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UP में विधान परिषद चुनाव के बाद क्यों चर्चा में है ‘गुड माफिया, बैड माफिया’ पॉलिसी, जानिए पूरा मामला

यूपी में माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर खूब गरज रहा है। प्रदेश भर में कई जगह ताबड़तोड़ अवैध कब्जे हटाए जा रहे हैं। माफिया मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद से लेकर तमाम अपराधियों पर एक्शन हो रहा है। इस बीच योगी सरकार पर विपक्ष पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का भी आरोप लगा रहा है।

UP में विधान परिषद चुनाव के बाद क्यों चर्चा में है ‘गुड माफिया, बैड माफिया’ पॉलिसी, जानिए पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार माफियाओं के खिलाफ जमकर कार्रवाई कर रही है। बुलडोजर चल रहे हैं। पूरे प्रदेश में कई जगह अवैध कब्जे हटाने, माफियाओं पर नकेल कसने की कार्रवाई चल रही है। इस कार्रवाई के बीच उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के परिणाम चर्चा में हैं। दरअसल चुनाव में जितनी चर्चा बीजेपी के 36 में से 33 सीटों की बड़ी जीत की नहीं है, उससे ज्यादा चर्चा बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, माफिया बृजेश सिंह और माफिया धनंजय सिंह से जुड़े प्रत्याशियों की जीत की हो रही है। इस बीच विपक्ष सरकार की कार्रवाईयों पर कथित रूप से गुड माफिया, बैड माफिया की पॉलिसी पर चलने का आरोप लगा रहा है। वहीं राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अगर जनता के बीच 'पक्षपात' का संदेश चला गया तो सरकार की पूरी मेहनत पर पानी फिरने का संकट खड़ा हो सकता है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में माफियाओं पर कार्रवाई की बात करें तो पूरे प्रदेश में मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद से लेकर सुंदर भाटी, कुंटू सिंह जैसे माफियाओं की करोड़ों की संपत्ति ध्वस्त की जा चुकी है। यही नहीं न्यायालय में लंबित केसों में भी सरकार ने तेजी दिखाई है और कई मामलों में लिस्टेड माफियाओं को सजा तक दिलाई गई है। यही नहीं दूसरी बार शपथ लेते ही सीएम योगी ने एक बार फिर माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई का बिगुल फूंक दिया है। हाल ही में मुख्तार अंसारी गैंग के सदस्यों की करोड़ाें की संपत्ति पर बुलडोजर चला दिया गया। वहीं अतीक अहमद के छोटे बेटे अली की गिरफ्तारी पर भी इनाम बढ़ा दिया गया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल तक सरकार माफियाओं पर कार्रवाई कर रही है। बुलडोजर गरज रहे हैं।

इसी दौर में यूपी में विधान परिषद चुनाव होते हैं। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बड़ी जीत दर्ज करती है। 36 सीटों में से 33 सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी 40 साल बाद यूपी में ऐसा पहला राजनीतिक दल बनी है, जिसके पास विधानसभा के दोनों सदनों में बहुमत है। लेकिन बीजेपी की इस बड़ी जीत की इस बार चर्चा नहीं है। चर्चा में तीन प्रमुख प्रत्याशी हैं, जिनमें एक भाजपा से हैं। इनमें वाराणसी से विजेता निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह, प्रतापगढ़ से जनसत्ता दल के अक्षय प्रताप और जौनपुर से बीजेपी प्रत्याशी बृजेश सिंह प्रिंशू का नाम शामिल है। अन्नपूर्णा सिंह माफिया बृजेश सिंह की पत्नी हैं। अक्षय प्रताप बाहुबली नेता और जनसत्ता दल के प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के रिश्तेदार हैं और तीसरे बृजेश सिंह प्रिंशू माफिया धनंजय सिंह के खास माने जाते हैं।

एक तरफ बीजेपी एमएलसी चुनाव में विपक्ष को चारों खाने चित कर रही दूसरी तरफ पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में बीजेपी तीसरे स्थान पर रही। चर्चा शुरू हो ही रही थी कि अन्नपूर्णा सिंह का जीत के बयान आ गया, उन्होंने जीत का श्रेय पीएम मोदी और सीएम योगी को दिया। इससे कहीं न कहीं 'अदृश्य समर्थन' की बातों को हवा मिलने लगी।

