3 अगस्त 1991, घर के सामने छलनी कर दिए गए थे अवधेश राय... मुख्तार अंसारी को 10 साल कैद की सजा मिलने पर याद आई वो कहानी
मुख्तार अंसारी के खिलाफ गाजीपुर की एमपी- एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 साल कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही मुख्तार के उन कांडों की याद ताजा हो गई है, जिसको लेकर उस पर यह एक्ट लगा था। चर्चित अवधेश राय हत्याकांड इसमें से एक रहा है।
3 अगस्त 1991। वाराणसी का लहुरावीर का इलाका। अवधेश राय घर के बाहर खड़े थे। उनके साथ पूर्व मंत्री अजय राय भी खड़े थे। अचानक कुछ हथियाबंद लोग आए। ऑटोमेटिक हथियारों से लैस। गोलियों की तड़तड़ाहट। अवधेश राय का शरीर गोलियों से छलनी कर दिया गया। अवधेश की मौत ने समर्थकों को आंदोलित कर दिया। वाराणसी के चेतगंज थाने में केस दर्ज हुआ। नामजद आरोपी मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश समेत अन्य बनाए गए। केस की सुनवाई के दौरान जून 2022 में पता चला कि मूल केस डायरी ही गायब है। वाराणसी से प्रयागराज तक केस डायरी की तलाशी हुई। मूल केस डायरी नहीं मिली। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कराया है। मूल केस डायरी के गायब कराने के मामले में मुख्तार अंसारी पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। 1996 में दर्ज इस मामले में 26 साल बाद गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगी भीम सिंह को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई है। मुख्तार अंसारी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
गाजीपुर की एमपी-एमएलए गैंगेस्टर कोर्ट में मऊ के पूर्व विधायक और बांदा जेल में निरुद्ध माफिया मुख्तार अंसारी को लेकर विचाराधीन गैंगस्टर एक्ट के केस में फैसला सुनाया जाना है। गुरुवार को सुनाए जाने वाले इस बहुप्रतीक्षित फैसले को लेकर कोर्ट परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है। गैंगस्टर एक्ट का यह मामला मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगी भीम सिंह पर गाजीपुर की सदर कोतवाली में 1996 में दर्ज हुआ था। इस केस को लेकर एडीजीसी क्रिमिनल नीरज श्रीवास्तव के अनुसार, अंसारी और उसके सहयोगियों पर कुल पांच गैंग चार्ज है।
मुख्तार अंसाारी पर 1991 में सिगरा, वाराणसी में अवधेश राय हत्याकांड, गाजीपुर कोतवाली क्षेत्र में तत्कालीन एडिशनल एसपी पर गोली चलाने के अलावा कुछ अन्य मामलों को लेकर कुल पांच चार्ज लगे थे। इस मामले की न्यायिक सुनवाई के क्रम में गवाही, जिरह और बहस आदि प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। 15 दिसम्बर को इस मामले में फैसला जज दुर्गेश पांडेय की कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।
1996 में दर्ज हुआ था मामला
मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगी भीम सिंह पर सदर कोतवाली में 1996 में गैंगस्टर एक्ट के मुकदमा कायम हुआ था। इस 26 साल पुराने मामले में 25 नवंबर को फैसला सुनाने की तारीख कोर्ट ने तय की गई थी। इस बीच 24 नवंबर को पीठासीन अधिकारी का ट्रांसफर हो गया। इस कारण मामले में फैसला नहीं सुनाया जा सका। नए पीठासीन अधिकारी दुर्गेश पांडेय ने 5 दिसंबर से हर रोज लगातार सुनवाई करते हुए सभी न्यायिक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 15 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुनाने की तारीख तय की।