श्रीलंका में पीएम रानिल विक्रमसिंघे के घर और संसद पहुंचे प्रदर्शनकारी, जमकर हिंसा, इमरजेंसी लगाई गई
श्रीलंका में संकट और गहरा गया है। यहां पर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के मालदीव भाग जाने के बाद हालात बेकाबू हो गए है। 13 जुलाई को राजपक्षे अपने पद से इस्तीफा देने वाले थे लेकिन उससे पहले ही हालात बदल गए और अब जनता का गुस्सा चरम पर पहुंच गया है।
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में इस समय अफरा-तफरी का माहौल है। श्रीलंका इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। बुधवार से ही जनता बेकाबू है और सड़कों पर उतरी हुई है। ताजा खबरोंं में देश में इमरजेंसी लगा दी गई है। कोलंबो में बुधवार रात को 'गोटागोगामा' विरोध प्रदर्शन वाली जगह पर 4 प्रदर्शनकारियों के घायल होने की खबरें हैं। घायल व्यक्तियों को कोलंबो के नेशनल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। इन्हें सिर पर चोट लगी है और इनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। अस्पताल के सूत्रों की मानें तो दो संगठनों के बीच प्रदर्शन वाली जगह पर झगड़ा हुआ था और इसके बाद हाथापाई हो गई। जो लोग घायल हुए हैं उनकी उम्र 15,17, 18 और 20 बताई जा रही है। ये सभी कोलंबो और वेलामपिटिया के रहने वाले हैं।
पीएम आवास के पास मौजूद प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारी, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघ के आधिकारिक निवास के करीब मौजूद हैं। इन्हें हटाने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े हैं। देश में हालात उस समय से और बिगड़ गए हैं, जब से राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़ने की खबरें आई हैं। फिलहाल प्रदर्शनकारी संसद को घेरने की कोशिशोंं में लगे हुए हैं। राष्ट्रपति राजपक्षे के पत्नी और दो बॉडीगार्ड्स के साथ श्रीलंकन एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट में सवार होकर मालदीव पहुंचने की खबरें हैं। न्यूज एजेंसी एपी ने एक इमीग्रेशन ऑफिसर के हवाले से बताया है कि भले ही राष्ट्रपति ने दबाव में आकर इस्तीफा देने की बात कही हो लेकिन स्पीकर को उनके इस्तीफे का इंतजार था।
क्या बोली मालदीव की सरकार
गोटाबाया ने इससे पहले कहा था कि वो 13 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। एक बार उनके इस्तीफे के बाद पीएम विक्रमसिंघे, राष्ट्रपति का पद संभाल लेते। वो तब तक इस पद पर रहते जब तक नया राष्ट्रपति नहीं चुन लिया जाता। लेकिन 9 जुलाई को विक्रमसिंघे ने खुद ये बात ट्वीट कर कही थी कि वो पीएम के पद से इस्तीफा देंगे ताकि ऑल पार्टी सरकार के लिए रास्ता खुल सके।
सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि गोटाबाया राजपक्षे के साथ मालदीव की संसद के स्पीकर और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने बातचीत की थी। 73 साल के गोटाबाया पर जनता ने देश की आर्थिक स्थिति को चौपट करने का आरोप लगाया है। मालदीव की सरकार का कहना है कि राजपक्षे अभी तक देश के राष्ट्रपति हैं और ऐसे में अगर वो देश आना चाहते थे तो उन्हें मना नहीं किया जा सकता था।
भाईयों ने सबकुछ बिगाड़ा
गोटाबाया, 76 साल के महिंदा राजपक्षे के भाई हैं। महिंदा, ने साल 2005 से 2015 तक देश पर शासन किया है। गोटाबाया के पास महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में रक्षा मंत्रालय था। महिंदा को देश में तीन दशकों से जारी लिट्टे के शासन को खत्म करने का श्रेय जाता है जिन्हें तमिल विद्रोहियों के तौर पर भी जाना जाता है। बतौर राष्ट्रपति महिंदा ने उन निर्मम तरीकों का प्रयोग किया जिसने लिट्टे की कमर तोड़ दी।
उनके तरीकों पर सवाल भी उठे और नागरिकों की मौत के बारे में भी कहा गया। महिंदा के शासनकाल में श्रीलंका ने चीन से बिलियन डॉलर का कर्ज लिया गया। साल 2015 में महिंदा राजपक्षे नाटकीय तरीके से सत्ता से बाहर हो गए। लेकिन साल 2019 में दोनों भाईयों ने फिर से वापसी की। जहां गोटाबाया को राष्ट्रपति का पद मिला तो महिंदा राजपक्षे को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया।