यूपी: बिजली संकट में कोयले की किल्लत है अहम वजह, डिमांड-सप्लाई में आया काफी अंतर
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यह आरोप लगाया है। दलील है कि निजी पावर प्लांट को फायदा देने के लिए ऐसे सरकारी प्लांट बनाए गए हैं, जहां विदेशी कोयले का ही इस्तेमाल हो सके। इसके लिए साल दर साल बड़े पैमाने पर विदेश से कोयला खरीदा जाता है। इसकी वजह से लागत बढ़ जाती है।
यूपी समेत पूरे देश में चल रहे बिजली संकट में कोयले की किल्लत बड़ी वजह है। इसके लिए निजी पावर प्लांट जिम्मेदार हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने यह आरोप लगाया है। दलील है कि निजी पावर प्लांट को फायदा देने के लिए ऐसे सरकारी प्लांट बनाए गए हैं, जहां विदेशी कोयले का ही इस्तेमाल हो सके। इसके लिए साल दर साल बड़े पैमाने पर विदेश से कोयला खरीदा जाता है। इसकी वजह से लागत बढ़ जाती है।
13 उत्पादन इकाइयां ऐसी हैं, जो विदेशी कोयले पर ही चलाने के लिए डिजाइन की गई
अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूरे देश में लगभग 18,310 मेगावॉट निजी क्षेत्र की लगभग 13 उत्पादन इकाइयां ऐसी हैं, जो विदेशी कोयले पर ही चलाने के लिए डिजाइन की गई हैं। विदेशी कोयला महंगा होने के बाद अब इन पावर प्लांटों ने अब बिजली उत्पादन बंद कर दिया। सरकार अब बिजली कंपनियों पर विदेशी कोयला खरीदने का दबाव बना रही है। पहले से ही घाटे में चल रही कंपनियों के लिए और ज्यादा नुकसान का सौदा है। दूसरी तरफ अगर खरीदारी नहीं होती है, तो सप्लाई प्रभावित होगी।
विदेशी कोयला खरीदा गया तो बिजली एक रुपए प्रति यूनिट तक होगी महंगी
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि निजी पावर प्लांटों ने पावर परचेज एग्रीमेंट में बदलाव के बाद बिजली उत्पादन शुरू किया। आरोप लगाया कि कुछ उत्पादन इकाइयों ने अपनी मशीनों में अपग्रेडेशन करके घरेलू कोयला कोल इंडिया से लेकर अपनी उत्पादन इकाइयों को चलाया भी है। इसकी वजह से कोल इंडिया जिन पावर प्लांटों को कोयला सप्लाई करता है, उन पावर प्लांट का बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है। परिषद ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की है। दरअसल, अगर विदेशी कोयला खरीदा गया तो बिजली एक रुपए प्रति यूनिट तक महंगी हो सकती है।
प्रदेश की 10 करोड़ आबादी को करते हैं कवर
गांव, नगर पंचायत और तहसील को मिलाकर उपभोक्ताओं की संख्या करीब दो करोड़ है। यह करीब प्रदेश की 10 करोड़ आबादी को कवर करते हैं। ऐसे में देखा जाए तो मौजूदा समय करीब 10 करोड़ लोग प्रतिदिन बिजली संकट का सामना कर रहे हैं। पावर कॉर्पोरेशन की तरफ से 24 अप्रैल के आंकड़ों गांव में जहां करीब तीन घंटे वहीं तहसील में ढ़ाई घंटे की आधिकारिक कटौती हुई है।
जानकारों का कहना है कि चार यूनिट बंद हो गई है, जिसकी वजह से सीधे दो हजार मेगावाट की सप्लाई बाधित हो रही है। इसके अलावा मौजूदा समय डिमांड और सप्लाई में करीब 4000 मेगावॉट तक का अंतर आ गया है। मौजूदा समय पीक ऑवर में बिजली की डिमांड 22500 मेगावाट तक पहुंच गई है , जबकि सप्लाई महज 18500 मेगावॉट तक हो रही है। सबसे ज्यादा गांवों, नगर पंचायत, तहसील स्तर पर है।
करीब 95 हजार करोड़ रुपए तक का घाटा
पावर कॉर्पोरेशन का मौजूदा घाटा करीब 95 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। अब बढ़ते घाटे की वजह से एनर्जी एक्सचेंज से भी खरीदारी नहीं हो पा रही है। बताया जा रहा है कि एनर्जी एक्सचेंज पर महंगी बिजली बेची जा रही है। वहां भी काफी ज्यादा डिमांड होने लगी है। जबकि पावर कॉर्पोरेशन ने पहले ही तय कर लिया है कि वह 7 रुपए प्रति यूनिट से महंगी बिजली नहीं खरीदेगा, ऐसे में प्रदेश की जनता कटौती की मार झेल रही है।
यह यूनिट चल रही है बंद
बारा 660 मेगावाट ओबरा 200 मेगावाट
ललितपुर पावर प्लांट 660 मेगावाट हरदुआगंज 660 मेगावाट
बिजली सप्लाई का समय
गांव 15.07 घंटे नगर पंचायत 19.03 घंटे तहसील 19.50 घंटे
विदेशी कोयले की डिमांड साल दर साल बढ़ रही
वर्ष
| मात्रा (मिलयन टन)
| मूल्य (करोड़ में)
|
2016-17
| 190.95
| 100231
|
2017-18
| 208.27
| 138477
|
2018-19
| 235.35
| 170920
|
2019-20
| 248.54
| 152732
|
2020-21
| 214.99
| 116037
|