1 लाख बिजली कर्मचारी हड़ताल पर, 20 हिरासत में: प्रयागराज-आजमगढ़ समेत कई जिलों में सप्लाई बाधित; ऊर्जा मंत्री बोले- एस्मा लगेगा
शुक्रवार यानी आज कोई हंगामा न हो, इसके चलते लखनऊ समेत कई जिलों में बिजली विभाग के ऑफिस पर PAC तैनात कर दी गई है।
यूपी में 1 लाख बिजली कर्मचारी गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर हैं। अब तक 20 से ज्यादा कर्मचारी नेताओं को हिरासत में लिया गया है। शुक्रवार यानी आज कोई हंगामा न हो, इसके चलते लखनऊ समेत कई जिलों में बिजली विभाग के ऑफिस पर PAC तैनात कर दी गई है।
हड़ताल के चलते 3 करोड़ बिजली उपभोक्ता की परेशानी बढ़ गई है। वहीं, प्रयागराज में 48, कानपुर देहात में 9, सिद्धार्थनगर में 9, जालौन में 8, आजमगढ़ में 32, कुशीनगर में 20, रामपुर में 6, बस्ती में 33 उपकेंद्र बंद हैं। जिसकी वजह से सप्लाई बाधित हो गई है। इससे पहले साल 2003 में कर्मचारियों ने बिजली विभाग के एकीकरण को लेकर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया था।
सीएम योगी के जिले गोरखपुर में 33 केवी लाइन करीब 40 जगहों पर बंद हो चुकी है। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इससे करीब डेढ़ लाख उपभोक्ता बिजली कटौती से परेशान है। वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी का क्षेत्र प्रयागराज में भी 48 जगहों पर फॉल्ट हो चुका है। अनुमान है कि दस हजार से ज्यादा लोग बिजली कटौती से परेशान हैं।
इधर, ऊर्जा मंत्री ने बिजली कर्मचारियों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगमों में जनवरी से 6 माह के लिए एस्मा प्रभावी है। ऐसे में हड़ताल के दौरान बिजली सप्लाई में किसी तरह का व्यवधान करने या उपकेंद्रों व अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर एस्मा और रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर थोड़े बहुत व्यवधान होती है, तो संयम बरतें।
सबसे पहले पढ़िए कर्मचारियों की प्रमुख मांगें-
- 9 साल, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिया जाए।
- निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन किया जाए।
- बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए।
- ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए।
- 765/400/220 केवी विद्युत उपकेंद्रों को आउट सोर्सिंग के जरिए चलाने का निर्णय रद्द किया जाए।
- पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए।
- आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर- नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए।
- ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए।
- तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली व ओडिशा सरकार के आदेश की भांति ऊर्जा निगमों के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।
- बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए।
- भ्रष्टाचार-फिजूलखर्ची रोकने के लिए लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाएं। इसलिए कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाएं।
नए कनेक्शन और फॉल्ट मरम्मत के काम प्रभावित
प्रदेश के विभिन्न जिलों में अप्रैल से पहले उपकेंद्रों के मरम्मत का काम चल रहा है। हड़ताल के चलते मरम्मत का काम प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा लोगों को नए कनेक्शन मिलने में दिक्कत हो रही है। अगर कोई उपभोक्ता अपना बिल सही कराने के लिए उपकेंद्र जाता है, तो उसको भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। साथ ही अगर कहीं फॉल्ट आता है, तो बिजली कर्मचारी उसको बनाने से इनकार भी कर सकता है।
प्रदर्शनकारी बोले- सरकार संविदा कर्मचारियों को टारगेट कर रही
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने सबसे पहले संविदा और आउट सोर्सिंग वाले कर्मचारियों को टारगेट करने का फैसला किया है। अभी तक प्रयागराज, संभल और महाराजगंज अलग-अलग शहरों को मिलाकर करीब 20 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तार किया गया है।
अयोध्या में 40 जगहों पर बिजली फॉल्ट
अयोध्या में गुरुवार रात को 40 जगहों पर फॉल्ट हुए। इसमें 3 फॉल्टों को कर्मचारियों ने ठीक किया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के चलते विद्युत पावर निगम को 25 लाख से अधिक का नुकसान हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि सुबह से देर शाम तक बिजली गायब रहने के कारण परेशानी हुई। पशुओं का चारा काटने तथा आटा पीसने नहीं चल पा रही है। साथ ही पेयजल और मोबाइल चार्ज भी नही हुआ। इसी दौरान ग्रामीण इलाकों में लोगों के इन्वर्टर भी ठप हो गए।
CM योगी से हस्तक्षेप की मांग
बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने की मांग की है। समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि कार्य बहिष्कार मजबूरी में कर रहे हैं। 3 दिसंबर 2022 को मांगों को लेकर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने पूरा करने का आश्वासन दिया था। इसको लेकर लिखित समझौता हुआ था। मगर, कॉर्पोरेशन प्रबंधन और मंत्री दोनों अपनी बात से मुकर रहे हैं। ऐसे में कार्य बहिष्कार पर जाना हमारी मजबूरी है।
पूरे देश से समर्थन मिलने का दावा
हड़ताल में शामिल संगठनों का दावा है कि उनको पूरे देश से समर्थन मिल रहा है। 16 मार्च को देश के सभी राज्यों के बिजली कर्मचारियों के उनके समर्थन में मार्च निकाला है। दावा किया जा रहा है कि देश के 27 लाख बिजली कर्मचारियों ने उनका समर्थन किया है। बिजली संगठनों के केंद्रीय नेता गुरुवार को लखनऊ पहुंचे भी थे।
नेताओं ने बंद किए फोन नंबर
मामले को लेकर जब मीडिया ने जिलों में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं ने फोन किया, तो उनके फोन बंद आए। जिससे की उनको रात को पुलिस गिरफ्तार न कर पाए।
1500 इंजीनियर और कर्मचारियों ने किया था प्रदर्शन
लखनऊ में गुरुवार को राणा प्रताप मार्ग स्थित फील्ड हॉस्टल पर 1500 से ज्यादा इंजीनियर और कर्मचारी प्रदर्शन किया था। मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी लखनऊ में अभी बिजली कटौती पर फॉल्ट का काम सुचारु रूप से चल रहा है। बाकी काम जैसे कि उपभोक्ता अपना बिल सुधार काम प्रभावित हो रहा हैं। क्योंकि जेई , एसडीओ और एक्सईएन के अकाउंट से ही यह काम होते हैं। इसमें करीब 90 फीसदी लोग कार्य बहिष्कार में शामिल थे।