कर्नल बनकर 16 लाख में दिलवाई 'नौकरी', कानपुर टेरीटोरियल में 15 दिन चली फर्जी ट्रेनिंग, अफसरों को भनक तक नहीं लगी
मेरठ आर्मी इंटेलिजेंट्स ने सेना में फर्जी नौकरी देने वाले गिरोह को पकड़ा है। सेना में सेंध लगाने की खबर के बाद रक्षा मंत्रालय तक हरकत में आ गया है। इससे जुड़े एक-एक व्यक्ति की तलाश की जा रही है। इसके लिए कई टीमों का गठन कर दिया गया है।
भारतीय सेना में फर्जी कर्नल बनकर 16 लाख लेकर नौकरी देने के मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। आरोपियों ने न सिर्फ नौकरी दी, बल्कि कानपुर के टेरीटोरियल में उसको बकायदा ट्रेनिंग भी दी गई। ट्रेनिंग के दिनों में न तो वहां के किसी सैन्य अधिकारी को इसकी जानकारी हुई और न ही ट्रेनिंग ले रहे युवक को पता चला कि उसको फर्जी नौकरी के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग को मिलाकर चार 4 महीने तक युवक ड्यूटी करवाई गई। यही नहीं हर महीने 12 हजार रुपये एकाउंट में भी भेजे गए। इस पूरे फर्जीवाड़े की कहानी जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
मेरठ में सेना के नाम पर ठगी करने वाले आरोपी सेना के सिपाही से आर्मी इंटेलिजेंट्स और थाना दौराला पुलिस ने उसके बताए स्थान पर छापा मारा। जहां से पिस्टल बरामद मिली है। वहीं, पुलिस ने बताया कि आरोपी राहुल ने बताया कि पीड़ित मनोज से रुपये ठगने के बाद उसे कानपुर के टेरीटोरियल में ले गए। जहां उनकी मदद टेरीटोरियल के राजा ने की और इतना ही नहीं राजा ने 15 दिन की उसे ट्रेनिंग भी दी। उसके बाद पीड़ित मनोज को वो अपने साथ फालोअर बनाकर पठानकोट ले गए। जहां उसे खाना और पाकिस्तान बॉर्डर पर ड्यूटी भी करवाई।
कानपुर टेरीटोरियल के राजा के खिलाफ भी दर्ज हुआ केस
आर्मी इंटेलिजेंट ने कानपुर संपर्क किया तो जानकारी मिली कि राजा कानपुर से फरार है। उसके बाद पुलिस ने राहुल , बिट्टू के साथ राजा को भी FIR में नामजद कर उसके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया।
इस घटना से जुड़े अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए बनी टीम
आर्मी इंटेलिजेंस ने पुलिस के उच्च अधिकारियों से संपर्क कर अब आर्मी की मोहर, फर्जी दस्तावेज बनाने वालों के लिए एक टीम की मांग की। उसके बाद इन आरोपियों की भी धड़पकड़ की जाएगी। मामला रक्षा मंत्रालय तक पहुंच गया है और सेना की सुरक्षा में सेंधमारी देश के लिए घातक है, इसलिए अब इस घटना से जुड़े एक-एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने की तैयारी की गई है।
दिए 16 लाख
मनोज और उसके भाई की नौकरी लगवाने के लिए 16 लाख तय हुए। दस लाख नकद दिए और छह लाख मनोज ने राहुल के खाते में डाल दिए। इसके बाद राहुल, मनोज को टेरिटोरियल आर्मी के आफिस में अपने साथ रखने लगा। राहुल ने मनोज को बाजार से खरीदकर सेना की वर्दी और आइडी कार्ड दिया। अपने पठानकोट आफिस में बतौर फालोअर रखा। वहां का खाना भी मनोज बनाने लगा। साथ ही कभी-कभी बार्डर पर सेना के हथियारों के साथ ड्यूटी भी करवाई।