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ज्ञानवापी सर्वेक्षण: एएसआई को ज्ञानवापी सर्वे में मिले जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के शिलालेख

कोषागार में जमा खंडित देवी-देवताओं की मूर्तियां, चिन्ह और आकृति भी अहम प्रमाण हैं। एएसआई ने सर्वे में मिले दरवाजे के टुकड़े, भग्नावशेष, घड़े समेत 250 सामग्रियों को प्रमाण के रूप में संरक्षित किया है।

ज्ञानवापी सर्वेक्षण: एएसआई को ज्ञानवापी सर्वे में मिले जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के शिलालेख

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी परिसर में भव्य हिन्दू मंदिर तोड़कर उसके ढांचे पर मस्जिद निर्माण के प्रमाण मिले हैं। सर्वे में मिले हिंदू देवी, देवताओं की मूर्तियां, खंडित धार्मिक चिन्ह, सजावटी ईंटें, दैवीय युगल, चौखट के अवशेष सहित अन्य प्रमाणों को एएसआई ने जुटाए हैं। 

सभी 250 सामग्रियों को प्रमाण के रूप में एएसआई ने जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में कोषागार में जमा कराया है। इसकी एक सूची भी जिला जज की अदालत में जमा है। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में कोषागार में जमा सामग्रियां भी हिन्दू पक्ष के लिए अहम प्रमाण हैं।

ज्ञानवापी परिसर की सर्वे में मिली खंडित मूर्तियां, चिन्ह, आकृतियां, दरवाजे के टुकड़े, घड़े, हाथी, घोड़े, कमल के फूल सहित अन्य सामग्रियां मिली थीं। इन्हें छह नवंबर 2023 को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दिया था। इन सभी सामग्रियों को जिला जज की अदालत के आदेश पर जरूरत पड़ने पर जिलाधिकारी न्यायालय में प्रस्तुत भी करेंगे।

ज्ञानवापी में शृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग वाले आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 14 सितंबर 2023 को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान हिंदू धर्म और पूजा पद्धति से संबंधित जो भी सामग्रियां मिली हैं, उन्हें एएसआई की टीम जिलाधिकारी या उनके द्वारा नामित अधिकारी को सुपुर्द करेगी। 
संबंधित अधिकारी उन सामग्रियों को सुरक्षित रखेंगे और जब भी अदालत तलब करेगी तो उन्हें प्रस्तुत करना होगा। सुपुर्दगी में दी जाने वाली सामग्रियों की एक सूची अदालत और एक सूची जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।
'ज्ञानवापी बड़ा हिंदू मंदिर, अयोध्या की तरह मस्जिद से पहले मिला मंदिर का ढांचा'
दरअसल, ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट बुधवार को मुकदमे के पक्षकारों ने सार्वजनिक कर दी। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी बड़ा हिंदू मंदिर था। सर्वे के दौरान 32 जगह मंदिर से संबंधित प्रमाण मिले हैं। पक्षकारों ने जो सर्वे रिपोर्ट दी है, वह 839 पेज की है।

पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का हिस्सा है। इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। जो स्तंभ मिले हैं, वो हिंदू मंदिर के हैं। उसका दोबारा इस्तेमाल किया गया है। देवनागरी, ग्रंथा, तेलुगु और कन्नड़ भाषा में लिखे शिलालेख भी मिले हैं। जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के शिलालेख भी मिले हैं। एक जगह महामुक्ति मंडप लिखा है। यह महत्वपूर्ण साक्ष्य है। सर्वे के दौरान टूटा हुआ एक पत्थर पाया गया है।

 एएसआई के मुताबिक मंदिर सत्रहवीं शताब्दी में तोड़ा गया था। इसकी तिथि 2 सितंबर 1969 हो सकती है। मंदिर के जो पिलर थे, उन्हीं का इस्तेमाल मस्जिद बनाने के लिए किया गया है। तहखाने में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। अयोध्या की तरह ही मस्जिद से पहले मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है।

हिंदू पक्ष अब सुप्रीम कोर्ट से ज्ञानवापी के सील वजूखाने की एएसआई से सर्वे कराने का अनुरोध करेगा। मामले में हिंदू पक्ष की महिला वादी ने कहा कि बाबा मिल गए हैं। अब अदालत से पूजा-अर्चना की अनुमति देने का अनुरोध किया जाएगा। सर्वे से सच सामने आ गया। पता चल गया कि विश्वेश्वर का मंदिर ध्वस्त किया गया, फिर उसे मस्जिद का रूप दिया गया। 

जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों को देने का आदेश दिया था। इसकी कॉपी पक्षकारों को बृहस्पतिवार को अदालत से मिली है। 

इसके बाद हिंदू पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पत्रकारों से बात की और कहा कि सर्वे से साबित हो गया कि ज्ञानवापी बड़ा हिंदू मंदिर था। उसे तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया। अब सील वजूखाने के सर्वे का अनुरोध किया जाएगा। 

 
रिपोर्ट से हिंदू पक्ष का वह दावा सच साबित हुआ है। इससे पहले जिला जज की अदालत ने कहा था कि सर्वे रिपोर्ट की प्रति पक्षकारों को देना न्याय हित में उचित रहेगा। इससे सर्वे रिपोर्ट के खिलाफ आपत्तियां दर्ज कराई जा सकेंगी। रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराए बिना आपत्तियां दर्ज करा पाना संभव नहीं है।

दरअसल, सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट एएसआई ने जिला जज की अदालत में 18 दिसंबर 2023 को दाखिल की थी। मुकदमे की वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी की ओर से सर्वे रिपोर्ट की प्रति दिए जाने का अनुरोध किया गया था। महिलाओं का कहना था कि यह पब्लिक इंट्रेस्ट का मुद्दा है। इसे गोपनीय बनाकर हौव्वा बनाया जा रहा है। 

21 जुलाई 2023 को सर्वे का आदेश, 25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक
जिला जज की अदालत ने सर्वे का आदेश 21 जुलाई को दिया था। 25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है। एएसआई की टीम ने जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्तूबर और नवंबर 2023 तक ज्ञानवापी परिसर में सर्वे किया। इसकी रिपोर्ट 18 दिसंबर को दाखिल की गई थी। सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक करने का आदेश 24 जनवरी 2024 को आया था। 25 जनवरी को सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को मिली और पक्षकारों ने ही इसे सार्वजनिक कर दी।

 जानकारी के मुताबिक जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई 2023 को सात पेज के आदेश में कहा था कि एएसआई चार अगस्त तक सर्वे रिपोर्ट दाखिल करे। एएसआई ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू किया, लेकिन उसी दिन सुप्रीम रोक लग गई। बाद में मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट गया, फिर चार अगस्त 2023 से दोबारा सर्वे शुरू हुआ।

वर्ष 2021 में दाखिल हुआ था मां शृंगार गौरी केस
मां शृंगार गौरी केस की सुनवाई के क्रम में ही जिला जज की अदालत ने ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर परिसर के एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। मां शृंगार गौरी केस राखी सिंह, सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में 17 अगस्त 2021 को दाखिल किया गया था।
अदालत के आदेश पर एक अधिवक्ता आयुक्त की अगुवाई में 6-7 मई 2022 को ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई हुई थी। इसके बाद 14 से 16 मई 2022 तक तीन अधिवक्ता आयुक्त ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे किया था। 16 मई 2022 को ही ज्ञानवापी स्थित वजूखाने में आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। उसी दिन हिंदू पक्ष की मांग पर अदालत के आदेश से वजूखाने को सील कर दिया गया था।

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