योगी-अखिलेश के बिच विधानसभा सत्र के दुसरे दिन हुई तीखी नोख झोंक, एक दूसरे पर चलाए शब्दों के बाण
उत्तर प्रदेश विधानसभा में सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बीच जमकर वार-पलटवार हुआ। सदन के नेता योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा कि अपराध किसी प्रकार का हो वह अक्षम्य है।
यूपी में लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने के बाद विधानसभा के पहले सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान जहां विपक्ष के विरोध प्रदर्शन की तस्वीर दिखी, वहीं दूसरे दिन मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच तीखी नोकझोंक सुनाई दी। इस दौरान सदन में मौजूद अन्य सदस्यों ने भी अपने-अपने नेताओं का पक्ष लेने की कोशिश की, जिस पर वाद-विवाद बढ़ता चला गया।
मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में महिला अपराध को नियंत्रित करने में सरकार नाकाम साबित हुई है। अखिलेश ने कहा कि सरकार नई बनी है, लेकिन सदन के नेता पुराने हैं। जो सरकार जीरो टॉलरेंस की बात कर रही हो, वहां महिलाएं सुरक्षित नहीं। गोरखपुर में बेटी के साथ दुष्कर्म हुआ, सिद्धार्थनगर में महिला को पुलिस ने मार दिया। सरकार क्या कर रही है? क्या थाने ऐसे अराजकता का केंद्र बन जाएंगे?
सरकार जितनी संवेदनशील होनी चाहिए उतनी है ही नहीं
इतनी घटनाएं हो रही हैं, फिर जीरो टॉलरेंस की बात समझ में नहीं आती है। 1090 और डायल 112 के आंकड़े क्या कह रहे हैं, बता दें। देश और प्रदेश के आंकड़े देखें तो महिला अपराधों में यूपी सबसे आगे है। प्रदेश सरकार आंकड़े नहीं मांन रही है। प्रयागराज में पूरा का पूरा परिवार खत्म हो गया अपराधी अभी तक नहीं पकड़े गए।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि प्रयागराज में ये पहली घटना नहीं है और भी घटनाएं हो चुकी हैं। सरकार जितनी संवेदनशील होनी चाहिए उतनी है ही नहीं। नेता सदन को कहना पड़ा कि आप लोग दलाली छोड़ दो तो अधिकारी सुधर जाएंगे। 5 साल तक दलाली चलती रही लेकिन नेता सदन को पता नहीं चला। मुझे अच्छा लगा नेता सदन ने सच बोला। सरकार और प्रशासन अपराधियों के साथ खड़ा हो जाएगा तो न्याय कैसे मिलेगा। पुलिस दबिश करने जाती है कि दबंगई करने जाती है?
किसी भी तरह का अपराध क्षम्य नहीं है, यह भाजपा की सरकार है
तमाम आरोपों पर पलटवार करते हुए सीएम योगी ने नेता प्रतिपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यूपी में अपराध किसी भी तरह का हो, वह क्षम्य नहीं है। खासतौर पर महिला संबंधी अपराध में सरकार कठोरता से कार्रवाई कर रही है। ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। यहां अपराधियों के बारे में ये नहीं कहा जाता कि 'लड़के हैं गलती कर देते हैं। नेता प्रतिपक्ष ये जानते हैं और स्वीकार करते हैं कि कार्रवाई हुई है। गुंडागर्दी जिनका पेशा बन चुका था, उन पर कार्रवाई हुई। बेहतर कानून व्यवस्था पर ही जनता ने दोबारा सरकार बनाई है। आधी आबादी के समर्थन को मैं सेल्यूट करता हूं।
सरकार अपराध और अपराधियों पर कार्रवाई जारी रखेगी। एंटी रोमियो स्क्वायड के साथ ही 218 पॉस्को कोर्ट भी सरकार ने बनाए। चुनाव के दौरान में भी पहले व्यापक हिंसा होती थी। यूपी विधानसभा 2022 के चुनाव में भी कुछ लोगों ने हरकत की थी। कुछ लोगों ने गर्मी दिखाने की बात की और गर्मी शांत हो गई। पहले की सरकार में 700 से ज्यादा अधिक दंगे हुए थे। 2017 से 22 के बीच में कोई दंगा नहीं हुआ।
अखिलेश पर तंज कसते हुए योगी ने कहा कुछ लोग कानून व्यवस्था पर उंगली उठा रहे थे, ऐसे लोगों को जनता ने किसी लायक नहीं छोड़ा। उन्होंने ये भी कहा कि 2017 में जब हमारी सरकार आयी तो आजमगढ़ में जहरीली शराब कांड हुआ था, उसमें साफ तौर पर सपा नेताओं के खिलाफ सुबूत सामने आए। योगी ने ये भी कहा कि उनके नाम लेंगे तो तकलीफ होगी। इस पर अखिलेश ने कहा कि 2017 के बाद वालों के नाम भी लिए जाने चाहिए।
राजभर ने उठाया अपने ऊपर हुए हमले का मुद्दा
योगी का भाषण खत्म हुआ तो ओम प्रकाश राजभर ने पिछले दिनों अपने ऊपर हुए हमले का मुद्दा सदन में उठाया। पूरी घटना बताते हुए कहा कि जिन लोगों ने मेरे ऊपर हमला किया वो सभी अपराधी शाम होते होते छोड़ दिया गया और मेरे ऊपर मुक़दमा लिखा गया। मुझे मुक़दमे की चिंता नही है मुझे सच्चाई की चिंता है। इसपर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पुलिस की रिपोर्ट आयी है उसमें कहा गया है कि दोनो तरफ़ से विवाद हुआ, इसीलिए दोनो तरफ़ से मुक़दमा लिखा गया है। हम आश्वस्त करना चाहते है कि विवेचना हो रही है दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। राजभर ने कहा मेरे ख़िलाफ़ 3 अलग अलग तहरीर दी गयी। अगर मैं दोषी साबित हुआ तो इसी सदन में इस्तीफ़ा देकर चला जाऊंगा।
यह सब चल ही रहा था कि अखिलेश यादव ने भी राजभर के पक्ष में खड़े होकर उनपर हुए हमले पर न्याय की मांग की। अखिलेश यादव ने कहा कि जीत का घमंड नहीं होना चाहिए। मुझे भी पता है कैसे जीते है लोग। अगर दिल्ली के लोग ना आए होते तो ज़मानत ज़ब्त हो गयी होती।