प्रक्रिया चलेगी। इसके लिए भाजपा की ओर से तैयारियां चल रही है। पार्टी की ओर से एक-दो दिनों में नाम तय किए जाने की बात कही जा रही है। एक जून को नामांकन पत्रों की जांच और 3 जून को नामांकन वापसी के साथ तय हो जाएगा कि 10 जून को वोटिंग की नौबत आएगी या नहीं। अगर चुनावी मैदान में 11 से अधिक उम्मीदवार बचते हैं तो फिर 10 जून को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक वोटिंग होगी। दरअसल, यूपी से 11 सदस्यों का कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो रहा है। इसमें एक बड़ा नाम सतीश चंद मिश्रा का भी है। उनका राज्यसभा कार्यकाल समाप्त हो रहा है। विधानसभा में महज एक विधायक होने के कारण वे इस बार राज्यसभा नहीं जा पाएंगे।