कूड़े से हर महीने 22 लाख की कमाई करने वाला UP का पहला नगर निगम बना गाजियाबाद, 750 मीट्रिक टन निकलता है कचरा
टेंडर प्रक्रिया में जिस रकम का टेंडर छूटेगा हर साल उसमें 10% की बढ़ोतरी भी की जाएगी। इसके अलावा 750 मेट्रिक टन से अधिक कूड़ा निकलने पर कंपनी को टेंडर की रकम के अनुपात में ही अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद नगर निगम ने घरों से निकलने वाले कूड़े से निजात ही नहीं पाई बल्कि कूड़े से कमाई करनी भी शुरू कर दी है। निगम ने कूड़े से छुटकारा पाने के लिये एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया। इसके तहत घरों से निकलने वाले कूड़े को एकत्र कराना शुरू किया और उसे बाजार में बेचा गया। अब उस कूड़े से करीब 22 लाख रुपए हर महीने की कमाई भी शुरू कर दी है।
इस प्रॉजेक्ट के कामयाब होने के बाद अब निगम ने योजना को बाजार में सूखा कूड़ा बेचे जाने की योजना को खुली प्रतिस्पर्धा में उतारने का निर्णय लेते हुए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। टेंडर प्रक्रिया में जिस रकम का टेंडर छूटेगा हर साल उसमें 10% की बढ़ोतरी भी की जाएगी। इसके अलावा 750 मेट्रिक टन से अधिक कूड़ा निकलने पर कंपनी को टेंडर की रकम के अनुपात में ही अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा। कूड़ा बेचकर आय प्राप्त करने वाला गाजियाबाद निगम उत्तर प्रदेश का पहला नगर निगम बन गया है।
कूड़े से हर महीने कमाए ₹22 लाख, अब छोड़ा जाएगा टेंडर
गाजियाबाद में घरों से निकलने वाला कूड़ा निगम के लिए सरदर्द बना हुआ था। लेकिन गाजियाबाद नगर निगम ने इस कूड़े को एकत्र करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की। जिसके चलते निगम ने गीले कूड़े से खाद बनाना शुरू किया तो वहीं सूखे कूड़े को बेचकर अब धन अर्जित करना भी शुरू कर दिया है।
आंकड़ों के मुताबिक नगर निगम हर महीने घरों से सूखे कूड़े के रूप में इकट्ठा होने वाले एलुमिनियम के कैन, कांच की बोतल, गत्ता और कई तरह की अन्य प्लास्टिक और पॉलीथिन समेत 750 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। निगम जिसे बेचकर 22 लाख रुपए की कमाई कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के कामयाब होने के बाद अब नगर निगम ने इसे बाकायदा कंपनियों को टेंडर दिए जाने की योजना तैयार की है। क्योंकि टेंडर दिए जाने के बाद और भी अधिक आय बढ़ने की संभावना है।
750 मीट्रिक टन कूड़े से हर महीने 22 लाख की कमाई
गाजियाबाद नगर निगम के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि कुछ समय पहले सूखे कूड़े को ऐसे ही दे दिया जाता था। लेकिन इसमें कुछ परिवर्तन करते हुए 3 महीने पहले एक पायलट प्रॉजेक्ट की शुरुआत की गई। इसके तहत सूखे कूड़े के रूप में इकट्ठा होने वाले एलुमिनियम के कैन, कांच की बोतल, गत्ता और कई तरह की अन्य प्लास्टिक और पॉलीथिन समेत बड़ी मात्रा में कूड़ा एकत्र होता है और यह सूखा कूड़ा करीब 750 मीट्रिक टन हर महीने निकलता है। जिसे बाजार में बेचकर 22 लाख रुपए की प्राप्ति हो रही है।
इसलिए अब यह निर्णय लिया गया है। कि इसे खुली प्रतिस्पर्धा में उतारते हुए कंपनियों को टेंडर के लिए आमंत्रित किया जाएगा। जिसकी न्यूनतम बोली 22 लाख रुपये प्रतिमाह रखी जाएगी और जिस कंपनी को टेंडर छूटेगा उसमें 10% कि हर साल बढ़ोतरी भी होगी। उन्होंने बताया कि यदि कंपनी को 750 मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा मिलता है तो टेंडर की अनुपात राशि के मुताबिक कंपनी से अधिक पैसा लिया जाएगा।