सूर्य के हुए टुकड़े! टूट कर अलग हुआ विशालकाय हिस्सा, धरती पर क्या पड़ेगा असर
सूर्य पर इस समय हलचल देखने को मिल रही है। इस बीच एक अनोखी घटना पहली बार देखने को मिली है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि सूर्य के प्लाज्मा का एक हिस्सा टूट कर अलग हो गया। ये हिस्सा अलग होने के बाद ध्रुव पर एक भंवर बना कर घूमता रहा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके असर के बारे में जानने के लिए आगे रीसर्च की जरूरत होगी।
हमारे सौरमंडल के एकमात्र सितारे सूर्य में अजीबोगरीब हलचल देखने को मिल रही है। पहली बार वैज्ञानिकों ने सूर्य के एक टुकड़े को टूटते हुए देखा है। 2 फरवरी को सूर्य के प्लाज्मा का एक बड़ा हिस्सा उससे अलग हो गया और सूर्य के वातावरण में घूमता रहा। यह प्लाज्मा हजारों मील की ऊंचाई पर सूर्य के उत्तरी ध्रुव का चक्कर लगाता रहा और फिर गायब हो गया। वैज्ञानिक इस अनोखी घटना को देख कर हैरान हैं। ट्विटर पर इससे जुड़े वीडियो वायरल हो रहे हैं। वीडियो कुछ सेकंड का है, लेकिन असल में यह 8 घंटे तक चलता रहा।
कैलिफोर्निया में द एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन में विज्ञान कम्यूनिकेटर और रीसर्च वैज्ञानिक तमिथा स्कोव ने इससे जुड़ा वीडियो ट्विटर पर शेयर किया। नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने इस घटना को कैप्चर किया है। जब यह हिस्सा अलग हुआ तो ध्रुव पर एक भंवर (Vortex) जैसा बन गया। ध्रुव पर बनने के कारण इसे 'पोलर वोरटेक्स' कहा जा रहा है। तमिथा स्कोव ने अपने ट्वीट में लिखा, 'सूर्य के उत्तरी हिस्से में मेन फिलामेंट से एक हिस्सा अलग हो गया। अब ये हमारे सितारे के उत्तरी ध्रुव के चारों ओर एक विशाल ध्रुवीय भंवर के रूप में घूम रहा है।'
सूर्य से निकलते रहते हैं प्लाज्मा
सूर्य से प्लाजमा का हिस्सा अलग होने का मतबल क्या है? दरअसल सूर्य का ज्यादातर हिस्सा कई तरह की गैस से बना है जो इलेक्ट्रिक रूप से चार्ज होते हैं। सभी सितारों की बनावट इसी तरह होती है। इन्हें ही प्लाज्मा कहते हैं। सूर्य से प्लाजमा हर समय निकलती रहती है। यह सतह से उठ कर हजारों किमी की दूर तक अंतरिक्ष में निकलती हैं, लेकिन हमेशा यह एक धागे की तरह सतह से जुड़ी रहती हैं। तो इस बार आखिर खास क्या है? दरअसल इस बार जब प्लाज्मा अंतरिक्ष में उठा तो वह सतह से जुड़ा रहने की बजाय अलग हो गया।
सूर्य के ध्रुवों पर लगाता रहा चक्कर
प्लाज्मा सतह से निकलने के बाद घंटों तक सतह से ऊपर रहा और सूर्य के ध्रुवों के चारों ओर चक्कर लगाता रहा। ध्रुवों पर यह एक चक्रवाती बवंडर जैसा दिखा। यह कम दबाव के कारण बना है, जो धरती के ध्रुवीय भंवर जैसा दिखता है। कोलोराडो में नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च के एक सोलर साइंटिस्ट स्कॉट मैकिंटॉश ने बताया कि उन्होंने कभी भी प्लाज्मा को ऐसा व्यवहार करते नहीं देखा है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा के तंतु नियमित रूप से सूर्य के 55 डिग्री अक्षांश रेखाओं के पास निकलते रहते हैं।
असर पर की जाएगी रीसर्च
सूर्य अपने 11 साल की एक्टिविटी चक्र की की ओर बढ़ रहा है। इसी कारण सूर्य में हलचल देखी जा रही है। इसी कारण पिछले कुछ महीनों से लगातार सूर्य से बड़ी-बड़ी प्लाज्मा निकल रही हैं। हालांकि प्लाज्मा के ये तंतु पृथ्वी के लिए कोई खतरा नहीं होते हैं। लेकिन अगर ये पृथ्वी के करीब से निकलें तो सैटेलाइट और रेडियो सिग्नल को नुकसान हो सकता है। धरती पर पावर ग्रिड भी इनके कारण खराब हो सकते हैं। ध्रुवों पर हालांकि इनके गुजरने से खूबसूरत नजारा दिखेगा। 2 फरवरी को सूर्य से निकने वाला प्लाजमा ने धरती को अपने निशाना पर नहीं लिया। वैज्ञानिक अभी इस पर रीसर्च कर रहे हैं कि आखिर यह टुकड़ा अलग कैसे हुआ और आखिर यह क्या हो सकता है।