प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़ा, अपात्रों को आवास... दूसरे के खाते में ट्रांसफर की गई रकम, अब FIR
प्रतापगढ़ से प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़े का बड़ा मामला सामने आया है। इस मामले में गड़बड़ियों को लेकर विजिलेंस ने एफआईआर दर्ज की है। मामले में पाया गया है कि अपात्रों को आवास योजना का लाभ दिया गया। दूसरों के खाते में रकम ट्रांसफर की गई।
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले में अब कार्रवाई शुरू की जा रही है। प्रतापगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपात्रों को लाभार्थी दिखाकर दूसरों के खातों में रकम ट्रांसफर करने के मामले में विजिलेंस ने आवास विकास के अकाउंटेंट और तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ धोखाधड़ी व अमानत में खयानत की एफआईआर दर्ज की है। जिन लोगों के खातों में रकम ट्रांसफर की गई वे भी इस धोखाधड़ी में शामिल पाए गए हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर हुई जांच के बाद मामला बढ़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक प्रतापगढ़ के बाबागंज के खंड विकास अधिकारी रमाशंकर सिंह की तरफ से यह एफआईआर दर्ज करवाई गई है। एफआईआर के मुताबिक 13 सितंबर 2021 से नौ नवंबर 2022 के बीच इस घोटाले को अंजाम दिया गया। एफआईआर में विकास खंड बाबागंज के आवास विकास में तैनात रहे तत्कालीन लेखाकार पटल सहायक ओंकार नाथ सिंह और ग्राम पंचायत पुरमई सुल्तानपुर के तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी कुलदीप त्रिपाठी को नामजद किया गया है।
जिन्हें मिल चुका है आवास, उन्हें भी बनाया पात्र
आरोप है कि आरोपितों ने निजी लोगों के साथ मिलीभगत कर पुरमई सुलतानपुर निवासी रामफेर सरोज के दिवंगत पिता मथुरा प्रसाद को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभार्थी दिखाकर उन्हें मिलने वाले अनुदान को उनकी आईडी का इस्तेमाल कर गांव के ही धर्मेंद्र के खाते में 1.20 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसी तरह श्रीराम मनोहर सरोज, जो लोहिया आवास योजना के तहत आवास हासिल कर चुके थे। उन्हें भी पात्र बनाकर उनकी आईडी पर गांव के ही दूसरे राम मनोहर के खाते में अनुदान की रकम ट्रांसफर करवा दी। इसी तरह गांव के विशेशर भी लोहिया आवास योजना के तहत घर पा चुके हैं। उनके नाम पर गांव की किरन देवी के खाते में रकम ट्रांसफर करवा दी।
इसी तरह जगेशर के नाम पर गांव में ही जीतलाल के खाते में रकम भिजवा दी। वहीं, राम कुमार जिनके पास पहले से आवास था और वह योजना के लिए अपात्र थे। उनके नाम पर उनके भाई नंदलाल के खाते में रकम भेज दी गई। इन्हीं अनियमितताओं के मामले में विजिलेंस ने एफआईआर दर्ज की है। हाई कोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच हुई थी।