'ज्ञानवापी का सर्वे जरूरी, लेकिन हर मस्जिद का नहीं' - शिवसेना सांसद विनायक भाऊराव राउत
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार एवं एनडीवी टुडे के सलाहकार प्रद्युम्न तिवारी से शिवसेना सांसद विनायक भाऊराव राउत ने बातचीत करते हुए ज्ञानवापी मामले पर विचार रखे साथ ही साथ उन्होंने यह भी बताया कि फिलहाल राष्ट्रपति पद के लिए किसी भी नाम पर चर्चा नहीं हुई है.
एक समय था जब भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा शिवसेना हिंदुत्व का परचम लहराने वाली पार्टी के रूप में मानी जाती थी। पर, बाला साहब ठाकरे ने जिस हिदुत्व का रास्ता चुना था, शिवसेना आज उससे इतर नजर आती है। महाराष्ट्र में तो भाजपा और शिवसेना ने साथ मिलकर सरकार ही नहीं बनायी बल्कि चुनाव भी लड़ा, लेकिन आज दोनों के रिश्तों में जो खाईं बन गयी है, वह पटती नजर नहीं आती। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और वहां के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे 15 जून को अयोध्या में थे। इससे पूर्व शिवसेना के अनेक सांसद तथा विधायक अयोध्या पहुंचे। इसी सिलसिले में शिवसेना के मुखर सांसद और संसद की चार महत्वपूर्ण कमेटियों के सदस्य विनायक भा. राउत लखनऊ पहुंचे तो उनसे ज्वलंत मुद्दों पर बेबाक बातचीत की गयी।
महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद शिवसेना का हिंदुत्ववादी चेहरा बदल सा गया है, इस सवाल पर राउत कहते हैं कि हमारे और भाजपा के हिंदुत्व में फर्क है। भाजपा तो सिर्फ सत्ता के लिए हिंदुत्व का प्रयोग करती है, जबकि शिवसेना के लिए हिंदुत्व स्वास्थ्य के समान है। जैसे स्वास्थ्य को ठीक रखना आवश्यक होता है, वैसे ही हिंदुत्व हमारी सेहत में रचा-बसा है। काशी में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को लेकर को लेकर शिवसेना का क्या रुख है, इस पर बेबाकी से राउत कहते हैं कि ज्ञावापी में सर्वे होना चाहिए। यदि वह हिंदुओं का पवित्र स्थल है और वहां शिवलिंग विराजमान है, तो सभी समुदायों को आस्था का आदर करना चाहिए। पर, हर मस्जिद में इस तरह से सर्वे की बात नहीं करनी चाहिए। इस संदर्भ में राउत आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को उद्धृत करते हैं। भागवत ने कुछ दिन पहले यही कहा था।
आजकल महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा पाठ का विवाद चरम पर है। एक समय बाला साहब ने मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में महाआरती का आयोजन किया था, तो उसमें और इसमें क्या फर्क नजर आता है, इस सवाल पर राउत कहते हैं कि महाआरती तो राम मंदिर निर्माण आंदोलन को गति देने के उद्देश्य से की गयी थी, लेकिन सार्वजकि स्थल, खासकर बाला साहब के घर के सामने सड़क पर हनुमान चालीसा का पाठ करना कितना न्यायसंगत कहा जा सकता है? यह श्रद्धा नहीं, राजनीति से प्रेरित कार्यक्रम है, इसलिए इसका विरोध तो होगा ही। जिसको पाठ करना है, वह अपने घर और मंदिरों में करे। राउत स्पष्ट रूप से कहते हैं कि महाराष्ट्र में कोरोना काल को छोड़कर किसी भी धार्मिक आयोजन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
भविष्य में क्या भाजपा और शिवसेना फिर निकट आ सकते हैं, इस पर राउत कहते हैं कि बाला साहब ने तो भाजपा के लिए पूरा देश छोड़ दिया था, सिर्फ महाराष्ट्र में ही सीमित हो गये थे। हमने भाजपा के सामने यही शर्त रखी थी कि महाराष्ट्र में आने वाले 10 सालों में साढ़े सात साल वह मुख्यमंत्री पद ले और सिर्फ ढाई साल हमें मौका दे। अमित शाह इस पर राजी भी थे, लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने खेल बिगाड़ दिया। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शिवसेना की रणनीति है, इस सवाल पर राउत कहते हैं कि राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी पद पर किसी नाम के लिए शिवसेना ने अभी कोई विचार नहीं किया है। इस पर पार्टी बाद में निर्णय लेगी।
क्या शिवसेना उत्तर प्रदेश में भी अपना संगठन मजबूती से खड़ा करेगी, इस पर राउत का स्पष्ट कहना है कि हमें अभी अच्छे लोग नहीं मिल रहे हैं। हमें शिवसेना के नाम पर सिर्फ चंदा वसूली करने वाले लोग नहीं चाहिए। बताया कि अनेक नेताओं से बात चल रही है और आने वाले समय में इन नेताओं के साथ मुंबई में वार्ता करके यूपी में भी संगठन को मजबूती देने का काम किया जायेगा। कहते हैं कि महंगाई आज बड़ा मुद्दा है। भाजपा इससे ध्यान भटकाने के काम कर रही है। इसको लेकर हम जनता के बीच जायेंगे।