राम के वादों को पूरा करने श्रीलंका से निकली ‘श्रीराम वन गमन पथ काव्य यात्रा’ अयोध्या तक जाएगी
इस यात्रा की खास बात यह है कि जिन 232 स्थानों पर श्रीराम ठहरे थे उस पवित्र स्थान पर यह यात्रा पहुंचेगी।
भगवान श्रीराम जब अयोध्या से वनवास के लिए रवाना हुए तो वन में न जाने कितने लोगों से उनकी मुलाकात होती है। वह उन सब से फिर लौटकर आने का वादा करते हुए वह आगे बढ़ते गए लेकिन वह लंका से लौटते समय उन तक फिर नहीं पहुंच सके। क्योंकि भरत को वचन दे चुके थे कि 14 बरस पूरे होते ही वह किसी भी स्थिति में अयोध्या लौट आएंगे। 14 बरस पूरे हो चुके थे इसलिए वह लंका से अयोध्या चले गए। अब उनके इस वादे को पूरा करने के लिए ‘श्रीराम वन गमन पथ काव्य यात्रा’ निकाली गई।
यात्रा श्रीलंका से चलकर अयोध्या तक जाएगी। इस यात्रा की खास बात यह है कि जिन 232 स्थानों पर श्रीराम ठहरे थे उस पवित्र स्थान पर यह यात्रा पहुंचेगी। मंगलवार को यह यात्रा प्रयागराज पहुंची। यहां रामनवमी के दिन 10 अप्रैल को अयोध्या में भव्य कार्यक्रम के साथ इसका समापन होगा।
42 दिन में पूरी करेंगे छह हजार किमी. की दूरी
राष्ट्रदेव श्रीराम के बैनरतले संरक्षक बाबा सत्यनारायण मौर्य की अगुवाई में यह यात्रा 26 फरवरी को श्रीलंका से चली। एक मार्च को रामेश्वरम के अशोक वाटिका में पूजा हुई और इस रथ पर श्रीराम व मां सीता के चरण पादुका रखे गए और फिर वहां से अयोध्या के लिए रवाना हुई। वन जाते समय जहां जहां रामचंद्र जी रूके वहां पर यह यात्रा रूकती है और लोगों से बातचीत करती है। यहां श्रीराम के प्रति उनका समर्पण और विश्वास देखने को मिलता है। यह यात्रा के आठ राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, छत्तीसगढ़ होती वापस यूपी आ रही है।
232 जगहों तक पहुंचाना है राम जन्मभूमि की मिट्टी
सरंक्षक बाबा सत्यनारायण मौर्य ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि की मिट्टी को भी वह अपने साथ लेकर चल रहे हैं। 232 जगहों पर जहां श्रीराम चंद्र जी रूके थे वहां इस मिट्टी को स्थापित करेंगे। जहां रामचंद्र जी लौटते समय नहीं पहुंच सके थे वहां उनकी जन्मभूमि की मिट्टी पहुंचाकर उनका वादा पूरा करने का प्रयास इस यात्रा के जरिए किया जा रहा है। इसमें 32 लोग शामिल हैं। 41 दिन की इस यात्रा में छह हजार किलोमीटर की दूरी तय करनी है।