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Wednesday, September 25, 2024
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आसान नहीं होता 'धरतीपुत्र' बनना, काशी की इन घटनाओं से समझ में आ जाएगा मुलायम का व्‍यक्‍तित्‍व

सियासी अखाड़े के पहलवार मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। मंगलवार को सैफई में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

आसान नहीं होता 'धरतीपुत्र' बनना, काशी की इन घटनाओं से समझ में आ जाएगा मुलायम का व्‍यक्‍तित्‍व

लोकनायक, देशबंधु, राष्ट्रपिता, लौह पुरुष, आयरन लेडी, इन सब शब्दों और उपनाम से सभी परिचित होंगे। ये उपनाम यूं ही किसी के नाम की पहचान नहीं बनते। ये उपनाम दशकों तक देश की राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में संघर्ष कर चुके व्यक्तित्व के साथ जुड़ती है। ऐसा ही एक शब्द 'धरतीपुत्र' समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश समेत देश के बड़े समाजवादी सियासी दिग्गज मुलायम सिंह यादव के साथ भी जुड़ा है। 'धरतीपुत्र' उपनाम उन्हें पहलवानों को अखाड़े में विरोधियों को चित करने में नहीं मिला, बल्कि व्यवहार में उनकी सरलता, सहजता, विरोधियों का भी ख्याल रखना, अपनी मधुर वाणी के लिए मिला है।

जनता के बीच में लोकप्रियता ऐसी की जब पार्टी को आर्थिक रूप से समृद्ध करने की बात आई तो लोगों ने चांदी से उन्हें तौल दिया। बदले में नेता जी ने भी उस दौर के सभी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का बेहद ख्याल रखा। अधिकारियों से ज्यादा महत्व अपने पार्टी के कार्यकर्ता को दिया।

आम लोगों ने चांदी से तौल दिया था
1990 के दशक में नई पार्टी के गठन के साथ ही विस्तार को लेकर मुलायम सिंह यादव वाराणसी के साथ पूर्वांचल के दौरे पर थे। सपा के नेता मनोज राय धूपचंडी बताते हैं कि उस समय हम लोग युवा कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी से जुड़े हुए थे। पार्टी विस्तार के लिए पार्टी को लोगों के साथ-साथ धन की भी जरूरत थी। हम लोग उस समय चन्दौली के गांव-गांव में जा-जा कर लोगों से सहयोग मांग रहे थ। मुलायम सिंह के नाम का उस दौर में ऐसा शोर था कि लोगों ने दिल खोल कर चंदा दिया था। उस समय के कार्यकर्ताओं ने मुलायम सिंह यादव को चांदी के सिक्कों से तौल कर पार्टी विस्तार के लिए सहयोग किया था। ये सहयोग बस मुलायम सिंह यादव के नाम पर आम लोगों से इकट्ठा किया गया था। मुलायम के नाम का प्रभाव ऐसा था कि घर की महिलाओं ने अपने पुश्तैनी खजाने में जमा सिक्कों को भी मुलायम सिंह यादव के नाम पर देने में कोई आनाकानी नहीं की।

पार्टी पार्षद की हत्या के मामले में मुलायम ने जब की थी सर्किट हाउस में बैठक
वाराणसी के सपा नेता मनोज राय धूपचंडी बताते हैं कि एक बार पार्टी के पार्षद बंशी यादव की हत्या हो गई थी। हत्या की खबर सुनकर मुलायम सिंह यादव बनारस आए सर्किट हाउस में पार्टी के सभी कार्यकर्ता इकट्ठा हुए। सर्किट हाउस के ही लॉन में पार्टी के कार्यकर्ता बैठे थे। पार्षद बंशी यादव की हत्या से व्यथित नेता जी ने सभी कार्यकर्ताओं से हत्याकांड की पूरी जानकारी ली, जबकि वहां पूरा प्रशासनिक अमला और सभी पुलिस अधिकारी मौजूद थे।

अधिकारियों के सामने कार्यकर्ताओं की कराते थे पहचान
मनोज राय बताते हैं कि एक बार वाराणसी में बाढ़ से ग्रामीण इलाकों में भारी नुकसान हुआ था। बाढ़ की समीक्षा बैठक चल रही थी। उसी दौरान मैं नगर निगम में पार्षद हुआ करता था। नेता जी ने मुझे खड़ा करके बाढ़ के हालात को पूछा तो मैंने बिना नाम बताए बाढ़ के बारे में बताना शुरू किया। जैसे ही मैंने बोलना शुरू किया तो नेता जी ने कहा कि अपना नाम बताओ तो मैंने नेता जी से पूछा कि आप तो हमको पहचानते हैं नेता जी। इस पर नेता जी ने सभी अधिकारियों के सामने कहा कि हम तो तुम्हारा नाम जानते हैं, लेकिन इन अधिकारियों को भी तुम्हारा नाम पता होना चाहिए।

2017 में हारने के बाद भी दिखाया भरोसा
मनोज राय धूपचंडी बताते हैं कि 2017 के चुनाव में हार मिलने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ था। जिले की सभी सीटें सपा हार गई थीं। नतीजों के बाद मुलायम सिंह के एक करीबी की शादी में उनका जाना हुआ। विवाह के दौरान उन्होंने नेता जी का अभिवादन किया। उस वक़्त नेता जी ने कुछ नहीं बोला, लेकिन होटल में वापस आने के बाद नेता जी के आवास से फोन आया और सुबह नेता जी से मिलने के लिए कहा गया। नतीज़ों को लेकर मन में कई तरह की आशंकाएं थीं कि क्या नेता जी कोई कार्रवाई करेंगे, लेकिन नेता जी ने मुझे बुलाया और बिना नतीज़ों की चर्चा की, फिर से संघर्ष में जुट जाने को कहा।

बीएचयू के छात्राओं के आंदोलन की ली थी जानकारी
2017 में बीएचयू में एक छात्रा के साथ छेड़खानी के बाद छात्राओं का एक बड़ा आंदोलन हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी के दौरे पर थे। पीएम मोदी को बीएचयू के सिंह द्वार के सामने से होते हुए संकट मोचन और दुर्गाकुंड मंदिर जाना था, लेकिन छात्राओं के आंदोलन की वजह से पीएम मोदी की फ्लीट का रास्ता बदलना पड़ा था। छात्राओं के इस आंदोलन को लेकर मुलायम सिंह यादव ने अपने स्थानीय नेताओं के माध्यम से आंदोलनकारी छात्रों से बात भी की थी। छात्राओं की सुरक्षा का मुद्दा संसद में उठाने का आश्वाशन दिया था।

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