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क्या योगी सरकार के पास स्कॉलरशिप देने के पैसे नहीं हैं?

उत्तर प्रदेश में अलग-अलग कोर्स की पढ़ाई करनेवाले लाखों छात्रों की पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप इस साल नहीं आई है. इनमें OBC और जनरल कैटेगरी के छात्र शामिल हैं.

क्या योगी सरकार के पास स्कॉलरशिप देने के पैसे नहीं हैं?

बीते कुछ दिनों से लगातार सोशल मीडिया पर ये हैशटैग ट्रेंड हो रहा है. हैशटैग से ही समझ आ जाता है कि ये मामला उत्तर प्रदेश के छात्रों का है. दरअसल उत्तर प्रदेश में अलग-अलग कोर्स की पढ़ाई करनेवाले लाखों छात्रों की पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप इस साल नहीं आई है. इनमें OBC और जनरल कैटेगरी के छात्र शामिल हैं. ये छात्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से स्कॉलरशिप जारी करने की अपील कर रहे हैं.


क्या है प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप?
आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की पढ़ाई में बाधा न आए, इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप दी जाती है. प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप कक्षा 6 से 10 तक के छात्रों को मिलती है. जबकि पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए 11वीं से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक के छात्र अप्लाई कर सकते हैं. इसके लिए सरकार की ओर से एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया भी तय की गई है. प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए छात्र के परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये या इससे कम होनी चाहिए. इसी तरह पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने वाले एससी-एसटी कैटेगरी के छात्रों के परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये जबकि सामान्य वर्ग के छात्रों के परिवार की वार्षिक आय 2 लाख रुपये या इससे कम होनी चाहिए.

निर्धारित क्राइटेरिया को पूरा करने वाले लाखों छात्र हर साल प्री-मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई करते हैं. छात्रों का एप्लिकेशन फॉर्म कॉलेज/यूनिवर्सिटी से होते हुए समाज कल्याण विभाग तक पहुंचता है. जहां वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी होती है. जो अप्लिकेशन फॉर्म सही पाए जाते हैं, उन्हें आगे बढ़ा दिया जाता है. जिनमें त्रुटियां पाई जाती हैं, वो रिजेक्ट हो जाते हैं. वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद छात्रों को समाज कल्याण विभाग की ओर से स्कॉलरशिप दी जाती है.


इस साल क्या समस्या आई?
आंकड़ों के अनुसार अगर देखें तो साल 2021-22 में एक करोड़ से भी ज्यादा नए आवेदन आए थे. जांच के बाद कुल 78,34,637 छात्रों का फॉर्म विभिन्न संस्थानों ने समाज कल्याण विभाग को भेजा. समाज कल्याण विभाग ने इसमें से 55 लाख छात्रों को ही एलिजिबल माना. इनमें से कुछ की स्कॉलरशिप आ गई है और कुछ की नहीं आई है. कुशीनगर के एक कॉलेज से बीएड कर रहीं अमृता बताती हैं, “मेरा फार्म वैरिफाइड है. लेकिन मेरी स्कॉलरशिप नहीं आई है. इसके पीछे वजह क्या है, ये भी नहीं पता. हर साल 50-60 प्रतिशत छात्रों को स्कॉलरशिप मिल जाता था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. हमारे कॉलेज में 100 सीट हैं. जबकि स्कॉलरशिप आई है केवल 4-5 लोगों की. हम जब इस बारे में पता करने के लिए समाज कल्याण विभाग गए, तो वहां से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.”

स्कॉलरशिप के लिए सोशल मीडिया पर कैम्पेन चला रहे छात्रों में बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की है, जिनकी स्कॉलरशिप न आए तो पढ़ाई रुक सकती है. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी से बीटेक कर रहे दीपक केसरवानी बताते हैं, “मेरे पिताजी किसान हैं. उन्होंने पहले साल की फीस जमा करने के लिए 80,000 रुपये उधार लिए थे. इस आस में कि दूसरे साल की फीस के लिए स्कॉलरशिप आ जाएगी, तो अगले साल फीस जमा हो जाएगी और पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आएगी. पहले साल की फीस 76,000 रुपये थी और स्कॉलरशिप 56,000 आती है. लेकिन इस साल वो भी नहीं आई. अब मेरे पास दो ही विकल्प है. या तो अब पढ़ाई यहीं छोड़ दूं या फिर पिताजी को और कर्ज लेना पड़ेगा.”

क्या कहते हैं आंकड़े?
सोशल मीडिया पर कई छात्रों ने अपने एप्लिकेशन फॉर्म का स्टेटस शेयर किया है. जिसमें स्पष्ट लिखा है कि फंड की कमी होने की वजह से स्कॉलरशिप नहीं दी गई है. सरकार के फंड की बात करें तो साल 2021-22 के बजट में समाज कल्याण विभाग को कुल 4,204 करोड़ रुपये जारी किए गए थे. इस राशि में से पिछड़े वर्ग के लिए 1,375 करोड़ रुपये, एससी-एसटी वर्ग के लिए 1,430 करोड़ रुपये, अल्पसंख्यक वर्ग के लिए 829 करोड़ रुपये और सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 570 करोड़ रुपये का एलॉटमेंट किया गया था.

इसमें से कितना पैसा कहां खर्च हुआ है, अभी इसका कोई आंकड़ा समाज कल्याण विभाग और यूपी स्कॉलरशिप की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है. अगर हम पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020-21 में कुल 26.47 लाख छात्रों को 3050.68 करोड़ रुपये की पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप दी गई.

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