जो उनके साथ है वो माफिया नहीं है: अजय कुमार लल्लू
पूरे मामले में यूपी कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कहते हैं कि योगी सरकार का चरित्र पूरी तरह स्पष्ट है। उसकी कथनी और कथनी में बड़ा अंतर है। प्रदेश में माफियों की प्रवृत्ति अलग-अलग पैमाने पर है। जो उनके साथ है, वो माफिया नहीं है। अजय कुमार लल्लू योगी सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि अभी बरेली में एक विधायक का पेट्रोल पंप तोड़ दिया गया, वो सपा के थे। सभी जानते हैं कि कोई भी पेट्रोल पंप बिना प्रशासन की एनओसी के नहीं बनाया जा सकता। पूरी जांच करने के बाद ही परमीशन दी जाती है और पेट्रोल पंप स्थापित होता है। अजय कुमार लल्लू पूछते हैं कि अगर कार्रवाई की बात थी तो पहले उन अधिकारियों पर होनी चाहिए, जिन्होंने एनओसी दी। परमीशन देने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, सरकार ने सिर्फ विधायक को निशाना बनाया। इससे साफ है कि सरकार का कहीं न कहीं चरित्र साफ हो जा रहा है, वो जिन्हें दुश्मन मानती है, उन पर कार्रवाई करती है।

'प्रतापगढ़ छोड़कर हर जगह जीती बीजेपी ही'
इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि अगर सही मायने में देखा जाए तो प्रतापगढ़ को छोड़कर हर जगह बीजेपी ही जीती है। किसी जगह पार्टी की ए टीम यानि कोर टीम का कब्जा हुआ है, तो कहीं पर बी टीम जीती है। वाराणसी में जिन अन्नपूर्णा सिंह की जीत हुई है, वो बीजेपी के सैयदराजा से विधायक सुशील सिंह की चाची हैं। वहीं आजमगढ़ के विक्रांत सिंह बीजेपी के कोटे के ही एमएलसी हैं, जिन्हें एक कैबिनेट मंत्री और सीएम योगी के बीच हुए विवाद के बाद पार्टी से निकाला गया था। एक कुंडा में राजा भइया ने यह दिखाया कि स्थानीय राजनीति में उनका कितना प्रभाव है और इसी कारण पांचवी बार उन्होंने गोपाल जी को जीत दिलाई है।

वैसे कहा तो ये भी जा रहा है कि बृजेश सिंह की पत्नी की जीत पहले से तय थी, बस चुनाव की औपचारिकता पूरी की गई। बीजेपी ने जिन सुदामा पटेल को उतारा वे खुद पूरे चुनाव कहते रहे कि बीजेपी उनका साथ नहीं दे रही, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। आखिर में बृजेश सिंह की पत्नी जीत गईं। इसी तरह जौनपुर में भी बृजेश सिंह प्रिंशू बीजेपी टिकट पर जीते। वो पहले ही निर्दलीय पर्चा खरीद चुके थे, ऐन वक्त उनकाे बीजेपी से टिकट मिल गया।

'सरकार को अपनी कार्रवाई ध्यान रखना होगा'
इस पूरे मामले में वरिष्ठ पत्रकार नवल कांत सिन्हा कहते हैं कि एमएलसी चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, माफिया तो दोनों ही जगह जीतते रहे हैं। लेकिन बात जब कार्रवाई की आती है तो सरकार को एक तरफ से सभी के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। अगर किसी माफिया के खिलाफ कार्रवाई होने और कुछ खास को छोड़ देने का संदेश जनता में जाता है, तो सरकार की पूरी कार्रवाई पर सवाल उठ जाते हैं और संदेश जाता है कि दुश्मनी के कारण ही चुनिंदा कार्रवाई हो रही है। सरकार को ये ध्यान रखना होगा कि माफिया, भ्रष्टाचारी चाहे जो हों, किसी के पक्ष के हों, होते सभी समाज के दुश्मन ही हैं।

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